गहलोत बनाम पायलट, गांधी परिवार से किसकी है ज्यादा करीबी, देखें सियायत की नई तस्वीर, क्या है मायने? Gehlot vs Pilot who is closer to Gandhi family see Siysat new picture, what is its political meaning?
जयपुर. राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट में से कौन कांग्रेस के सर्वेसर्वा गांधी परिवार के करीब है. इसको लेकर हाल ही में एक नई राजनीतिक तस्वीर उभरकर सामने आई है. गांधी परिवार के राहुल इस बार केरल के वायनाड के साथ ही उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से पहले इंदिरा गांधी और बाद में सोनिया गांधी भी सांसद रह चुकी हैं. अब यह सीट गांधी खानदान की तीसरी पीढ़ी यानी राहुल के पास आई है. यह कांग्रेस की पंरपरागत सीट मानी जाती है.
हालांकि यूपी की अमेठी भी कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. लेकिन इस बार वहां से गांधी परिवार को कोई सदस्य से चुनाव नहीं लड़ रहा है. बीते लोकसभा चुनाव में बीजपी की स्मृति ईरानी ने वहां से राहुल गांधी को चुनाव हरा दिया था. स्मृति ईरानी इस बार फिर वहां से चुनाव मैदान में डटी हैं. लेकिन कांग्रेस ने वहां राहुल की बजाय दूसरे उम्मीदवार पर दांव खेला है. इस बार अमेठी सीट की जीत का जिम्मा यानी प्रभार राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत को सौंपा गया है.
दोनों की सियासी प्रतिद्वंदता किसी से छिपी नहीं हैदूसरी तरफ छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी एवं राजस्थान के दिग्गज नेता सचिन पायलट मंगलवार को रायबरेली में राहुल गांधी की चुनावी रैली में पहुंचे. उसके बाद सियासी हलकों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि क्या गहलोत की गांधी परिवार से दूरियां और पायलट की नजदीकियां बढ़ गई? हालांकि गहलोत को सोनिया के बेहद करीब माना जाता है. वहीं पायलट को राहुल और प्रियंका का करीबी माना जाता है. पायलट और गहलोत दोनों की सियासी प्रतिद्वंदता किसी से छिपी नहीं है.
सियासी गलियारों में लगाए जा रहे हैं कई मायनेबीते पांच बरसों में दोनों की खींचतान देशभर में सुर्खियों में रही थी. लेकिन अमेठी में पिछली बार राहुल की हार के बाद एक तरह से गहलोत को जहां चुनौतीपूर्ण काम के रूप में अमेठी का जिम्मा सौंपा गया है. वहीं राहुल के लिए पायलट से प्रचार करवाना नए सियासी संकेत दे रहे हैं. हालांकि कांग्रेस से जुड़े नेता इस महज इत्तेफाक बता रहे हैं लेकिन राजनीति के जानकार इसमें कई सियासी संदेशों की पड़ताल में जुटे हैं. बहरहाल ये सियासी संदेश आगे क्या रंग दिखाएंगे यह तो कहना मुश्किल है लेकिन सियासी गलियारों में अलग-अलग एंगल से देखा जा रहा है
FIRST PUBLISHED : May 15, 2024, 15:23 IST