सीबीएसई 12th परिणाम के फार्मूला पर रार, टॉपर्स पिछड़े,डिटेल– News18 Hindi

नई दिल्ली. CBSE 12th Result: सीबीएसई 12 वीं कक्षा के परीक्षा परिणामों के जारी होने के बाद से ही विद्यार्थियों और अभिभावकों में भारी असंतोष सामने आ रहा है. परिणाम जारी करने में अपनाए गए फॉर्मूला से नाराज अभिभावक सीबीएसई के खिलाफ अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं. अभिभावकों का आरोप है कि परिणाम में सीबीएसई ने जिन शर्तो को अपनाया है इससे हजारों की तादात में उन विद्यार्थियों को अंकों में भारी नुकसान हुआ हैं, जो पहले टॉपर हुआ करते थे.
सीबीएसई बारहवीं कक्षा के परिणाम जारी होने के बाद एक तरफ विद्यार्थियों में जश्न का माहौल देखा गया. तो इससे उलट दूसरी ओर वे विद्यार्थी निराश दिखाई दे रहे हैं जो पिछली कक्षाओं में अच्छे अंकों से सफल हुए थे, लेकिन इस बार सीबीएसई के प्रमोट करने के फार्मूला से पिछड़ गए. दरअसल, सीबीएसई ने कोविड -19 महामारी के कारण कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए बोर्ड परीक्षा रद्द होने के बाद, सीबीएसई ने सीबीएसई कक्षा के परिणाम 2021 के लिए 30:30:40 वेटेज पर तैयार किया गया. परिणाम में सबसे पहले 30 प्रतिशत कक्षा 10वीं, 30% कक्षा 11वीं और 40% कक्षा 12वीं के अंकों से प्रमोट रिजल्ट का तैयार किया गया. लेकिन इसमें विद्यार्थियों के व्यक्तिगत स्कोर के साथ ही स्कूलों के अंकों के स्कोर की शर्ते भी जोड़ी गई. जिससे उन स्कूलों के विद्यार्थियों को नुकसान जिनसे पहली बार बाहरवीं के बैच के विद्यार्थी पास आउट हुए. इन नई स्कूलों के लिए पिछले अंकों के बजाय अधिकतम48 प्रतिशत अंको की शर्त जोड़ी गई. जिसके कारण जिन विद्यार्थियों को बेहतर अंक मिल सकते थे उन्हें आशानुरूप अंक नहीं मिल सके.
परिणाम के बाद से ही अभिभावकों और विद्यार्थियों में भारी असंतोष नजर आ रहा हैं. पैरेंट्स की माने तो इसका असर करीब 65 हजार विद्यार्थियों पर है. जिन पर ये फार्मूला भारी पड़ गया है. जयपुर में ऐसी तेरह स्कूल है जिनके विद्यार्थियों पर इसका असर पड़ा हैं. सीबीएसई की ओर से जारी मुख्य परिणाम में इनका परिणाम जारी नहीं किया गया. वरन एक सप्ताह बाद बीते दिन मंगलवार को परिणाम जारी किया गया है. जिसके बाद अब बच्चे और अभिभावक दर-दर के चक्कर काट रहे हैं.
न्यू बैच के विद्यार्थियों को स्कूलों की ओर से उनकी पिछली कक्षाओं के अंकों सीबीएसई की ओर से जारी फार्मूले के तहत नेशनल ऐवरेज 48 फीसदी के अनुसार ही जोड़ा गया. जिसके चलते इन बच्चों के कुल योग ही 65 से 70 फीसदी रहा है. इस साल परिणाम 99 फीसदी से ज्यादा रहा है ऐसे में अब इन बच्चों के पास उच्च शिक्षा में प्रवेश के सभी रास्ते बंद हो गए हैं. इसलिए सीबीएसई को फिर से इन बच्चों का परिणाम पहले फार्मूले के आधार पर जारी करके राहत देनी चाहिए. पैरेंट्स इसमें स्कूलों की गलती भी बता रहे हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन का कहना है कि इसमें उनकी ओर से कोई गलती नहीं हैं. वे बस सीबीएसई के नियमों को फॉलो कर रहे हैं.
लेकिन इससे उनके विद्यार्थियों का अहित जरूर हुआ हैं. बरहाल, अभिभावक फिलहाल सड़कों से लेकर सोशल मीडिया पर अपनी मुहिम चला रहे हैं. सीबीएसई तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में भी जुटे हैं. लेकिन बोर्ड की ओर से अभी तक उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई हैं. लिहाजा, अब न्यायालय की शरण में जाने की भी अभिभावकों की तैयारी हैं.
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