Farmer Vinod Poonia Success Story in Pushkar Rajasthan

Agriculture Success Story: राजस्थान के किसान विनोद पूनिया ने यह साबित कर दिया है कि यदि लगन और तकनीक का सही संगम हो, तो खेती में कोई असंभव नहीं है. जयपुर जिले के डाबला खुर्द गांव के रहने वाले पूनिया ने 2018 में नौकरी छोड़कर खेती संभाली और अपने पिता गणपत पूनिया के सहयोग से पुष्कर की बंजर जमीन को उपजाऊ खेतों में बदल दिया.
उन्होंने खेतों में पक्की नालियां बनवाईं, जिससे पशुओं का गोबर और गोमूत्र एकत्रित होता है. इस मिश्रण को ट्रेंच में डालकर मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने का काम किया गया. परिणामस्वरूप कभी सूखी रहने वाली भूमि आज हरियाली से भर चुकी है, जो उनकी वैज्ञानिक सोच का प्रमाण है.
पशुपालन से बढ़ी आमदनीपूनिया का मानना है कि “जब तक अपने पशु नहीं होंगे, खेती में असली मुनाफा नहीं आता.” इसी सोच से उन्होंने करीब 50 गाय-भैंसें खरीदीं और दूध, दही, घी, छाछ का उत्पादन शुरू किया. आज उनके पास अपनी खुद की डेयरी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी होती है.
गौमूत्र को वे पक्की नालियों के जरिए हौद में जमा करते हैं, जहां यह पानी के साथ मिलकर फार्म पौंड तक पहुंचता है और सिंचाई में इस्तेमाल किया जाता है. इससे जल की बचत और मिट्टी दोनों में सुधार हुआ है. पशुपालन और खेती का यह एकीकृत मॉडल उनकी सफलता का आधार है.
फलदार पेड़ों और फसलों से दोहरी कमाईपुष्कर की जमीन पर अब पूनिया ने आम, ताइवानी खजूर, बादाम, नींबू, आंवला, जामुन, करौंदा, लेसवा और बेल के 2700 से अधिक पौधे लगाए हैं. मेड़ों पर बेल और करौंदा, जबकि बीच के हिस्से में सब्जियां व दालें उगाई जाती हैं, जिससे वह जमीन का अधिकतम उपयोग करते हैं.
वे साल में दो बार प्रत्येक पेड़ को केंचुआ खाद (वर्मी कंपोस्ट) देते हैं, जिससे रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती. रोग नियंत्रण के लिए वे पारंपरिक उपाय जैसे उपले का धुआं प्रयोग करते हैं. ऑर्गेनिक तरीके से उगाई गई उनकी फसल बाजार में अच्छे दाम लाती है.
खेती का नया मॉडल बना प्रेरणाआज विनोद पूनिया का यह मॉडल खेती में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है. पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक के मेल से उन्होंने दिखाया है कि खेती घाटे का नहीं, बल्कि लाभ का सौदा बन सकती है. उनकी इस सफलता से प्रभावित होकर आसपास के किसान भी अब इस मॉडल को अपनाने के लिए प्रेरित हो रहे हैं.



