Farmer earns lakhs of rupees by cultivating figs in desert
रिपोर्ट- मनमोहन सेजू
बाड़मेर. कहते हैं कि लगन को अगर मेहनत का साथ मिल जाए, तो कोई काम मुश्किल नहीं है, फिर चाहे रेतीले टिब्बों पर अंजीर उगाना ही क्यों न हो. पश्चिम राजस्थान की सीमा से सटे सरहदी बाड़मेर जिले के उण्डखा गांव के एक किसान ने ऐसी नजीर पेश की है, जो इस इलाके के लोगों के लिए वरदान बन सकती है. किसान ने देशी जुगाड़ से पॉलीहाउस बनाकर अंजीर को सुखाकर गुजरात बेचा है.
किसान अब पारंपरिक फसलों को छोड़कर नकदी फसलों की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं. किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत सरकार भी नए विकल्पों का चुनाव करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. पानी की कमी और विपरीत परिस्थितियों के कारण रेगिस्तानी इलाके में जहां किसान जीरा, इसबगोल, अरंडी, सरसों, बाजरा और रायड़े की खेती कर रहा है. लेकिन प्रगतिशील किसान मूलचंद सारस्वत यहां अंजीर की खेती कर रहे हैं. यहां किसान ऑर्गेनिक अंजीर तैयार कर बेच रहे हैं. शहर के निकट उडण्खा गांव में तीन साल पहले एक किसान ने अपने कृषि फार्म पर पांच हजार पौधे अंजीर के लगाए थे. जहां से उसे अब अंजीर की पैदावार मिली है. किसान ने जुगाड़ कर अंजीर को ऑर्गेनिक बनाकर बेचा है. इसी वजह से उन्होंने एक हजार रुपये प्रति किलो के हिसाब से 5 क्विंटल अंजीर बेची है.
आपके शहर से (बाड़मेर)
किसान मूलचंद का कहना है कि रेगिस्तान में अंजीर की खेती करना बड़ा चेलेंज था. लेकिन मौसम के अनुकूल वातारण तैयार कर ऑर्गेनिक तरीके से खाद दी तो अच्छी अंजीर की पैदावार मिल गई. लेकिन इसे बेचना मुश्किल हो गया था, क्योंकि प्रोसेसिंग प्लांट नही था. मूलचंद का कहना है कि उन्होंने देशी जुगाड़ की सोची और नासिक गया. वहां से एक फर्म को पॉलीहाउस तैयार करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने डेढ़ लाख रुपए मांगे. उसके बाद मैंने खुद देशी तरीके से पॉली हाऊस बना दिया और प्राकृतिक धूप से अंजीर को सुखाया और फिर इसकी पैकिंग कर बेचा.
जहां रेगिस्तान इलाके में किसान जीरा, इसबगोल तक ही सीमित था. लेकिन अब किसान खेती में नवाचार कर मुनाफा कमा रहे हैं. बाड़मेर जिले में वर्तमान में 22 हेक्टेयर में अंजीर के पौधे लगे हुए हैं. बाड़मेर जिले में उण्डखा, चौहटन में अंजीर की खेती की जा रही है.
दरअसल कभी अफगानिस्तान में की जाने वाली अंजीर की फसल पश्चिम राजस्थान के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है. भू-जल स्तर नीचे जाने और खेती योग्य भूमि कम होने के कारण प्रदेश सरकार फसल विविधीकरण पर जोर दे रही है. ड्रैगन फ्रूट, खजूर और फूलों की खेती पर सब्सिडी दी जा रही है, ऐसे में इस इलाके के किसानों के लिए अंजीर की खेती अच्छा विकल्प हो सकती है.
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Tags: Barmer news, Rajasthan news
FIRST PUBLISHED : February 21, 2023, 12:03 IST