Rajasthan

राजस्थान राजनीति: रिवाज कायम रखने के लिए बीजेपी अपना रही यह रणनीति, दिग्गजों पर लगा रही है दांव

हाइलाइट्स

ज्योति मिर्धा से हनुमान बेनीवाल को मिलेगी चुनौती!
राजेंद्र गुढ़ा और रीटा सिंह देंगे कांग्रेस को बड़ी टक्कर
बीजेपी सेवानिवृत्त अधिकारियों और पेशेवरों को भी जोड़ने में जुटी है

एच. मलिक

 जयपुर. बीजेपी दूसरी राजनीतिक पार्टियों (Political Party) में सेंध लगाकर निरंतर अपना कुनबा बढ़ाने में जुटी है ताकि विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में सरकार बदलने के रिवाज को कायम रखते हुए वो कांग्रेस को पटखनी दे सके. बीजेपी रणनीति के तहत न सिर्फ सीधे अन्य दलों के नेताओं को बीजेपी (BJP) में शामिल कर रही है, बल्कि कुछ नेताओं को अपने गठबंधन दलों में शामिल कराकर भी अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी से जोड़ रही है और कांग्रेस (Congress) के खिलाफ खड़ा कर रही है.

विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की परिवर्तन यात्रा जारी है. इस बीच राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए बीजेपी जातिगत समीकरणों के आधार पर अन्य दलों में सेंधमारी करने की रणनीति अपना रही है.

सुभाष महरिया: चुनाव में डोटासरा से हो सकती है टक्कर
19 मई को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुभाष महरिया कांग्रेस छोड़कर फिर से बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी ने उनकी करीब छह साल बाद ‘घर वापसी’ कराई. वे साल 1998, 1999 व 2004 में लोकसभा के लिए चुने गए. साल 2009 के चुनाव में हार के बाद 2014 के चुनाव में भाजपा ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया तो वे पार्टी से नाराज होकर कांग्रेस में चले गए. अब उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी उन्हें लक्ष्मणगढ़ से चुनाव मैदान में उतार सकती है. वहां उनका मुकाबला राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा से हो सकता है. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे महरिया एक प्रमुख जाट नेता हैं.

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ओम प्रकाश पहाड़िया: वैर सीट को मजबूत करने की रणनीति
इसके बाद 13 जून को कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के बेटे ओम प्रकाश पहाड़िया भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. पूर्व सीएम पहाड़िया के बेटे ओमप्रकाश पहाड़िया ने भारतीय राजस्व सेवा की नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर 2013 में भरतपुर के वैर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था. उन्हें बीजेपी के बहादुर सिंह कोली ने हराया. बाद में बहादुर सिंह कोली सांसद निर्वाचित हो गए थे. इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने पहाड़िया को टिकट नहीं दिया. इससे पहले 2008 में इसी सीट से जगन्नाथ पहाड़िया के छोटे बेटे संजय पहाड़िया भी चुनाव हार गए थे. 2008 से पहले इस सीट पर पहाड़िया परिवार का ही वर्चस्व हुआ करता था. बीजेपी की रणनीति इस सीट को और मजबूती देने की है.

बृजेंद्र सिंह शेखावत: गठबंधन की राजनीति ने बनाया दोस्त
इसके साथ जून में ही पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के करीबी बृजेन्द्र सिंह शेखावत भी बीजेपी में शामिल हुए. बीजेपी में शामिल हुए बृजेन्द्र सिंह शेखावत पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के रिश्तेदार हैं. वो 2008 में गुढ़ा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े हैं. लेकिन बसपा उम्मीदवार राजेंद्र गुढ़ा ने उन्हें हरा दिया था. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया. अब राजनीति इसलिए दिलचस्प हो गई है कि कभी प्रतिद्वंद्वी रहे गुढ़ा और शेखावत अब गठबंधन की राजनीति के चलते दोस्त बन गए हैं.

रीटा सिंह: बीजेपी में ‘पिछले दरवाजे’ से एंट्री
14 अगस्त को राजस्थान पीसीसी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके नारायण सिंह की पुत्रवधू एवं दांतारामगढ़ से विधायक वीरेन्द्र सिंह की पत्नी पूर्व जिला प्रमुख रीटा सिंह ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का दामन थाम लिया है. बता दें कि जेजेपी हरियाणा में बीजेपी के साथ गठबंधन में है. एक तरह से रीटा सिंह की यह पिछले दरवाजे से बीजेपी में ही एंट्री है. जेजेपी ने रीटा सिंह को महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया है. रीटा सिंह पूर्व में कांग्रेस से सीकर जिला प्रमुख रह चुकी है. रीटा के ससुर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री नारायण सिंह दांतारामगढ़ सीट से कई बार विधायक रहे हैं.

राजेंद्र सिंह गुढ़ा: कांग्रेस के खिलाफ मिला अस्त्र
9 सितंबर को कांग्रेस से बर्खास्त किए गए पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने शिव सेना (शिंदे गुट) का दामन थाम लिया. कुछ समय पहले विधानसभा में ‘लाल डायरी’ दिखाकर सियासी भूचाल लाने वाले गहलोत सरकार के मंत्री गुढ़ा को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पार्टी में शामिल कराया. महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन है. इसलिए सियासी हलकों में माना जा रहा है कि बीजेपी ने शिवसेना के जरिए गुढ़ा को अपनी ओर मिलाया है. वो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ आग्नेय अस्त्र के रूप में उपयोग में लिए जा सकते हैं.

ज्योति मिर्धा: नागौर में कांग्रेस का गढ़ भेदा
11 सितंबर को बीजेपी ने कांग्रेस का एक और गढ़ भेदा. नागौर से पूर्व कांग्रेस सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा बीजेपी में शामिल हो गईं. कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मारवाड़ के ताकतवर सियासी परिवार से संबंध रखती हैं. बीजेपी उन्हें नागौर लोकसभा सीट से चुनाव में उतार सकती है. पिछले लोकसभा चुनाव में वे एनडीए के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल से हार गई थीं. तब बेनीवाल ने बीजेपी से गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. अब ये गठबंधन टूट चुका है. बीजेपी को नागौर से मजबूत चेहरे की तलाश थी. ज्योति के साथ ही कांग्रेस नेता सवाई सिंह भी बीजेपी में शामिल हुए.

बीजेपी में कुछ अधिकारी शामिल, कई नेता कतार में
नेताओं के साथ-साथ बीजेपी सेवानिवृत्त अधिकारियों और पेशेवरों को भी पार्टी से जोड़ रही है. जो नेता अभी कतार में हैं, उनमें बीकाणा के दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी, पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री सुरेंद्र गोयल, पूर्व विधायक विजय बंसल, पार्टी से निष्कासित चल रहे रोहिताश्व शर्मा के अलावा निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुड़ला समेत करीब डेढ़ दर्जन बड़े नेता शामिल हैं. पूर्व आईएएस चंद्रमोहन मीणा, पूर्व आईपीएस गोपाल मीणा, पूर्व आईपीएस रामदेव सिंह खैरवा, पूर्व आईएएस पीआर मीणा, डॉक्टर नरसी किराड़ ने भी कुछ समय पहले बीजेपी ज्वॉइन की है.

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