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पांच साल का बच्चा बना उम्मीद की मिसाल, अंगदान से दो जिंदगियों की रक्षा

Last Updated:December 22, 2025, 17:53 IST

Jodhpur News Hindi : जोधपुर एम्स में पांच वर्षीय भोमाराम को ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद उसके परिजनों ने मानवता की मिसाल पेश की. उन्होंने साहसिक कदम उठाते हुए उसके अंग दान किए, जिससे दो लोगों को नई जिंदगी मिली. लीवर दिल्ली भेजा गया, जबकि किडनी एम्स में ही ट्रांसप्लांट हुई. यह घटना समाज में अंगदान की जागरूकता बढ़ा रही है.

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जोधपुर : जोधपुर एम्स में भर्ती पांच वर्षीय बच्चे भोमाराम को ब्रेन डेड घोषित किए जाने के बाद उसके परिजनों ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए उसके अंग दान करने का साहसिक फैसला लिया. जिससे अब दो लोगों को नई जिंदगी मिल सकेगी. भोमाराम की दो किडनी जोधपुर एम्स में एडमिट मरीज को लगाई जाएगी, जबकि उसके एक लीवर को दिल्ली भेजा गया. एम्स से मिली जानकारी के अनुसार नाइयों की ढाणी गिडा जिला बालोतरा निवासी भोमाराम को बार बार दौरे पड़ने की समस्या पर 15 दिसंबर को एम्स लाया गया था.

यह पीडियाट्रिक इमरजेंसी विभाग में उसका इलाज शुरू किया गया. इस दौरान CT स्कैन से लेकर कई टेस्ट भी किए गए. जांच में उसके सेरेब्रल एडिमा पाई गई. इसके बाद उन्हें स्टेट्स एप्लेप्टिक्स और सेंट्रल डायबिटीज एनसीपीडस हुआ. जांच के बाद ब्रेन डेड होने पर उसके ऑर्गन डोनेट करने का निर्णय परिजनों ने किया. उसका एक लिवर फ्लाइट से ILBS दिल्ली भेजा गया. जबकि उसकी दो किडनी जोधपुर एम्स में ही एडमिट को लगाई गई.

एम्स जोधपुर में अंगदान की ऐतिहासिक उपलब्धिएम्स जोधपुर में ये अब तक का 10वा कैडेवरिक अंगदान है. जबकि दूसरा बाल अंगदान है. एम्स में अब तन 16 किडनी और लीवर केडेवरिक ट्रांसप्लांट कार्यक्रम के अंतर्गत सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं. इस उपलब्धि के साथ एम्स जोधपुर प्रदेश में कैडेवरिक अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक मजबूत केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां लगातार सफल ट्रांसप्लांट कर कई मरीजों को नया जीवन दिया जा रहा है.

मौत के बाद भी जीवनदानएम्स के अधीक्षक डॉक्टर अभिषेक भारद्वाज ने बताया कि इस अंगदान के लिए भोमाराम के परिवार का आभार. इससे दो लोगों को नई जिंदगी मिल सकेगी. ट्रांसप्लांट के नोडल अधिकारी दो शिवचरण ने बताया कि ऑर्गन डोनेट करने के बाद पांच से छह घंटे में लगाना जरूरी होता है इसलिए फ्लाइट के जरिए दिल्ली भेजा गया. वहीं बच्चे के पिता भैराराम ने कहा कि भले ही वो इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके ऑर्गन दूसरों में ट्रांसप्लांट किए गए .इससे दो लोगों की जिंदगी रोशन हो सकेगी.

अंगदान बना उम्मीद की किरणभोमाराम के परिजनों द्वारा लिया गया यह निर्णय न केवल मेडिकल क्षेत्र के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत है. कम उम्र में बेटे को खोने के गहरे दुख के बावजूद परिजनों ने अंगदान का फैसला लेकर दूसरों के जीवन को बचाने का संकल्प दिखाया. एम्स जोधपुर के चिकित्सकों और ट्रांसप्लांट टीम की तत्परता से यह प्रक्रिया सफल हो सकी. यह मामला एक बार फिर यह संदेश देता है कि अंगदान के जरिए मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन में रोशनी लाई जा सकती है और समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.

लीवर सुरक्षित दिल्ली पहुंचापांच वर्षीय बच्चे भोमाराम का लीवर जोधपुर एयरपोर्ट पहुंचने के बाद दिल्ली के लिए रवाना कर दिया गया. एम्स जोधपुर से एयरपोर्ट तक बनाए गए ग्रीन कॉरिडोर के जरिए लीवर को तय समय में सुरक्षित पहुंचाया गया. इसके बाद एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी और कुछ ही देर में लीवर दिल्ली पहुंच चुका है, जहां अब प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और एक मरीज को नया जीवन मिलने की उम्मीद है.

About the AuthorRupesh Kumar Jaiswal

A Delhi University graduate with a postgraduate Diploma in Journalism and Mass Communication, I work as a Content Editor with the Rajasthan team at India Digital. I’m driven by the idea of turning raw in…और पढ़ें

Location :

Jodhpur,Rajasthan

First Published :

December 22, 2025, 17:53 IST

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