खींचन के तालाबों पर कुरजां ने डाला डेरा, सात समंदर पार से आए विदेशी मेहमान

जोधपुर/फलोदी: सात समंदर पार से साइबेरियन कुरजां पक्षी शीतकालीन प्रवास के लिए खीचन पहुंचने लगी हैं. अब तक करीब 10,000 कुरजां आ चुकी हैं, और इस बार अच्छी बारिश के कारण 40,000 से अधिक कुरजां के आने की उम्मीद है. पक्षी प्रेमी सेवाराम माली इनकी देखभाल कर रहे हैं और दूरबीन की सहायता से उनकी रोजाना गिनती भी करते हैं. चुग्गाघर में भोजन करने के बाद कुरजां आसपास के खेतों में चली जाती हैं. इनके आगमन से पहले तालाब और पड़ाव स्थलों की सफाई की जाती है, ताकि प्रवास के दौरान उन्हें अनुकूल वातावरण मिले.
कुरजां के लिए विशेष संरक्षित क्षेत्र की व्यवस्थाजिला प्रशासन और स्थानीय वन्यजीव प्रेमियों के सहयोग से खीचन में कुरजां के लिए एक विशेष चुग्गाघर बनाया गया है, जो चारों ओर से तारबंदी से सुरक्षित है. यहां हजारों कुरजां रोजाना सुबह दाना चुगने आती हैं और उसके बाद पास के तालाबों में पानी पीने जाती हैं. यह नजारा देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं और इन खूबसूरत पलों को कैमरे में कैद करते हैं.
पर्यटन से रोजगार में वृद्धिकुरजां की बदौलत खीचन के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले हैं. पर्यटन सीजन में स्थानीय लोग गेस्ट हाउस और होमस्टे सेवा के माध्यम से पर्यटकों का स्वागत करते हैं. साथ ही, कई लोग फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और कुरजां के बारे में पर्यटकों को जानकारी देने के लिए गाइड के रूप में काम करने लगे हैं. इस प्रकार, कुरजां के आगमन से खीचन एक उभरते हुए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है.
अब खीचन के साथ मारवाड़ के अन्य क्षेत्रों में भी पहुंची कुरजांपहले कुरजां केवल खीचन में ठहरती थीं, लेकिन अब ये जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, और करौली सहित मारवाड़ के कई अन्य क्षेत्रों में भी प्रवास करने लगी हैं. ये पक्षी साइबेरिया से करीब 6,500 किलोमीटर की यात्रा कर मंगोलिया, नेपाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और पाकिस्तान तक पहुंचती हैं. खीचन में करीब 40-50 हजार कुरजां हर वर्ष आती हैं, जिससे यह क्षेत्र पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गया है.
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FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 21:44 IST