Explainer: UCC लागू होने के बाद मुस्लिमों के लिए कौन-कौन सी चीजें बदल जाएंगी? CJI चंद्रचूड़ के सामने कौन सा केस

Uttarakhand UCC Bill in Hindi: उत्तराखंड विधानसभा ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक, 2024 पारित कर दिया. यह विधेयक राज्य के सभी समुदायों (आदिवासियों को छोड़कर) में विवाह, तलाक और विरासत जैसी चीजों को नियंत्रित करने वाले व्यक्तिगत कानूनों में एकरूपता लाएगा. कानून में जो तमाम अहम बातें हैं, उनमें सबसे प्रमुख बात मुस्लिम समुदाय के लिए भी एक विवाह प्रथा (Monogamy) अनिवार्य कर दी गई है.
विवाह संपन्न कराने की तमाम शर्तों में से एक शर्त यह भी होगी कि शादी के वक्त किसी भी पक्ष (महिला या पुरुष) का जीवनसाथी जीवित न हो. यह प्रावधान हिंदू विवाह अधिनियम 1955 (Hindu Marriage Act) में पहले से ही मौजूद था, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ (Muslim Personal Law) अब तक पुरुषों को चार पत्नियां रखने की अनुमति देता था.
आइये आपको बताते हैं उत्तराखंड में जो समान नागरिक संहिता (UCC) कानून बना है, उससे मुस्लिम समुदाय के लिए क्या-क्या चीजें बदल जाएंगी (Uttarakhand UCC Law Expalined)
1. बहु-विवाह पर रोक
अभी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (Muslim Personal Law Board) चार निकाह की इजाजत देता है, जो बहु-विवाह (Polygamy) के दायरे में आता है. अन्य धर्मों में बहु विवाह प्रतिबंधित है. उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड में सभी धर्म के लिए बहुत विवाह प्रतिबंधित कर दिया गया है. कानून में साफ-साफ कहा गया है कि कोई भी शख्स, चाहे महिला हो या पुरुष दूसरी शादी तब तक नहीं कर सकता जब तक उसका पार्टनर जीवित है या तलाक नहीं हुआ है.
2. हलाला और इद्दत पर रोक
उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता कानून में मुसलमानों में इद्दत और निकाह हलाला जैसी प्रथाओं को भी अपराध के दायरे में रखा गया है. इस कानून के सेक्शन 30 में महिलाओं के तलाक के बाद दोबारा विवाह से जुड़े प्रावधान हैं. जिसमें कहा गया है कि महिलाएं अपनी शादी के अधिकार का बिना किसी शर्त के इस्तेमाल कर सकती हैं. मसलन दोबारा शादी करने से पहले उन्हें किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शादी नहीं करनी पड़ेगी. जिसे हलाला कहा जाता है.
कानून के सेक्शन 32 में ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है. जिसमें कहा गया है कि 3 साल की कैद और एक लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
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3. शादी की उम्र
मुसलमानों के लिए जो सबसे पहली चीज बदलेगी, वह है शादी की उम्र. उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता कानून में मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र 18 और लड़कों की उम्र 21 तय की गई है. यही उम्र हिंदू मैरिज एक्ट 1955 और स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 में भी है. मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र पर लंबे वक्त से बहस चल रही थी और मामला कोर्ट तक भी गया. अभी शरीयत में मुस्लिम लड़कियों को 13 साल की उम्र में शादी के लायक मान लिया जाता है. कानूनन यह उम्र नाबालिग है.
पॉक्सो कानून (P0CSO Act) के तहत नाबालिग से शारीरिक संबंध अपराध के दायरे में आता है. साथ ही बाल विवाह कानून में भी नाबालिग से शादी पर रोक है. ऐसे में मुसलमानों में 13 साल की उम्र में शादी की इजाजत कानून के सामने चुनौती जैसी है.
CJI के सामने भी यह केस:
दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय महिला आयोग ने मुस्लिम महिलाओं की 13 साल की उम्र में शादी की इजाजत को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. यह याचिका अभी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के सामने लंबित है.

4. संपत्ति का बंटवारा
शरीयत के मुताबिक मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति का एक तिहाई हिस्सा किसी को भी दे सकता है, जबकि बाकी का हिस्सा उसके परिवार के सदस्यों को मिलता है. अगर व्यक्ति ने मरने से पहले अपनी कोई वसीयत नहीं लिखी है तो संपत्ति का बंटवारा कुरान और हदीद में बताए गए तौर तरीकों से होता है. इसके बावजूद एक तिहाई हिस्सा दूसरे को देना जरूरी है. उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता कानून में प्रावधान है कि अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति अपने निधन के बाद वसीयत छोड़कर नहीं गया है तो यह जरूरी नहीं कि उसकी संपत्ति का कोई हिस्सा किसी तीसरे व्यक्ति को दिया जाए.
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Tags: CAA, Marriage, Muslim Marriage, Uniform Civil Code
FIRST PUBLISHED : February 10, 2024, 09:13 IST