तन्हाई में डूबे रहते थे मशहूर डायरेक्टर, जवान बेटा ढूंढ लाया एक्ट्रेस दुल्हन, सगाई हुई और फिर… – When Director Manmohan desai was lonely after wife death son ketan took up his father proposal to actress Nanda and ask for marriage untold story
मुंबई. बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर मनमोहन देसाई ने फिल्मों बड़ी ही हैरतअंगेज चीजें दिखाई लेकिन लोगों ने जबर्दस्त प्यार दिया. अमिताभ बच्चन के साथ इन्होंने 7 सुपरहिट फिल्में बनाईं. अमिताभ का स्टारडम सही मायने में इन्होंने ही बॉलीवुड में स्थापित किया. मनमोहन देसाई बॉलीवुड ने अपने करियर में कुल 23 फिल्में बनाईं जिनमें से 15 ब्लॉकबस्टर रहीं. वह एकमात्र ऐसे डायरेक्ट हैं जिन्होंने बैक टू बैक 7 सिल्वर जुबली और 4 गोल्डन जुबली फिल्में दीं. मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखने वाले मनमोहन देसाई का जन्म 26 फरवरी 1937 को मुंबई में हुआ था. पिता कीकूभाई फिल्म प्रोड्यूसर थे और उस जमाने के जाने-माने फिल्म स्टूडियो पैरामाउंट के मालिक थे. ज्यादातर स्टंट फिल्में ही बनाईं. ये वो दौर था मनमोहन देसाई ने अभी होश भी नहीं संभाला था कि उनके पिता का निधन हो गया. पूरे परिवार सड़क पर गया. जमीन जायदाद सब बिक गई. पिता के एक ऑफिस में पूरे परिवार ने जैसे-तैसे दिन काटे.
मनमोहन देसाई के बड़े भाई सुभाष देसाई भी प्रोड्यूसर बन गए. उन्होंने मनमोहन का नाम कई जगह असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर रिकमेंड किया. मनमोहन देसाई ने कई साल असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया. उन्होंने 20 की उम्र में राजकपूर और नूतन को लेकर छलिया फिल्म बनाई. फिल्म सुपर डुपर हिट साबित हुई. फिर तो मनमोहन देसाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने ब्लफमास्टर, सच्चा झूठा और रोटी, रामपुर का लक्ष्मण और भाई हो तो ऐसा जैसी सुपरहिट फिल्मों की झड़ी लगा दी. फिर देसाई ने 1977 में अमर अकबर एंथनी फिल्म बनाई जिसने उनके करियर को बुलंदियों पर पहुंचा दिया.अमिताभ बच्चन के साथ मनमोहन देसाई ने कुली, अमर अकबर एंथनी, परवरिश, सुहाग, नसीब, मर्द, गंगा जमुना सरस्वती जैसी 7 फिल्में सुपरहिट बनाईं.
निजी जिंदगी की बात करें तो मनमोहन देसाई को पड़ोस में रहने वाली प्रभा नाम की लड़की से प्यार हो गया था. प्रभा ने तो उनका प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, लेकिन घरवाले रिश्ते के खिलाफ थे. हालांकि बाद में वो मान गए और शादी हो गई. शादी के बाद एक बेटे हुआ जिसका नाम केतन रखा. केतन भी बड़े होकर फिल्म डायरेक्टर बने. देसाई जब शोहरत की बुलंदियां छू रहे थे तभी 1979 में उनकी पत्नी का निधन हो गया. पत्नी के निधन के बाद मनमोहन देसाई पूरी तरह टूट गए. रात-दिन गम में डूबे रहते थे. बेटे केतन से यह दुख देखा नहीं गया. उन्होंने पिता का हौसला बढ़ाया. मनमोहन देसाई ने दोबारा कैमरा थाम लिया और देश प्रेमी, कुली जैसी फिल्में बनाईं.
दूसरी पत्नी ढूंढने में बेटे ने की मदद मनमोहन देसाई तन्हा जिंदगी काट रहे थे. इसी बीच उनकी नजर एक्ट्रेस नंदा पर पड़ी. वह नंदा को मन ही मन चाहने लगे. बेटे केतन को जब पता चला तो उन्होंने नंदा की करीबी सहेली वहीदा रहमान से भी बात की. वहीदा रहमान ने देसाई और नंदा को डिनर पर बुलाया. सही मौका भांपकर मनमोहन देसाई ने नंदा को अपने दिल की बात बताई. नंदा ने भी देसाई के प्यार को कबूल कर लिया.
केतन ने एक मैगजीन को दिए इंटरव्यू में बताया था, ‘मैं और मेरी पत्नी कंचन दोनों ही पिता मनमोहन देसाई के प्रपोजल को लेकर नंदा जी के पास गए थे. दरअसल, मैं अपने पिता के लिए कुछ भी करने को तैयार था. मेरे पिता दिल से बहुत ही रोमांटिक थे लेकिन नंदा जी से अपने दिल की बात नहीं कह पा रहे थे. आपको जिंदगी में एक साथी की जरूरत होती है. हर रिलेशनशिप की अपनी सीमाएं होती हैं. मुझे लगा कि पिता जी को एक हमदर्द की जरूरत है क्योंकि वह बहुत अकेला महसूस कर रहे थे. मैंने नंदा जी से कहा कि वह हमारे परिवार के साथ सुखद जिंदगी बिता सकती हैं. मैंने उनसे पिता से शादी के लिए पूछा. नंदा जी बहुत ही गरिमापूर्ण और खुशनुमा मिजाज की थीं. दोनों की सगाई में दोनों पक्ष के लोग शामिल हुए थे. सगाई के बाद मन जी करीब दो साल जिंदा रहे.’
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FIRST PUBLISHED : October 13, 2024, 17:48 IST