Explainer: अगर सांसद बगैर शपथ लिए लोकसभा में बैठे तो रोज भरेगा कितना मोटा जुर्माना

हाइलाइट्स
लोकसभा में नए सदस्यों को सबसे पहले शपथ दिलाई जाती हैशपथ पढ़े बगैर अगर सांसद सदन में जाता है तो क्या होगासांसद के अधिकार कब शुरू होते हैं जीतने के बाद या शपथ लेने के बाद
लोकसभा में 24 और 25 जून को लगभग सभी नए चुने लोकसभा सांसदों ने शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लिया. इसमें हर सदस्य ने शपथ ली. क्या आपको मालूम है कि अगर कोई सदस्य शपथ नहीं लेता है. बगैर इसके ही लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने लगता है और वोटिंग भी करता है तो वो ऐसा तो कर सकता है लेकिन उसे ऐसे हर दिन का जुर्माना भरना होता है. ये कितना होता है.
सवाल – संविधान के किस आर्टिकल के तहत शपथ लेनी जरूरी है?– लोकसभा सदन में अपनी सीट लेने से पहले भारत के संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत संसद में प्रत्येक सदस्य को शपथ लेना जरूरी है और इसके संबंधित फॉर्म को भरना और उस पर हस्ताक्षर करना जरूरी है. संविधान की तीसरी अनुसूची में इसे बताया गया है.
सवाल – शपथ की भाषा क्या तय है. या इसके अलावा भी कुछ शपथ के तौर पर पढ़ा जा सकता है?– शपथ तो 21 भाषाओं में ली जा सकती है लेकिन इसके शब्द तय हैं. हर सांसद को इसी के अनुसार शपथ लेनी होती है. आप शपथ के पहले और बाद अपने मन से कुछ नहीं कह सकते. शपथ के वाक्य और शब्द इस तरह हैंमैं…..(नाम) ..लोक सभा का सदस्य निर्वाचित (या मनोनीत) होने पर ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रृद्धा और निष्ठा रखूंगा, मैं भारत की प्रभुता और अखंडता अक्षुण्य रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं, उसके कर्तव्यों का श्रृद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा.
सवाल – अगर कोई सांसद शपथ लेते समय अन्य शब्दों का इस्तेमाल करे तो क्या होता है, जैसे ओवैसी, चंद्रकांत गंगवार और पप्पु यादव कुछ अन्य सांसदों ने बोला?– ऐसी भी किसी भी बात को संसद की कार्यवाही से निकाल दिया जाता है. हालांकि संविधान की मर्यादा को ध्यान में किसी भी सांसद को ऐसा नहीं बोलना चाहिए.सदस्यों का शपथ ग्रहण एक महत्वपूर्ण अवसर होता है. यह अपेक्षा की जाती है कि सदन में सदस्यों द्वारा इस अवसर की गंभीरता को ख़राब करने या उसमें खलल डालने वाला कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए.
सवाल – वैसे क्या कोई सांसद शपथ लेने के बाद आधिकारिक तौर पर संसद का सदस्य बनता है या जीतते ही उसे सदस्य के सारे अधिकार मिल जाते हैं?– हकीकत यही है कि जिस दिन कोई भी प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में विजयी होता है, उसी दिन से उसे वो अधिकार हासिल हो जाते हैं जो एक सांसद के होते हैं. इसके लिए रिटर्निंग अधिकारी से मिले चुनाव प्रमाण पत्र की जरूरत होती है. रिटर्निंग अफसर उसके परिणाम की रिपोर्ट तुरंत केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और लोकसभा के महासचिव को भी भेज देता है. लेकिन संविधान के अनुसार ये जरूरी है कि आप निर्वाचित होने के बाद सदन की शपथ जरूर लें ताकि आप उस भावना के अनुसार काम करें और अपने कर्तव्यों का भान करते हुए उस पर चलें.
सवाल – अगर कोई सदस्य तय समय पर शपथ नहीं पाए तो क्या होता है?– वो कभी भी सत्र के दौरान स्पीकर के सामने शपथ ले सकता है. यहां तक कि वह स्पीकर के चैंबर में उनके सामने भी शपथ ले सकता है.
सवाल – शपथ को क्या केवल हिंदी में ही ले सकते हैं या अन्य भाषाओं में भी?– संसद सदस्य अंग्रेजी या अन्य 22 भाषाओं में शपथ ले सकते हैं. ये सभी भाषाएं संविधान की आठवीं और तीसरी अनुसूची में शामिल हैं. अंग्रेजी के अलावा ये भाषाएं असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू हैं. वह शपथ लेने के बाद इन्हीं भाषाओं में हस्ताक्षर भी कर सकते हैं.
सवाल – क्या कोई सदस्य बिना शपथ लिए संसद की कार्यवाही में ले सकता है?– बिल्कुल ले सकता है. लेकिन बिना शपथ लिए सदन में कार्यवाही के दौरान उसके सीमित अधिकार होंगे. वह सदन में बैठ सकता है और वोटिंग भी कर सकता है. लेकिन किसी भी बहस और चर्चा में भाग लेने या कोई टिप्पणी करने का हकदार नहीं होगा.
सवाल – अगर कोई सदस्य बगैर शपथ लिए सदन में आकर बैठ रहा है या वोटिंग कर रहा है तो क्या होगा?– वो ऐसा कर बेशक सकता है लेकिन ऐसे हर दिन के लिए उसको 500 रुपए का जुर्माना देना होगा. जिसे ऋण मानकर उससे वसूला जाएगा या वेतन से काट लिया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : June 25, 2024, 19:34 IST