कम लागत में कमाना है अधिक मुनाफा? किसान करें इस फूल की खेती, बस इस बात का रखना होगा ख्याल

Last Updated:October 30, 2025, 12:25 IST
Marigold Flower Farming: सीकर जिले के किसानों ने मेहनत और नवाचार के दम पर फूलों की खेती से अपनी किस्मत बदल डाली है. पारंपरिक गेहूं-चना जैसी फसलों को छोड़ अब किसान गेंदे की खेती से लाखों रुपए कमा रहे हैं. हाइब्रिड बीज और आधुनिक तकनीक से तैयार फूल अब जयपुर और दिल्ली की मंडियों तक पहुंच रहे हैं. महिला किसान भी इस क्षेत्र में कदम बढ़ा रही हैं, जिससे परिवार की आमदनी और आत्मनिर्भरता दोनों बढ़ी है.
राजस्थान का शेखावाटी क्षेत्र उन्नत खेती के लिए प्रसिद्ध है. सीकर में के गांवों में इन दिनों फूलों की खेती तेजी से बढ़ रही है. यहां के किसान पारंपरिक खेती छोड़ अब गेंदे जैसे नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. सीकर के दांतारामगढ़ क्षेत्र के किसान जवान सिंह दून ने बताया कि फूलों की खेती से कम समय में अधिक मुनाफा संभव है. मैदानी इलाकों की मिट्टी और मौसम इस खेती के लिए अनुकूल साबित हो रहे हैं.

सीकर के कई गांवों में गेंदे की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. पहले जहां किसान गेहूं या चने जैसी फसलों पर निर्भर थे, वहीं अब वे फूलों से ज्यादा आमदनी कमा रहे हैं. खेती-बाड़ी से जुड़े उन्नत युवा किसान राहुल खेदड़ ने बताया कि गेंदे का पौधा सालभर तैयार किया जा सकता है, हालांकि अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस बार बारिश के चकते नवंबर तक इसकी बुवाई की जा सकती है.

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि स्थानीय बाजारों में केसरिया और ऑरेंज रंग के गेंदे की सबसे ज्यादा मांग है. त्योहारों, धार्मिक आयोजनों और शादी समारोहों में गेंदे की माला की खपत बढ़ जाती है. एक माला 25 से 40 रुपए में बिक जाती है. वहीं खुले फूलों की कीमत क्वालिटी के अनुसार 50 से 60 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाती है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी होती है.

गेंदे की खेती करने वाले किसान जवान सिंह दून का कहना है कि एक बीघा खेत से औसतन 55 से 60 हजार रुपए तक की आमदनी होती है. लागत कम होने और बाजार में मांग स्थिर रहने से यह खेती बेहद लाभदायक बन गई है. खास बात यह है कि गेंदे के पौधे को ज्यादा खाद या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती, जिससे खेती पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित मानी जा रही है.

किसानों के अनुसार बीज बोने के करीब 20 से 25 दिन बाद पौध को क्यारियों में लगा दिया जाता है. पौध लगाने के बाद नियमित सिंचाई जरूरी होती है ताकि पौध मजबूत होकर फूल दे सके. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के मुताबिक, हाइब्रिड बीज की कीमत 200 से 2500 रुपए प्रति हजार बीज तक होती है, जबकि देसी बीज 400 से 500 रुपए प्रति 50 ग्राम तक मिल जाते हैं.

महिला किसान भी अब फूलों की खेती में आगे आ रही हैं. सीता देवी और अन्य महिलाओं का कहना है कि वे खेतों में केसरिया, लाल और पीले रंग के गेंदे अधिक उगाती हैं क्योंकि इनकी मांग हर मौसम में बनी रहती है. महिलाओं की भागीदारी से न केवल पारिवारिक आय बढ़ी है बल्कि ग्रामीण स्तर पर महिला सशक्तिकरण का एक नया उदाहरण भी सामने आया है.

किसान अब अपने फूल केवल स्थानीय बाजार में ही नहीं, बल्कि बाहर की मंडियों में भी भेज रहे हैं. जयपुर और दिल्ली की फूल मंडियों में इन इलाकों के फूलों की अच्छी खपत है. किसानों का कहना है कि बढ़ती मांग और उचित दाम मिलने से आने वाले वर्षों में फूलों की खेती का रकबा और बढ़ेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी. किसानों का करना है और पारंपरिक खेती के मुकाबले काम क्षेत्र में आधुनिक तकनीक को अपनाकर आसानी से फूलों की खेती कर किस लाखों रुपए की कमाई कर सकते हैं.
First Published :
October 30, 2025, 12:22 IST
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मेहनत कम, मुनाफा ज्यादा! इस फूल की खेती से बदल रही सीकर के किसानों की किस्मत



