GANESH CHATURTHI JAIPUR NAHAR KE GANESHJI TEMPLE – नहर के गणेशजी के विशेष श्रृंगार, भक्त कर रहे चित्र दर्शन

ब्रह्मपुरी स्थित नहर के गणेशजी मंदिर (Nahar Ke Ganeshji Temple) में (Ganesh Chaturthi) गणेश जन्मोत्सव 9 सितंबर से शुरू होगा। इससे पहले सोमवार को महंत परिवार की ओर से गणेशजी महाराज का विशेष शृंगार (special makeup) शुरू किया गया। हालांकि मंदिर के पट सोमवार से दो दिन मंगल रहेंगे, भक्त गणेशजी महाराज के चित्र दर्शन कर रहे हैं। विशेष श्रृंगार के साथ गणेश जी महाराज के दर्शन 8 सितंबर को खुलेंगे।

नहर के गणेशजी के विशेष श्रृंगार, भक्त कर रहे चित्र दर्शन
— गणेश जन्मोत्सव को लेकर तैयारी
— 8 सितंबर को खुलेंगे विशेष श्रृंगार दर्शन
जयपुर। ब्रह्मपुरी स्थित नहर के गणेशजी मंदिर (Nahar Ke Ganeshji Temple) में गणेश जन्मोत्सव (Ganesh Chaturthi) 9 सितंबर से शुरू होगा। इससे पहले सोमवार को महंत परिवार की ओर से गणेशजी महाराज का विशेष शृंगार (special makeup) शुरू किया गया। हालांकि मंदिर के पट सोमवार से दो दिन मंगल रहेंगे, भक्त गणेशजी महाराज के चित्र दर्शन कर रहे हैं। विशेष श्रृंगार के साथ गणेश जी महाराज के दर्शन 8 सितंबर को खुलेंगे। इसके बाद 9 सितंबर से तीन दिवसीय गणेश जन्मोत्सव के आयोजन शुरू होंगे। वहीं गणेश चतुर्थी पर 10 सितंबर को मंदिर में भक्तों का प्रवेश निषेध रहेगा।
मंदिर महंत जय शर्मा ने बताया कि दो दिन गणेशजी महाराज का विशेष शृंगार किया जा रहा है, इस दौरान दर्शन बंद है, भक्त चित्र दर्शन कर रहे है। गणेशजी महाराज को चोला चढा कर महंत परिवार की ओर से शृंगार किया जा रहा है। विशेष शृंगार के दर्शन 8 सितंबर को खुलेंगे। इसके बाद 9 सितंबर से तीन दिवसीय गणेश जन्मोत्सव के आयोजन शुरू होंगे, पहले दिन सिंजारा महोत्सव मनाया जाएगा। गणेशजी महाराज को मोठडा लहरिया की पोशाक धारण करवाई जाएगी। इस दिन शाम को मोदकों की झांकी के दर्शन होंगे। गणेश चतुर्थी पर 10 सितंबर को सुबह मंगला आरती होगी। इसके बाद गणेशजी महाराज को दुर्वा अंकुर समर्पण होगा, अभिजित काल में गणपति का अभिषेक व जन्मोत्सव का पूजन अर्चन होगा। विशेष भोग लगाया जाएगा, शाम को महाआरती होगी। महंत जय शर्मा के अनुसार इस दिन दर्शनार्थियों के लिए मंदिर बंद रहेगा। भक्त आॅनलाइन ही गणेशजी महाराज के दर्शन कर सकेंगे। इस दिन गणेशजी को राजशाही पोशाक और रजत मुकुट धारण करवाया जाएगा। वहीं 11 सितंबर को ऋषि पंचमी पर अभिजित काल में सप्तऋषियों का पूजन—अर्चन होगा।