Explainer : हमास – इजरायल समझौते के बाद वो 5 सवाल, जो अब भी मुंह बाए खड़े हैं

मिस्र में आखिरकार दो साल की जंग के बाद अमेरिकी दबाव रंग लाया. इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम के पहले चरण पर समझौता हो गया है. इसका पूरी दुनिया ने स्वागत किया है. इजरायल के लोग खुश हैं और गाजा के भी. दोनों ओर के बंधकों की रिहाई होगी. इजरायल की सेना पीछे लौट जाएगी लेकिन इस समझौते में कई ऐसे पहलू भी हैं, जो आने वाले समय में समझौते को अटका सकते हैं. हो सकता है कि पटरी से ही उतार दें.
तो मुख्य तौर पर ऐसे 5 सवाल कौन से हैं, जिसे लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. गाजा में अगर शांति को बनाए रखना है कि इन्हीं पांच सवालों में स्पष्टता आनी सबसे जरूरी है. हालांकि मसले और भी हैं, जिनके बारे में भी हम आगे चर्चा करेंगे लेकिन पहले दुनियाभर में हर किसी के जेहन में बने हुए वो पांच सवाल, जिनके मायने बहुत ज्यादा होंगे.1. क्या हमास हथियार छोड़ेगा
समझौते में ये साफ नहीं है कि किस तरह और किस समय हमास को हथियार छोड़ने होंगे. हमास ने अब तक स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है कि वह पूरी तरह से हथियार छोड़ेगा या नहीं.
इजराइल और हमास भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका समर्थित युद्ध विराम समझौते के पहले चरण पर सहमत हो गए हों , लेकिन दोनों पक्षों के बीच विवादास्पद मतभेद अभी भी बने हुए हैं, खासकर जब बात फिलिस्तीनी समूह के हथियारों की आती है. इजरायल लंबे समय से इस बात पर जोर देता रहा है कि यदि गाजा पर दो साल से चल रहा उसका युद्ध समाप्त करना है तो हमास को अपने सभी हथियार सौंप देने चाहिए. साथ ही, इजरायल ने यह भी मांग की है कि हमास फिलिस्तीनी क्षेत्र का शासन छोड़ दे तथा एक संगठन के रूप में खुद को समाप्त कर दे.
ये सबसे बड़ा सवाल है कि क्या हमास हथियार छोड़ेगा. उसके पास मिसाइल और मिसाइल लांचर जैसे बड़े हथियार हैं तो छोटे हथियार भी. वह किस हद तक अपने हथियारों से समझौता करेगा
हमास ने सार्वजनिक रूप से अपने हथियार सौंपने के अपील को ठुकरा दिया है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि समूह ने निजी तौर पर अपने कुछ शस्त्रागार सौंपने की बात कही है.
विश्लेषकों का ये भी कहना है कि हमास के शस्त्रागार पर बातचीत युद्ध विराम को विफल कर सकती है. जिससे गाजा में फिर युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है.एक सशस्त्र समूह को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुरूप हथियार रखने और कब्जा करने वाली शक्ति का विरोध करने का अधिकार है. ये माना जा रहा है कि बड़े हथियार जैसे मिसाइल्स तो हमास छोड़ सकता है लेकिन कभी अपने छोटे और हल्के हथियार नहीं छोड़ेगा, न ही परिष्कृत सुरंग नेटवर्क का नक्शा सौंपेगा, जिसे बनाने में उसने दशकों लगा दिए.
2. गाजा में शासन और प्रशासन कौन करेगा?
जब हमास को शासन की भूमिका छोड़नी पड़ेगी तो उस खाली जगह को कौन भरेगा.कोई सरकार, अंतरराष्ट्रीय तंत्र या फिर फिलिस्तीनी प्राधिकरण – ये स्पष्ट नहीं है.
इसको लेकर कई परतों में असहमति और जटिलताएं हैं. मौजूदा अमेरिकी शांति योजना के तहत हमास की सरकार को हटाकर एक टेक्नोक्रेटिक, गैर-राजनीतिक फिलिस्तीनी समिति द्वारा अस्थायी तौर पर प्रशासन संभाले जाने का प्रस्ताव है, जिसकी निगरानी ‘बोर्ड ऑफ पीस’ नामक अंतरराष्ट्रीय निकाय करेगा. इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अध्यक्षता और अन्य अंतरराष्ट्रीय नेताओं की भागीदारी प्रस्तावित है.
प्रस्तावित शांति योजना के मुताबिक, हमास की भूमिका प्रशासन में नहीं होगी. धीरे-धीरे गाजा का प्रशासन एक अन्तरराष्ट्रीय ट्रांजिशनल कमेटी के जरिए फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सौंपने की बात है.
गाजा को अब कौन चलाएगा. कौन करेगा वहां शासन. क्या एक शांति बनाए रखने वाली अंतरराष्ट्रीय बॉडी. हालांकि इजरायल इस बात के खिलाफ है कि इसमें फिलिस्तीन अथारिटी की भी कोई भूमिका हो. (न्यूज18)
इस दौरान गाजा में एक अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की तैनाती का प्रस्ताव है, जिसमें अमेरिका, जॉर्डन, मिस्र जैसे देशों की भागीदारी रहेगी. ये बल सीमाओं की सुरक्षा, पुलिस ट्रेनिंग आदि करेगा. इजरायल तथा मिस्र के साथ तालमेल रखेगा. इजरायल ने स्पष्ट किया है कि वह गाजा पर स्थायी कब्जा या विलय नहीं करेगा. इजरायली प्रधानमंत्री ने फिलिस्तीनी अथॉरिटी की भूमिका पर आपत्ति जताई है, जिससे सहयोगी देशों के बीच भी मतभेद बने हुए हैं.
3. इजरायल की सेना कहां तक हटेगी
समझौते में इजरायली सेना को कहां तक और कब पीछे हटना है, ये साफ नहीं हुआ है. अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में ट्रंप ने कहा: “सभी बंधकों को बहुत जल्द रिहा कर दिया जाएगा और इजरायल अपने सैनिकों को एक सहमत रेखा पर वापस बुला लेगा.”
“सहमति वाली रेखा” का मतलब 4 अक्टूबर को ट्रम्प द्वारा साझा किए गए एक अस्पष्ट मानचित्र से है. लेकिन जिस रेखा को सहमत रेखा बताया जा रहा है, उसके अंदर का क्षेत्र लगभग 155 वर्ग किमी (60 वर्ग मील) है, जिससे लगभग 210 वर्ग किमी (81 वर्ग मील) या गाजा का 58 प्रतिशत हिस्सा इजरायल के नियंत्रण में रह जाता है. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इजरायली सेना कई पूर्व घनी आबादी वाले फिलिस्तीनी इलाकों में मौजूद रहेगी. इसके अलावा इजरायल गाजा के अंदर और बाहर सभी क्रॉसिंगों पर नियंत्रण जारी रखेगा, जिसमें मिस्र के साथ राफा क्रॉसिंग भी शामिल है. वैसे मोटे तौर पर किसी को नहीं मालूम कि इजरायल की सेना कब और कहां तक पीछे हटेगी.
4. गाजा की सुरक्षा व्यवस्था कौन संभालेगा
समझौते में यह नहीं तय किया गया है कि गाजा की सुरक्षा व्यवस्था कौन संभालेगा — क्या अंतरराष्ट्रीय बल होगा, कौन उस में शामिल होंगे, और उसे किस प्रकार तैनात किया जाएगा.
इसको लेकर भी कई परतों में असहमति और जटिलताएं हैं. प्रस्तावित शांति योजना के मुताबिक, हमास की भूमिका प्रशासन में नहीं होगी. धीरे-धीरे गाजा का प्रशासन एक अन्तरराष्ट्रीय ट्रांजिशनल कमेटी के जरिए फिलिस्तीनी अथॉरिटी को सौंपने की बात है. इस दौरान गाजा में एक अन्तरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल (ISF) की तैनाती का प्रस्ताव है, जिसमें अमेरिका, जॉर्डन, मिस्र जैसे देशों की भागीदारी रहेगी। ये बल सीमाओं की सुरक्षा, पुलिस ट्रेनिंग आदि करेगा और इजरायल तथा मिस्र के साथ तालमेल रखेगा.
5. गाजा को कैसे मिलेगी मानवीय सहायता, कैसे पुनर्निर्माण
गाजा में बुरी तरह से तबाह हो चुके बुनियादी ढांचे यानि सड़कों, अस्पताल, बिजली और पानी की बहाली कैसे होगी. कैसे इन सुविधाओं को फिर से बनाया जाएगा. ये भी बड़ा सवाल है कि राहत सामग्री कैसे और किसके माध्यम से वितरित होगी. इसमें हमास समर्थकों और अन्य सशस्त्र समूहों की क्या भूमिका होगी.
गाजा को मानवीय सहायता अंतरराष्ट्रीय समझौते के तहत कई स्तरों पर मिलेगी. उसके पुनर्निर्माण के लिए भी विशेष योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसमें संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, मिस्र, कतर, तुर्की समेत कई देशों व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की भागीदारी होगी. गाजा में रोज लगभग 600 ट्रकों के जरिए खाद्य सामग्री, दवाइयां, पानी व अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति का वादा किया गया है. समझौते के तहत मानवीय सहायता के लिए पांच प्रमुख सीमा क्रॉसिंग तुरंत खोलने का प्रावधान है, जिससे राहत सामग्री गाजा तक आसानी से पहुंच सके.
इस मदद का समन्वय संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां और कई अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन करेंगे, ताकि जरूरतमंदों तक भोजन, स्वास्थ्य, स्वच्छता सामग्री और शेल्टर पहुंच सके.
गाजा के पुनर्निर्माण के लिए “बोर्ड ऑफ पीस” नामक अंतरराष्ट्रीय निगरानी समिति गठित होगी, जिसकी अध्यक्षता अमेरिकी राष्ट्रपति करेंगे और इसमें कई बड़े वैश्विक नेता, अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ शामिल होंगे. लेकिन बात वहीं आकर अटक रही है कि हमास की इसमें कोई भूमिका होगी या नहीं.