Rajasthan

पहले रेप और फिर समझौता… यौन उत्पीड़न के केस में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- रद्द नहीं किया जा सकता

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें समझौते के आधार पर यौन उत्पीड़न के मामलों को रद्द कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि रेप का कोई भी केस इस आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच समझौता हो गया है.

जस्टिस सीटी रविकुमार ने फैसले में कहा कि विवादित आदेश को रद्द किया जाता है. कोर्ट ने कहा है कि एफआईआर और आपराधिक कार्यवाही कानून के अनुसार आगे बढ़ाई जाएगी. हमने मामले की खूबियों पर कोई टिप्पणी नहीं की है और काफी हद तक एमिक्स की सेवाओं की सराहना करते हैं. यह अपराध गैर समझौतावादी धारा के तहत है. ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश उचित नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें एक टीचर को नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोप से राहत दी गई थी. हाईकोर्ट ने टीचर के खिलाफ केस रद्द कर दिया था जिसको सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए दोबारा मुकदमा चलाने का आदेश दिया है.

क्या है मामला? यह मामला 2022 में राजस्थान के गंगापुर शहर का है. एक नाबालिग दलित लड़की ने एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके अनुसार, मामला दर्ज किया गया और इसमें POCSO एक्ट और SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम भी शामिल किया गया था. नाबालिग का बयान भी दर्ज किया गया.

लोअर कोर्ट का था क्या फैसला?हालांकि, आरोपी शिक्षक विमल कुमार गुप्ता ने लड़की के परिवार से एक स्टाम्प पेपर पर बयान ले लिया. इस बयान में कहा गया कि उन्होंने गलतफहमी के कारण पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और अब वह शिक्षक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते. पुलिस ने इसे स्वीकार कर रिपोर्ट दर्ज कर ली लेकिन निचली अदालत ने इस बयान को खारिज कर दिया. इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट का रुख किया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए एफआईआर रद्द करने का आदेश दिया.

सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचा मामला?सामाजिक कार्यकर्ता रामजी लाल बैरवा ने इस हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए आरोपी शिक्षक के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ कर दिया.

Tags: Rape Case, Supreme Court

FIRST PUBLISHED : November 7, 2024, 12:44 IST

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