पिता टेंट कारोबारी…मां टीचर, बेटे के कंधों पर लगे सितारे, भव्य अग्रवाल बने सेना में लेफ्टिनेंट, झूम उठा परिवार

सिरोही. राजस्थान को शूरवीरों की धरती माना जाता है. सीमाओं पर देश की सुरक्षा में तत्पर रहने के लिए प्रदेश से युवा सेना में भर्ती होते हैं. सेना में चयनित होने की प्रक्रिया में मानसिक और शारीरिक दोनों मापदंडों पर खरा उतरना बहुत जरूरी है. प्रदेश के सीमावर्ती जिले सिरोही के एक युवा की मेहनत और लगन की बदौलत उनका सेना में लेफ्टिनेंट पद पर चयन हुआ है.
जिले के आबूरोड शहर निवासी भव्य अग्रवाल का भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट पद पर चयन हुआ है. देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड के बाद भव्य पहली बार घर लौटे. इस दौरान परिवार और रिश्तेदारों में भव्य के सेना में लेफ्टिनेंट बनने से खुशी का माहौल है. भव्य अग्रवाल ने लोकल-18 से खास बातचीत में अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि स्कूली शिक्षा आबूरोड के सेंट जॉन्स स्कूल और बीएस स्कूल से की. इसके बाद आबूरोड की माधव यूनिवर्सिटी से साल 2021 में बीएससी पीसीएम ग्रेजुएशन कर सेना की तैयारी शुरू की. साल 2023 में सीडीएस परीक्षा में चयनित होने के बाद एफ-केट में सिलेक्शन हुआ.
पिता टेंट व्यवसायी और माता टीचरभव्य अग्रवाल के पिता संजय अग्रवाल टेंट और और माता विनीता अग्रवाल जिले के मूंगथला सरकारी स्कूल में शिक्षिका है. माता-पिता ने बताया कि उनके लिए ये क्षण काफी गौरवशाली है. भव्य अग्रवाल ने बताया कि उन्हें सेना में जाने का मोटिवेशन पिता से ही मिला. वे एनसीसी में थे और माउंट आबू के आर्मी स्टेशन भी आना-जाना रहता था. वहां सैनिकों को देखकर भी काफी मोटिवेशन मिला. वजह से उनका सपना था कि सेना में जाकर देश की सेवा करें.
NDA में सफलता नहीं मिली, फिर भी नहीं मानी हारभव्य अग्रवाल ने बताया कि 12वीं कक्षा के बाद से भव्य अग्रवाल ने एनडीए की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन एनडीए में सिलेक्शन नहीं हो पाया था. तब थोड़ी निराशा हुई थी, लेकिन पापा ने काफी मोटिवेट किया और हार नहीं मानते हुए सीडीएस की तैयारी की और पहले ही प्रयास में सीडीएस में चयन हो गया. जब उनका सेना में चयन हुआ, तो माता-पिता को काफी गौरव महसूस हुआ. अब तक उनके जीवन में दो गौरव वाले क्षण आए हैं. एक जब उनका एसएसबी में चयन हुआ और दूसरा जब देहरादून आईएमए में पासिंग आउट परेड और सेरेमनी में उनके कंधे पर सितारे लगाए गए. ये दोनों क्षण उनके और माता-पिता के लिए जीवन के यादगार लम्हे हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 10:06 IST