Rajasthan

रबी सीजन में फसल बोने से पहले किसान करें यह काम, बंपर उपज के साथ मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी

नागौर. राजस्थान में खरीफ की फसलों की कटाई का दौर शुरू हो चुका है, वहीं रबी सीजन की तैयारी भी जोरों पर है. किसानों को इस बार फसल चक्र के अनुसार बुवाई करने की सलाह दी गई है ताकि उत्पादन बढ़ाने के साथ मिट्टी की उर्वरता और जल संतुलन भी बना रहे. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता के अनुसार ही फसल का चयन करना चाहिए. उन्होंने बताया कि प्रदेश को चार कृषि जोन में बांटा गया है. जिसमें पश्चिमी शुष्क क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी अर्ध शुष्क क्षेत्र, दक्षिणी-पूर्वी आर्द्र क्षेत्र और दक्षिणी आर्द्र क्षेत्र शामिल है.

हर जोन में मिट्टी, वर्षा और तापमान की स्थिति अलग है, इसलिए फसल चक्र भी अलग-अलग रखा गया है. अगर खेत में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा है तो खरीफ में उगाई गई कपास के बाद चना, और मूंग या मूंगफली के बाद गेहूं या जौ की बुवाई करना लाभदायक रहेगा. इन फसलों को रबी मौसम में हल्की ठंड और नियंत्रित नमी की जरूरत होती है. वहीं, अगर खेत में पानी की कमी है तो बाजरा के बाद चना, ग्वार या मूंग के बाद जौ या सरसों बोना सबसे अच्छा विकल्प रहेगा. इससे जल की बचत के साथ मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है.

फसल चक्र अपनाने से उत्पादन में होती है बढ़ोतरी

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट ने बताया कि फसल चक्र अपनाने से न केवल उत्पादन बढ़ता है बल्कि कीट और रोगों का प्रकोप भी कम होता है. इसके अलावा मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा संतुलित रहती है. उदाहरण के तौर पर, दलहनी फसलों जैसे चना और मूंग के बाद गेहूं या जौ लगाने से मिट्टी में प्राकृतिक नाइट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अगली फसल को अतिरिक्त पोषक तत्वों की आवश्यकता नहीं पड़ती. उन्होंने बताया कि पश्चिमी क्षेत्र जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर में बाजरा के बाद चना, जौ या सरसों की फसल, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सीकर, झुंझुनूं, जयपुर में मूंगफली के बाद गेहूं, जौ या चना की फसल, दक्षिणी क्षेत्र कोटा, बूंदी, झालावाड़)में सोयाबीन या धान के बाद गेहूं, मसूर को फसल और पूर्वी क्षेत्र भरतपुर, धौलपुर में ग्वार या मूंग के बाद जौ या सरसों की फसल उगाना किसानों के लिए फायदे का सौदा है.

नवंबर से शुरू होगी रबी फसलों की बवाई

एग्रीकल्चर एक्सपर्ट बजरंग सिंह ने बताया कि किसानों को अपने क्षेत्र की मिट्टी जांच रिपोर्ट के अनुसार, फसल का चयन करना चाहिए. जिन क्षेत्रों में सिंचाई सीमित है, वहां जल-संरक्षण तकनीकों जैसे ड्रिप या स्प्रिंकलर सिस्टम अपनाना चाहिए. साथ ही खेत की मेढ़ों पर पेड़-पौधे लगाकर भूमि क्षरण से बचाव भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में रबी सीजन की फसल बुवाई नवंबर की शुरुआत से शुरू होगी. ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों से फसल चक्र अपनाकर वैज्ञानिक पद्धति से खेती करें. इससे उत्पादन बढ़ेगा, लागत घटेगी और मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहेगी.

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