Fashion Jewellery Jewelry Is For Fashion And Gold Is For Investment – फेस्टिव सीजन है करीब: ज्वैलरी और निवेश को मिक्स न करें

भारत में सोने की ज्वैलरी को निवेश के रूप में भी खरीदा जाता है। लेकिन सोना या चांदी को ज्वैलरी के रूप में लेना अब पुराने वक्त की बात हो चली है। दरअसल ज्वैलरी में सोने की मात्रा उनकी कीमत की तुलना में काफी कम होती है, इसलिए कई बार इसे निवेश के रूप में खरीदना महंगा सौदा साबित होता है। इसलिए अब अगर सोने में निवेश करना है तो उसके लिए सोवरन बॉन्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड क्वाइन जैसे विकल्प ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं और पहनावे यानी फैशन के लिए फैशन या आर्ट ज्वैलरी लोकप्रिय हो रहे हैं। खास रिपोर्ट:

फैशन ज्वैलरी की भारत में ग्रोथ रेगुलर ज्वैलरी से कहीं बहुत अधिक है। मेट्रो शहरों से लेकर छोटे शहरों तक में इनकी डिमांड भारी डिमांड देखी जा रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि आईआईटी मद्रास से इंजीनियिरंग और अमरीका से एमबीए करने वाले विश्वास श्रृंगी आज अमरीका में अपनी अमेजन की नौकरी छोड़कर फैशन ज्वैलरी पर ही एक स्टार्टअप चला रहे हैं, जिसका नाम है व्यौला। पूरे देश में इसके 80 ऑफलाइन स्टोर हैं और इसका मुख्यालय जयपुर ही है। विश्वास का कहना है कि आज भारत में फैशन ज्वैलरी का बाजार करीब 21 हजार करोड़ का है और ये बाजार पिछले 10 साल से औसतन 45 प्रतिशत की ग्रोथ से बढ़ रहा है। विश्वास का कहना है कि इस ज्वैलरी को अब इमिटेशन ज्वैलरी नहीं बल्कि फैशन ज्वैलरी कहा जाता है और इसकी बहुत स्पष्ट वजह भी है। फैशन ज्वैलरी में देश के सबसे बड़े निर्यातक आम्रपाली ज्वैलर्स की जीएम रम्या शर्मा का कहना है कि इस ज्वैलरी को अब किसी आयवर्ग से जोड़कर नहीं देखा जाता, बल्कि इसे फैशन की अनिवार्य जरूरत की तरह देखा जाता है। रम्या ने बताया कि उनके शो रूम में रेगुलर और फैशन ज्वैलरी दोनों ही साथ-साथ बिकती है। जयपुर में पिछले 15 साल से फैशन ज्वैलरी की निर्माता पंखुरी ढींगरा का कहना है कि फैशन ज्वैलरी की सबसे खास बात ये है कि ये हर मौके और हर प्रकार के परिधान के लिए रेडिमेड और अफोर्डेबल दाम पर खरीदा जा सकता है। इसमें चोरी होना का डर भी कम से कम हो जाता है और इसमें विकल्प भी कहीं बहुत अधिक उपलब्ध रहते हैं।
सिल्वर, ब्रास और कॉपर से बनती है फैशन ज्वैलरी
बढ़ती मांग के साथ फैशन ज्वैलरी की बनावट और बुनावट दोनों में बदलाव आया है। इसकी शुरुआत गोल्ड की ज्वैलरी की नकल के रूप में उस निम्न आय वर्ग के लिए हुई थी जो सोने की ज्वैलरी अफोर्ड नहीं कर सकते थे। इसलिए इसे इमिटेशन ज्वैलरी भी कहा गया और संपन्न वर्ग इसको लेकर नाक-भौं सिकोड़ता था। पहले ये ज्वैलरी जिंक, कैडियम आदि कई प्रकार की धातुओं से बनती थी और इसमें चमक के लिए निकल की पॉलिश भी यूज की जाती थी। लेकिन ये बहुत जल्दी चमक खो देती थी और इसके स्किन एलर्जी जैसे साइड इफेक्ट भी देखे जा रहे थे। विश्वास श्रृंगी का तो कहना है कि कैडियम को तो कॉर्सिजेनक भी माना गया है। इसलिए अब फैशन ज्वैलरी मुख्य रूप से सिल्वर, ब्रास और कॉपर से बनाई जाती है और इस पर गोल्ड और माइक्रोन कोटिंग होती है। इसकी चमक को बनाए रखने के लिए इस पर रोडियम और ई-कोटिंग भी की जाती है। इसके बाद अगर इसको आभूषण की तरह ही संभाल कर रखा जाए तो इनको लाइफ टाइम तक यूज कर सकते हैं। मंगलम बिल्डर समूह की संगीता अग्रवाल का कहना है कि फैशन ज्वैलरी को अब अनकंप्रोमाइज्ड ब्यूटी इन ए कंप्रोमाइज्ड प्राइस भी कहा जाता है। यही इसकी लोकप्रियता की वजह है।
मुख्य रूप से चार हैं कैटेगरी
फैशन ज्वैलरी को मुख्य रूप से चार भागों में बांटा जाता है। देश में फैशन ज्वैलरी के सबसे बड़े निर्यातक समूह आम्रपाली ज्वैल्स की जनरल मैनेजर रम्या शर्मा का कहना है कि वे अपने स्टोर में फैशन ज्वैलरी को मुख्य रूप से ट्रेडिशनल, ट्राइबल, कंटेम्परेरी और विक्टोरियन इन चार श्रेणी में बांटती हैं। ट्रेडिशनल में पोलकी, कुंदन-मीना, फिरदौसी, फुलकारी आदि डिजाइन आ जाते हैं। विक्टोरियन में चांदी और सोने दोनों का इस्तेमाल होता है। आर्च अकैडमी में ज्वैलरी डिजाइन की फैकल्टी दिव्या सोनी इसमें हेरिटेज, मॉडर्न जैसी कुछ और श्रेणी जोड़ना चाहती हैं। वे कहती हैं फैशन ज्वैलरी में वुड से लेकर कपड़ा हर चीज का इस्तेमाल हो सकता है और इसमें वैरायटी और प्रयोगों का कोई अंत नहीं है। यही इसकी लोकप्रियता की बड़ी वजह है।
परफ्यूम, पानी और सैनिटाइजर से दूर रखें फैशन ज्वैलरी
सभी प्रकार फैशन ज्वैलरी पर सामान्यत: गोल्ड की कोटिंग होती है। इसकी चमक को टिकाऊ बनाने के लिए इस पर माइक्रोन, रोडियम और ई-कोटिंग की जाती है। आजकल ये मुख्य रूप से चांदी से बनाई जाती हैं और इनकी गोल्ड प्लेट के छीजने का खतरा रहता है। कोटिंग से इसकी चमक लंबी तो हो जाती है पर परफ्यूम, पानी और सैनिटाइजर के संपर्क में आने पर इसकी चमक धूमिल हो सकती है। इसलिए इनको इनसे दूर रखें। अगर इनके संपर्क में आए तो इसको तुरंत कॉटन से साफ कर लें।
80 प्रतिशत तक होती है लेबर की कीमत
रेगुलर गोल्ड ज्वैलरी की तुलना में फैशन ज्वैलरी में श्रम यानी मेकिंग चार्ज बहुत अधिक होता है। फैशन ज्वैलरी में लेबर चार्ज का अनुपात 80 प्रतिशत तक होता है – क्योंकि इसमें डिजाइन तो वैसे ही होते हैं जैसे गोल्ड ज्वैलरी में होते हैं। सिल्वर होता भी है डिजाइन के लिए सबसे अनूकुल। इसलिए अगर आप इसको वापस करेंगे तो इसमें काफी कम रिटर्न मिल सकता है।
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