Glaucoma steroid eye drops can lead to glaucoma risk in diabetic high bp patients says aiims rp center doctor tanuj dada kala motiabind

हाइलाइट्स
ग्लूकोमा में आंख की रोशनी पूरी तरह खत्म हो सकती है.
काला मोतिया का समय से पता चलने पर इलाज हो सकता है.
Glaucoma : ग्लूकोमा या काला मोतियाबिंद (Kala Motiyabind) के बारे में आमतौर पर लोगों को यही मालूम होता है कि यह बीमारी अगर एक बार हो जाए तो आंख को अंधा कर देती है लेकिन इससे भी जरूरी बात ये है कि अगर एक बार ग्लूकोमा (Glaucoma) में आंख की रोशनी (Eye Sight) चली जाए तो वह किसी भी उपाय से वापस नहीं आ सकती है. इसके साथ ही यह साइलेंट बीमारी है, इसके लक्षण भी दिखाई नहीं देते. यही वजह है कि यह आंख में धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और रोशनी को छीनती रहती है. मॉडर्न साइंस में अभी तक ऐसा कोई इलाज नहीं है जो ग्लूकोमा में अंधे हो चुके व्यक्ति की आंख की रौशनी वापस ला दे. एम्स (AIIMS) के डॉक्टर कहते हैं कि बेहद अजीब है लेकिन आंखों में डाली जाने वाली विशेष दवा भी इस बीमारी को पैदा कर सकती है.
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMA) स्थित आरपी सेंटर फॉर ऑप्थेल्मिक साइंसेज (RP Center for Ophthalmic Sciences) में ग्लूकोमा सर्विसेज के प्रोफसर और हेड डॉ. तनुज दादा कहते हैं कि ग्लूकोमा आंख के बाहरी नहीं बल्कि अंदरूनी हिस्से की बीमारी है. आंख की ऑप्टिक नर्व ब्रेन को संकेत भेजती है और हमें दिखाई देने लगता है लेकिन इस बीमारी में ऑप्टिक नर्व यानि तंत्रिका तंत्र खराब या क्षतिग्रस्त हो जाता है और ब्रेन तक करंट नहीं पहुंच पाता. लिहाजा आंख के सामने अंधेरा रहता है और कुछ भी दिखाई नहीं देता. यह बीमारी लोगों को अंधा बना देती है.
ये भी पढ़ें- चश्मा या कॉन्टेक्ट लैंस! आंखों के लिए क्या है सबसे बेहतर? AIIMS की डॉक्टर से जानें
आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
डॉ. तनुज कहते हैं कि ज्यादा गर्मी, प्रदूषण और धूल वाले इलाकों में लोगों को एलर्जी या आंख में खुजली की शिकायत होना आम है. अक्सर छोटे बच्चों की भी आंख लाल हो जाती है तो ऐसे में लोग कई बार मेडिकल स्टोर्स पर जाकर या खुद ही एलर्जी को ठीक करने वाली आई ड्रॉप्स या ट्यूब्स खरीद लेते हैं और उन्हें आंखों में डालते रहते हैं. ऐसा ये लोग कई-कई महीनों तक करते रहते हैं और चाहे बच्चा हो या बड़े आखिरकार ग्लूकोमा की चपेट में आ जाते हैं. ये स्टेरॉइड वाली आई ड्रॉप्स आंखों की रोशनी छीन लेती हैं. ऐसे बहुत सारे मरीज अस्पताल आते हैं. लोगों के लिए इसे समझना बेहद जरूरी है.
ग्लूकोमा को साइलेंट थीफ कहते हैं. यह चुपचाप आंखों की रोशनी को खत्म करता रहता है. 80-90 फीसदी लोगों को पता भी नहीं चलता कि उन्हें ग्लूकोमा की शिकायत शुरू हो चुकी है. जब आंख से दिखाई देना ज्यादा कम होने लगता है तो वे डॉक्टरों के पास आंखों की जांच कराने जाते हैं.
ये भी पढ़ें- हाइट के हिसाब से कितना होना चाहिए वजन? ऐसे करें जांच, सही वजन से डायबिटीज और मोटापे की होगी छुट्टी
. डॉ. तनुज दादा कहते हैं कि अगर परिवार में किसी को ग्लूकोमा है तो अन्य लोगों को ये बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है.
. डायबिटीज और हाई बीपी के मरीजों को आंख में ग्लूकोमा होने की शिकायत होना काफी हद तक संभव है.
. अगर किसी की एक आंख में ग्लूकोमा है तो दूसरी आंख में भी होने का रिस्क होता है.
. खासतौर पर अडल्ट में आंख का नंबर प्लस या माइनस में तेजी से बढ़ रहा है तो उन्हें भी काला मोतिया होने का खतरा रहता है. हालांकि इसमें बच्चों का नंबर तेजी से बढ़ता ही है.
. आंख में बॉल, पैन या किसी अन्य चीज से चोट लगने पर भी काला मोतिया हो सकता है.
डॉ. दादा कहते हैं कि काला मोतिया (Kala Motiya) को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन राहत की बात ये है कि आज बाजार में ग्लूकोमा की बहुत अच्छी अच्छी दवाएं आ चुकी हैं. समय रहते इसका उपचार संभव है. अगर मरीज समय से अपनी आंख का चेकअप कराते हैं और इन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो जो रौशनी खत्म हो चुकी है वह तो वापस नहीं आती लेकिन बाकी की नजर बची रहती है. इसके अलावा योग और प्राणायाम (Yoga and Pranayam) से भी ग्लूकोमा में राहत देखी गई है. जो लोग लगातार योग करते हैं उनकी आंखों का इंट्रा ऑक्यूलर प्रेशर (IOP) भी स्थिर रहता है और उनकी आंखें बची रहती हैं.
ये भी पढ़ें- दाल-चावल या दाल रोटी? रोजाना क्या खाना है सही, किससे मिलती है ज्यादा एनर्जी-पोषण, डायटीशियन से जानें
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Blood Pressure Machine, Diabetes, Eyes, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : March 12, 2023, 14:12 IST