सिरोही के प्रसिद्ध जैन मंदिर

Last Updated:November 27, 2025, 08:55 IST
सिरोही के जैन मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला, प्राचीन इतिहास और धार्मिक महत्व के कारण देशभर में प्रसिद्ध हैं. भगवान महावीर स्वामी के भ्रमण से जुड़े प्रमाण इन्हें और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं. देश के विभिन्न राज्यों से लोग इन मंदिरों को देखने और आध्यात्मिक शांति पाने के लिए सिरोही पहुँचते हैं.

जस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू में बने देलवाड़ा के प्राचीन जैन मंदिर की कलाकारी की तुलना आगरा के ताजमहल से होती है. इस मंदिर का निर्माण शुद्ध सफ़ेद संगमरमर पर हुआ है, जिस पर बेहद बारीक नक्काशी की गई है. यह मंदिर न केवल जैन समाज के एक पवित्र तीर्थ क्षेत्र के रूप में, बल्कि अपनी अद्वितीय सुंदरता के कारण पर्यटन स्थल के रूप में भी देश-दुनिया में पहचाना जाता है.

देलवाड़ा जैन मंदिरों का निर्माण 11वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुआ है, और यह पाँच मंदिरों का एक समूह हैं. इस समूह में विमल वसाही मंदिर में प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ, जबकि लूना वसाही मंदिर में बाईसवें जैन तीर्थंकर नेमिनाथ विराजमान हैं. इसके अतिरिक्त, पिथलहार मंदिर में भी प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभ (आदिनाथ), पार्श्वनाथ मंदिर में 23वें जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ, और महावीर स्वामी मंदिर में अंतिम जैन तीर्थंकर महावीर स्वामी की प्रतिमाएँ हैं. इनमें विमल वसाही और लूना वसाही अपनी कलाकारी के लिए सबसे प्रसिद्ध मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों का प्रबंधन कल्याणजी परमानंदजी पेढी, सिरोही द्वारा किया जाता है.

जिले के रेवदर तहसील स्थित पावापुरी जैन मंदिर प्रमुख जैन मंदिरों में से एक है. इस मंदिर को देखने के लिए देश भर से जैन समुदाय के साथ हर धर्म के लोग यहाँ आते हैं. पावापुरी जैन तीर्थ-जीवमैत्रीधाम कला, वास्तुकला और संस्कृति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. इसका निर्माण केपी संघवी समूह की ओर से 30 मई 1998 में शुरू करवाया गया था.
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पावापुरी जैन मंदिर परिसर करीब 238 एकड़ में फैला हुआ है. इस मंदिर के निर्माण में 400 कारीगरों ने अहम भूमिका निभाई थी, जिन्होंने इसका काम करीब ढाई साल में पूरा किया था. पावापुरी तीर्थधाम में 90 हज़ार वर्गफुट ज़मीन पर विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया है. मुख्य मंदिर में शंखेश्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान है. इसके अतिरिक्त, मंदिर परिसर में एक जल मंदिर भी बना हुआ है, जो 24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को समर्पित है.

सिरोही का मीरपुर जैन मंदिर एक प्राचीन स्थल है, जिसका निर्माण 9वीं शताब्दी में राजपूतों के शासनकाल के दौरान हुआ था. इस मंदिर पर 13वीं शताब्दी में गुजरात से मुगल आक्रांता सुल्तान महमूद बेगड़ा ने हमला कर दिया था. हालाँकि, मंदिर की वास्तुकला को बचा लिया गया. इसके बाद, 15वीं शताब्दी में जैन समुदाय और स्थानीय शासकों के अथक प्रयासों से इस मंदिर का भव्य जीर्णोद्धार हुआ, जिससे यह मंदिर अपनी मूल कला और आस्था को पुनः प्राप्त कर सका.

मीरपुर जैन मंदिर राजस्थान के सबसे पुराने संगमरमर मंदिरों में से एक माना जाता है. मंदिर के स्तंभों पर बने शिलालेख विक्रम संवत 1550 और 1556 में हुए जीर्णोद्धार का प्रमाण देते हैं. ये शिलालेख मीरपुर और सिरोही के ऐतिहासिक विकास को समझने में महत्वपूर्ण हैं. यह मंदिर जैन समुदाय के तेईसवें तीर्थंकर, पार्श्वनाथ को समर्पित है.
First Published :
November 27, 2025, 08:55 IST
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सिरोही में सदियों पुराने ये जैन मंदिर क्यों हैं देशभर में प्रसिद्ध? जानिए….



