Even Aurangzeb’s army had accepted defeat in front of the cleverness of these villagers, the evidence is established even today

Last Updated:May 17, 2025, 16:42 IST
औरंगजेब की सेना ने यहां पर स्थित लक्ष्मीनाथजी मंदिर पर हमला किया था, लेकिन सफल नहीं हो पाई. इस गांव के अधिकतर लोग आज भी खेती पर निर्भर हैं. आइए इसके इतिहास के बारे में जानते हैं.X
लक्ष्मीनाथजी मंदिर
हाइलाइट्स
औरंगजेब की सेना लक्ष्मीनाथ मंदिर को नहीं तोड़ पाई.गांव वालों ने मूर्ति को खेतों में छुपा दिया था.लक्ष्मीनाथ मंदिर में दूर-दूर से भक्त दर्शन करने आते हैं.
जयपुर:- सीकर और जयपुर जिले के अंतिम सीमा पर स्थित करड़ गांव में लक्ष्मीनाथ जी का चमत्कारिक मंदिर मौजूद है. इस मंदिर का संबंध औरंगजेब से भी रहा है. स्थानीय लोगों के अनुसार, औरंगजेब की सेना ने यहां पर स्थित लक्ष्मीनाथजी मंदिर पर हमला किया था, लेकिन सफल नहीं हो पाई. इस गांव के अधिकतर लोग आज भी खेती पर निर्भर हैं.
स्थानीय निवासी महेश कुमार ने लोकल 18 को बताया कि करड़ गांव में 1649 में लक्ष्मीनाथजी के मंदिर का निर्माण करवाया था. यह मंदिर अपनी भव्यता, कुशल कारीगरी और उस समय की धार्मिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है.
औरंगजेब की सेना मंदिर तोड़ने आईसाल 1700 में औरंगजेब की सेना करड़ के प्रसिद्ध लक्ष्मीनाथजी के मंदिर को खंडित करने पहुंची थी, लेकिन इससे पहले ही गांव वालों ने मूर्ति को खेतों में छुपा दिया था. इससे सेना मूर्ति को खंडित नहीं कर सकी. हालांकि सेना मंदिर के बाहरी भाग के गोमुख सहित बाहर लगी छोटी मूर्तियां ही खंडित कर पाई. औरंगजेब की सेवा जाने के कुछ दिनों बाद ग्रामीणों ने संपूर्ण विधि विधान के साथ वापस मंदिर में लक्ष्मीनाथजी की प्रतिमा को स्थापित किया था. आज भी यहां प्रतिमा मंदिर में स्थापित है. दूरदराज से भक्त इस मंदिर में लक्ष्मीनाथ जी के दर्शन करने के लिए आते हैं.
कई विशेष आयोजनमंदिर पुजारी के अनुसार, लक्ष्मीनाथ जी की 1 दिन में दो बार आरती होती है. कृष्ण जन्माष्टमी पर यहां विशेष आयोजन होता है. भक्तों के अनुसार, एकादशी के व्रत के दौरान अगर कोई व्यक्ति इस मंदिर में रहकर विधि विधान से पूजा अर्चना करें और सच्चे मन से लक्ष्मीनाथ जी से अपनी मनोकामना मांगे, तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है. यही कारण है कि हर महीने की एकादशी को यहां पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है. गांव की लोगों के द्वारा सुबह-शाम आरती के समय इस मंदिर में शामिल होने आते हैं.
Location :
Jaipur,Rajasthan
homehistory
औरंगजेब की सेना के आने से पहले गांववालों ने दिखाई चतुराई, बच गई प्रभु की मूरत