Rajasthan

Ganguar Puja 2024: क्यों खास है राजस्थान में गणगौर का त्योहार, जानें कितने दिन पूजी जाती हैं गणगौर? | Ganguar Puja 2024: Why is the festival of Gangaur special in Rajasthan

ज्योतिषाचार्य पं. नरेश शर्मा ने बताया कि गणगौर के दिन ईसर-गणगौर की पार्वती व शिव के रूप में पूजा की जाती है। उन्हें भोग स्वरूप गुणा-सकरपारा अर्पित किए जाते हैं। कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए पूजा करती हैं। वहीं विवाहित महिलाएं अखंड सुहाग की कामना के लिए व्रत रखकर गणगौर पूजन करती हैं।

यूं होती है गणगौर पूजा गणगौर पूजा में 16 अंक का विशेष महत्व है। गणगौर पूजा 16 दिनों की होती है। गणगौर पूजन के लिए कुंवारी कन्याएं और सुहागिन महिलाएं सुबह सुंदर वस्त्र, आभूषण पहन कर सिर पर लोटा लेकर बाग- बगीचों में जाती हैं। वहीं से ताजा जल लोटों में भरकर उसमें हरी-हरी दूब और फूल सजाकर सिर पर रखकर गणगौर के गीत गाती हुई घर आती हैं। इसके बाद मिट्टी से बने शिव स्वरूप ईसर और पार्वती स्वरूप गौर की प्रतिमा और होली की राख से बनी 8 पिंडियों को दूब पर एक टोकरी में स्थापित करती हैं। दूब घास और पुष्प से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। 16 दिन तक दीवार पर सोलह-सोलह बिंदिया रोली, मेहंदी, हल्दी और काजल की लगाई जाती हैं। दूब से पानी के 16 बार छींटे 16 श्रृंगार के प्रतीकों पर लगाए जाते हैं। गणगौर को चढ़ने वाले प्रसाद और फल, सुहाग सामग्री भी 16 के अंक में चढ़ाई जाती है। वहीं उद्यापन करने वाली महिलाएं 16 सुहागिनों को भोजन कराकर उपहार स्वरूप भेंट देती हैं।

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