रबी सीजन में फूलों की खेती से बढ़ी किसानों की आमदनी | Flower Farming in Rabi Season for High Profit

Last Updated:November 03, 2025, 11:12 IST
Agriculture Tips: रबी सीजन में ठंडे मौसम के कारण फूलों की खेती किसानों के लिए बेहतर आय का विकल्प बन रही है. गेंदा, गुलाब, लिली और रजनीगंधा जैसे फूलों की खेती में कम लागत और ज्यादा मुनाफा होने के कारण किसान तेजी से इसकी ओर रुख कर रहे हैं. ड्रिप सिंचाई और अनुकूल तापमान फूलों की अच्छी गुणवत्ता सुनिश्चित कर रहे हैं.
भीलवाड़ा जिले में रबी के सीजन की शुरुआत के साथ किसान अब परंपरागत फसलों (जैसे गेहूं और चना) के साथ नई दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. इस बार किसान इन फसलों के साथ फूलों की खेती को भी अपना रहे हैं. बदलते मौसम और ठंडी हवाओं का दौर शुरू होने से फूलों की फसल के लिए यह समय बेहद अनुकूल माना जा रहा है. गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा, ग्लैडियोलस और कार्नेशन जैसे फूल इस मौसम में अच्छी पैदावार देते हैं. यही कारण है कि किसान अब कम लागत और अधिक मुनाफे वाली इस खेती को अपनाने लगे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होने की संभावना है.

रबी के दौरान तापमान में गिरावट और दिन-रात के संतुलित तापमान का असर फूलों की गुणवत्ता पर सकारात्मक होता है. गेंदा और गुलाब जैसी फसलें ठंडे मौसम में ज़्यादा दिनों तक ताज़ी टिकती हैं. किसान खेत की मिट्टी को हल्की और जैविक खाद युक्त बना रहे हैं ताकि पौधों की जड़ों को पर्याप्त नमी मिल सके. इस दौरान सिंचाई का ध्यान रखते हुए ड्रिप सिस्टम (टपक सिंचाई) का उपयोग भी बढ़ रहा है. खेती के वैज्ञानिक तरीकों को अपनाने से किसान बेहतर उत्पादन के साथ फूलों की ताज़गी लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं.

भीलवाड़ा के आसपास के गाँवों में अब कई प्रगतिशील किसान फूलों की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. इनमें गुरला, मांडलगढ़ और गंगापुर क्षेत्र के किसान प्रमुख रूप से शामिल हैं. गेंदा और ग्लैडियोलस की खेती शादी-ब्याह के सीजन में सबसे ज्यादा मांग में रहती है. आर्थिक रूप से देखें तो, एक बीघा खेत में गेंदा की खेती करने पर करीब ₹20,000 से ₹25,000 तक का खर्च आता है, जबकि इससे ₹60,000 से ₹70,000 रुपये तक की आमदनी होती है. यह दर्शाता है कि फूलों की खेती किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला एक आकर्षक विकल्प बन गया है.

कृषि विभाग भी किसानों को फूलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. विभाग की ओर से प्रशिक्षण शिविरों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है, जहाँ किसानों को फूलों की उन्नत किस्मों और बाज़ार में उनकी मांग के बारे में जानकारी दी जा रही है. विभागीय अधिकारी बताते हैं कि रजनीगंधा और ग्लैडियोलस जैसी फसलें कम रोगों से प्रभावित होती हैं और इन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है. इससे किसान पानी की बचत के साथ अतिरिक्त लाभ भी कमा सकते हैं. यह पहल किसानों को आधुनिक, टिकाऊ और मुनाफे वाली खेती की ओर मोड़ने में सहायक है.

फूलों की खेती से ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर भी बढ़ रहे हैं. इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. खेतों में पौधरोपण, फूलों की तुड़ाई और फूलों की ग्रेडिंग जैसे कार्यों में महिलाएँ बड़ी संख्या में काम कर रही हैं, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं. वहीं कुछ युवा किसान फूलों से बने गजरे, माला और डेकोरेशन मटेरियल बनाकर बाज़ार में बेच रहे हैं, जिससे मूल्य संवर्धन हो रहा है. इस तरह, फूलों की खेती स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे रही है और समाज के विभिन्न वर्गों को आजीविका प्रदान कर रही है.

रबी सीजन में फूलों की खेती किसानों के लिए वाकई फायदे का सौदा बन रही है. बदलते समय में कृषि का स्वरूप तेजी से बदल रहा है, और किसान अब पारंपरिक सोच से आगे बढ़ रहे हैं. मौसम की अनुकूलता, सरकारी सहयोग और बाज़ार की स्थायी मांग ने इस क्षेत्र को लाभकारी बना दिया है. इस कारण, किसान न केवल कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं.
First Published :
November 03, 2025, 11:12 IST
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