भरतपुर के किसान ने अपनाई कमाल की तकनीक, फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने में बेहद कारगर, पैदावार भी हो रही बंपर

Last Updated:October 23, 2025, 09:56 IST
Bharatpur Agriculture News: भरतपुर के पना गांव के किसान कमल मीणा ने जैविक और प्राकृतिक पद्धति से खेती कर एक नई मिसाल पेश की है. उन्होंने रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक तत्वों से तैयार लिक्विड खाद का उपयोग शुरू किया, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रही और फसलों की गुणवत्ता बढ़ी. उनकी पहल से आस-पास के किसान भी प्रेरित हो रहे हैं.
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भरतपुर. राजस्थान के भरतपुर जिला स्थित पना गांव के किसान कमल मीणा ने खेती को एक नई दिशा देने का काम किया है. उन्होंने प्राकृतिक और जैविक पद्धति से खेती करने की मिसाल पेश की है. कमल मीणा ने रासायनिक खादों और कीटनाशकों से दूरी बनाकर पेड़ों की पत्तियों और प्राकृतिक तत्वों से तैयार लिक्विड खाद का उपयोग शुरू किया है. इस नवाचार ने न केवल उनकी फसलों को स्वस्थ बनाया है बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बरकरार रखा है.
किसान कमल मीणा जो पहले सरकारी सेवा में थे, सेवानिवृत्ति के बाद खेती को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना चुके हैं. वे अपने फार्म हाउस में नीम की पत्तियां और अन्य औषधीय पेड़-पौधों की पत्तियां इकट्ठा करते हैं. इन पत्तियों को पानी में डुबोकर कुछ दिनों तक सड़ाते हें और फिर उससे तैयार लिक्विड खाद बनाते हैं. इस जैविक लिक्विड का खेतों में छिड़काव करते हैं, जिससे फसलें रोगमुक्त रहती है और कीटों का प्रभाव भी नहीं होता.
जैविक खेती से बढ़ती है फसलों की गुणवत्ता
कमल मीणा ने लोकल 18 को बताया कि इस जैविक विधि से फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है और उत्पादन में भी वृद्धि होती है. वे बताते हैं कि रासायनिक खादों से जहां मिट्टी की शक्ति धीरे-धीरे कम होती है. वहीं जैविक लिक्विड मिट्टी की संरचना और जीवांश को बढ़ाता है. इससे भूमि लंबे समय तक उपजाऊ बनी रहती है. उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक सराहनीय कदम उठाया है. कमल मीणा ने अपने खेत में वर्षा जल संरक्षण के लिए एक विशेष पौंड बनाया है.
कमल मीणा से प्रेरित हो रहे हैं इलाके के किसान
इस पौंड में बरसात का पानी एकत्र किया जाता है, जो पूरे साल सिंचाई के लिए काम आता है. इससे न केवल पानी की बचत होती है बल्कि सूखे के समय भी फसलें सुरक्षित रहती है. अब इस पहल को देखकर आस-पास के कई किसान प्रेरित हो रहे हैं. वे भी धीरे-धीरे रासायनिक खेती छोड़कर जैविक पद्धति अपनाने की ओर बढ़ रहे हैं. भरतपुर के ग्रामीण इलाकों में उनकी यह पहल अब काम करने लगी है. प्राकृतिक तत्वों से खेती करने की यह अनोखी पहल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है बल्कि किसानों की आमदनी बढ़ाने का नया रास्ता भी खोल रही है.
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दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Location :
Bharatpur,Rajasthan
First Published :
October 23, 2025, 09:56 IST
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भरतपुर के किसान से सीखें खेती के गुर, बढ़ जाएगी फसलों की गुणवत्ता और उपज



