गंभीर का लाडला होने का लगा था आरोप, वो तीन कारण क्यों सिराज पर भारी पड़े राणा

Last Updated:February 15, 2025, 12:16 IST
Harshit Rana का चयन जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में हुआ था, लेकिन इसने कई सवाल खड़े किए क्योंकि उन्होंने मोहम्मद सिराज जैसे अनुभवी गेंदबाजों को पीछे छोड़ दिया था.
चैंपियंस ट्रॉफी में चयनकर्ताओं ने मोहम्मद सिराज की जगह हर्षित राणा को चुना.
नई दिल्ली: जब ये तय हो गया कि इंजर्ड जसप्रीत बुमराह चैंपियंस ट्रॉफी में भारत के लिए नहीं खेल पाएंगे तो चयनकर्तओं ने सिर्फ तीन वनडे पुराने हर्षित राणा को चुना. अनुभवहीन मोहम्मद सिराज को नजरअंदाज कर दिया गया. क्रिकेट जगत में चे चर्चा आम है कि हर्षित राणा का सिलेक्शन गौतम गंभीर के KKR कोटा से हुआ है. मगर इस बात में कितनी सच्चाई है. क्या वाकई राणा हेड कोच के करीबी होने के चलते चुने गए या फिर उनमें वाकई मोहम्मद सिराज से ज्यादा काबिलियत है, चलिए समझते हैं.
हर्षित राणा के वनडे डेब्यू की शुरुआत धमाकेदार रही, भले ही पहले ओवर में उन्होंने 11 रन लुटा दिए. दूसरे ओवर में रन गति पर लगाम लगी, लेकिन तीसरे ओवर में फिल सॉल्ट ने उन्हें 26 रन ठोक डाले. राणा को अटैक से हटाया गया. मगर तीन ओवर बाद वापसी करते हुए उन्होंने अपने वनडे करियर का पहला विकेट ले लिया. बेन डकेट को एक शानदार गेंद पर क्लीन बोल्ड किया. अपने अगले ओवर में हैरी ब्रूक को भी आउट किया, जिससे इंग्लैंड का स्कोर 3 विकेट पर 77 रन हो गया.
कप्तान रोहित शर्मा ने स्पष्ट किया कि सिराज का बाहर होना “दुर्भाग्यपूर्ण” था और राणा का चयन उनकी क्षमता को देखते हुए किया गया था. उन्होंने दलीप ट्रॉफी और ऑस्ट्रेलिया दौरे में प्रभावित किया था. 22 साल के राणा में मैच जिताने की क्षमता है. वह नई गेंद से दोनों तरफ स्विंग करा सकते हैं. धीमी गेंद से वैरिएशन ला सकते हैं. डेथ ओवर्स में अपनी गति से बल्लेबाजों को परेशान कर सकते हैं.
राणा एक उपयोगी बल्लेबाज भी हैं, जिनके नाम प्रथम श्रेणी शतक है. वह निचले क्रम में रन बनाने की क्षमता रखते हैं, जैसा कि उन्होंने अहमदाबाद में खेले तीसरे वनडे में दिखाया था. गेंद और बल्ले से उनकी उपयोगिता उन्हें चैंपियंस ट्रॉफी के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है, खासकर दुबई की पिच पर जहां टूर्नामेंट खेला जाएगा.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 15, 2025, 12:16 IST
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गंभीर का लाडला होने का लगा था आरोप! वो तीन कारण क्यों सिराज पर भारी पड़े राणा?