राजस्थान के किसान इस फसल की करें खेती, कम लागत में मिलती है बंपर उपज, हेक्टर में दो लाख तक होगी कमाई

Last Updated:October 31, 2025, 11:19 IST
Isabgol Cultivation Tips: नागौर में ईसबगोल की खेती किसानों के लिए सोने का सौदा साबित हो रही है. कम लागत और कम पानी में तैयार होने वाली यह औषधीय फसल 110 से 120 दिनों में पक जाती है. प्रति हेक्टेयर 8 से 12 क्विंटल तक उपज देने वाली ईसबगोल की बाजार कीमत 12,000 से 18,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच रही है. इससे किसानों को एक हेक्टेयर में 1.5 से 2 लाख रुपये तक की आमदनी हो रही है. राजस्थान के नागौर, जोधपुर और बीकानेर जिले इस फसल के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र बन चुके हैं.
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नागौर. राजस्थान के नागौर की पहचान सिर्फ अपने मेले, मसालों और ऐतिहासिक किलों तक सीमित नहीं है बल्कि यह क्षेत्र औषधीय महत्व रखने वाली जड़ी-बूटी ईसबगोल की खेती के लिए सबसे अधिक जानी जाती है. इसे किसानों का सोना भी कहा जाता है. खास बात है कि यह फसल कम लागत में अधिक मुनाफा देती है. ईसबगोल का प्रयोग आयुर्वेदिक दवाओं, पेट से जुड़ी बीमारियों, कब्ज और आहार अनुपूरक के रूप में किया जाता है. इसकी खेती के लिए राजस्थान का शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु वाला इलाका बहुत उपयुक्त है. खासकर नागौर, जोधपुर, बीकानेर और अजमेर जिलों में इसकी अच्छी पैदावार होती है.
एग्रीकल्चर एक्सपर्ट रामचंद्र चौधरी ने बताया कि जब रबी फसल का मौसम शुरू होता है तो ईसबगोल की बुवाई अक्टूबर से नवंबर तक किया जाता है. इस फसल को ठंडी और शुष्क जलवायु की जरूरत होती है. गर्मी और ज्यादा नमी इस फसल के लिए नुकसानदायक साबित होती है. इसकी खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी सबसे उत्तम मानी जाती है.
110 से 120 दिन में फसल हो जाती है तैयार
उन्होंने बताया कि खेत की तैयारी के लिए पहली बार गहरी जुताई करनी पड़ती है. इसके बाद हल्की जुताई और पाटा लगाना जरूरी होता है. बीज दर लगभग 4 से 6 किलो प्रति हेक्टेयर पर्याप्त रहती है. बुवाई कतारों में 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर की जाती है. ईसबगोल की फसल को पकने में लगभग 110 से 120 दिन लगते हैं. फसल पकने के बाद इसके बीजों को काटकर सुखाया जाता है. बीज के ऊपर से मिलने वाली भूसी (हस्क) ही बाजार में सबसे अधिक दामों पर बिकती है. यह औषधीय उपयोग के कारण देश-विदेश में बहुत मांग में रहती है. किसानों के लिए यह फसल इसलिए भी लाभकारी है, क्योंकि इसे ज्यादा पानी, खाद या महंगी देखभाल की जरूरत नहीं होती. यह सूखे इलाकों में भी आसानी से उग जाती है.
प्रति हेक्टयर 8 से 12 क्विंटल तक होती है उपज
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
October 31, 2025, 11:19 IST
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किसान इस फसल की करें खेती, कम लागत में बंपर उपज के साथ होगी तगड़ी कमाई



