इस शक्तिशाली देवी ने निकाली दी थी पाकिस्तान की हवा, हाथों से कुचल दिए थे बॉम्ब!

जोधपुर: कुछ मंदिर में दिव्य शक्ति देखने को मिलती है. एक मंदिर तो इतना शक्तिशाली है कि भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लोगों का बचाव तक कर चुका है. मंदिर का नाम है चामुंडा माता मंदिर (Chamunda Mata Mandir). जोधपुर के लोगों का कहना है कि चामुंडा माता ने युद्ध के दौरान उनका बचाव किया था. यह मंदिर जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में है. इसी मंदिर की कहानी लोकल18 आपके लिए लेकर आया है.
चामुंडा माता मंदिर कहां है? चामुंडा माता मंदिर जोधपुर में है. 1460 ईसा पूर्व में राजा राव जोधा ने मंदिर को बनवाया था. उनके राजपरिवार की एक बड़ी संतान के नाम पर इस मंदिर का नाम रखा गया है. जोधपुर के एक ऊंचे पर्वत शिखर पर यह मंदिर बना है. मान्यता है कि हर शुभ काम से पहले यहां आकर पूजा करने से सारी मनोकामना पूरी हो जाती है. मां चामुंडा को बहुत से भक्त कुलदेवी के रूप में भी पूजते हैं. ऐसे में नवरात्रि के दिन इन मंदिरों में बहुत भीड़ लगती है. भारत के अलग-अलग राज्यों के लोग यहां पूजा पाठ करने पहुंचते हैं.
हजारों साल पुरानी है मूर्ति मेहरानगढ़ के चामुंडा माता मंदिर में रखी प्रतिमा हजारों साल पुरानी है. पहले ये मंदिर मंडोर रियासत के किले में मौजूद थी. राजा राव जोधा ने परिहार वंश में विवाह किया था और उन्हें यह मूर्ति दहेज में मिली थी. इसके बाद मंदिर बना, जो आज लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है. इस मंदिर में लोग पूजा-पाठ के साथ-साथ परिक्रमा भी करते हैं. यह परिक्रमा मार्ग भक्तों को पर्वत की चोटी पर ले जाता है, जहां से पूरे शहर का नजारा दिखता है.चामुंडा माता को आदिशक्ति पार्वती का ही एक रूप है.
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भारत-पाकिस्तान से जुड़ा किस्सा चामुंडा माता मंदिर में भक्तों की आस्था के पीछे भारत-पाकिस्तान से जुड़ी किस्सा भी छिपा है. साल 1965 और 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान जोधपुर पर गिरे बम को मां चामुंडा ने अपने अंचल का कवच पहना दिया था. न ही कोई बम फटा था और न ही किसी को हानी पहुंची थी. माना जाता है कि माता ने अपने हाथों से विस्फोट को रोका था. इसलिए वहां के लोग घरों के बाहर मेहंदी के हाथ लगाते हैं.
चामुंडा माता मंदिर क्या लेकर जाएं?अगर आप चामुंडा माता मंदिर जा रहे हैं तो नारियल, फल, चना और चावल जैसी चीजों को प्रसाद के रूप में ले जा सकते हैं. इसके अलावा आप पानी की बोतल, धूप से बचने के लिए स्टॉल और बच्चों की टोपी जैसी चीजें भी साथ ले जाएं.
चामुंडा माता के मंदिर कैसे पहुंचे?यहां आप बस, टैक्सी या अपनी गाड़ी से आ सकते हैं. अगर आप एरोप्लेन से जा रहे हैं तो आपको जोधपुर हवाई अड्डे पर उतरना होगा. इसके बाद आप शहर से चलने वाली बस या टैक्सी में बैठ सकते हैं. जोधपुर शहर से यह मंदिर 10-12 किलोमीटर दूर है, जहां पहुंचने में आपको 30-40 मिनट का समय लगेगा.
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FIRST PUBLISHED : August 13, 2024, 12:03 IST