इस जनजाति के लिए हरिद्वार जितनी पवित्र है यह झील, अस्थि विसर्जन के साथ नाखून का भी करते हैं तर्पण

Last Updated:May 08, 2025, 07:53 IST
माउंट आबू की नक्की झील अरावली पर्वतमाला की पहाडियों के बीच बनी प्राचीन मीठे पानी की झील है. गरासिया समाज में इस झील को काफी पवित्र माना जाता है. पूरे साल में जिन लोगों का निधन हो जाता है, उनका अस्थि विसर्जन यही…और पढ़ेंX
नक्की झील पर पूजा करते गरासिया जनजाति के लोग
हाइलाइट्स
गरासिया समाज में नक्की झील को हरिद्वार समान पवित्र माना जाता है.दिवंगत परिजनों का अस्थि और नाखून का तर्पण नक्की झील में किया जाता है.पितृ तर्पण के दौरान सिरनी का प्रसाद वितरित किया जाता है.
सिरोही. राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती जिलों में बसी गरासिया जनजाति में माउंट आबू की प्रसिद्ध नक्की झील को हरिद्वार समान पवित्र माना जाता है. सालभर में अपने दिवंगत परिजनों का तर्पण इसी झील में किया जाता है. ये तर्पण पिपली पूनम से एक माह पहले से शुरू हो जाता है. यहां प्रदेश के सिरोही, पाली, उदयपुर समेत गुजरात के कई जिलों से हजारों की संख्या में जनजाति समुदाय के लोग पहुंचते हैं. जनजाति के वरिष्ठ अधिवक्ता भावाराम गरासिया ने बताया कि माउंट आबू की नक्की झील अरावली पर्वतमाला की पहाडियों के बीच बनी प्राचीन मीठे पानी की झील है.
गरासिया समाज में इस झील को काफी पवित्र माना जाता है. पूरे साल में जिन लोगों का निधन हो जाता है, उनका अस्थि विसर्जन यहीं होता है. दिवंगत की आत्मा की शांति के लिए परिवार यहां आते हैं.
नाखून का होता है झील में तर्पण
विधिवत पूजा-अर्चना कर परिजनों का अस्थि विसर्जन किया जाता है. इसमें किसी परिवार सदस्य की मौत होने पर अस्थि के साथ उसके नाखून का अंश भी लिया जाता है और उसका झील में तर्पण किया जाता है. अगर किसी कारण से परिवार के सदस्य दिवंगत के नाखून का अंश नहीं ले पाने पर अंतिम संस्कार के बाद अस्थि का कुछ हिस्सा लिया जाता है. अगर हड्डी का कुछ हिस्सा भी नहीं ले सकें है, तो उस परिवार को चांदी का नाखून बनवाकर इस झील में विधिवत तर्पण करना पड़ता है. नाखून के तर्पण के पीछे इस झील से जुड़ी एक किंवदंती भी है. जिसके मुताबिक रसिया बालम नामक शिल्पकार ने राजा की पुत्री से विवाह के लिए रखी गई शर्त को पूरा करने के लिए इस झील को अपने नाखून से खोद दिया था. फिर भी एक षडयंत्र की वजह से उसका प्यार अधूरा रह गया था. जिसके बाद ये अमर प्रेम कथा की निशानी के रूप में इस झील को पहचाना जाता है.
सिरनी प्रसाद बनाकर पहनाई जाती है माला
नक्की झील के किनारे पितृ तर्पण के दौरान पूजा-अर्चना कर सिरनी का खास प्रसाद वितरित किया जाता है. साथ ही पूजा में शामिल होने वाले परिजनों को एक तत्मराह की माला भी पहनाई जाती है. परिवार के सदस्य झील में डुबकी लगाकर को दिवंगत परिजन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है.
Location :
Sirohi,Rajasthan
homedharm
इस जनजाति के लिए बेहद पवित्र है नक्की झील, तर्पण के लिए लगता है जमावड़ा
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