सोना-चांदी, अफीम-गांजा छोड़िए, कभी पाकिस्तान में होती थी इनके गानों की तस्करी, इंग्लैंड भी था दीवाना

Last Updated:March 07, 2025, 14:00 IST
Ajab-Gjab News : भारत के बिजल खान मेहर की आवाज की दीवानगी पाकिस्तान तक फैली थी, उनके गाने ऑडियो कैसेट्स के माध्यम से तस्करी कर पहुंचते थे. राजस्थानी संस्कृति के गीतों में उनकी अनोखी पहचान है.X
पाकिस्तानी में होती थी तस्करी
हाइलाइट्स
बिजल खान मेहर के गाने पाकिस्तान में तस्करी से पहुंचते थेइंग्लैंड में भी बिजल खान के गानों की दीवानगी थीबिजल खान मेहर राजस्थानी संगीत के प्रसिद्ध गायक हैं
बाड़मेर. कहते है कि किसी की दीवानगी कभी सरहदे नही देखती है. वह सरहद की सीमाएं ही नही सात समंदर को पार कर देती है. ऐसी ही दीवानगी भारत की सरहद से उस पार पाकिस्तान में बिजल खान मेहर की भी है. अब तक हजारों गानों को अपनी आवाज दे चुके बिजल खान मेहर की आवाज़ की दीवानगी का आलम यह था कि भारत पाकिस्तान के बीच तस्करी के दौर में इसकी ऑडियो कैसेट्स की तस्करी हुआ करती थी.
कहा जाता है कि उस दौर में जब संचार के साधन सीमित थे, तब उनके गाने ऑडियो कैसेट्स के माध्यम से चोरी-छिपे पाकिस्तान तक पहुंचते थे. सीमा पार भी उनके गीतों की जबरदस्त मांग थी. सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, इंग्लैंड जैसे देशों में भी राजस्थान के प्रवासी और लोकसंगीत प्रेमी उनके गीतों को बड़े चाव से सुनते थे. भारत के स्थानीय तस्कर पाकिस्तान में अपने साथियों के लिए बिजल खान मेहर के कैसेट्स तस्करी कर साथ ले जाते थे. महज साक्षर बिजल खान कई देशों की यात्राएं कर खुद की लाइव परफॉर्मेंस भी दे चुके है.
बिजल खान मेहर एक प्रतिभाशाली गायक और संगीतकार हैं जिन्होंने राजस्थानी संगीत उद्योग में अपनी एक अलग पहचान बनाई है. बिजल खान मेहर का जन्म साल 1963 को बाड़मेर जिले के शिव तहसील के गूंगा गांव से 10 किमी दूर चका गंगा (अटलानीयो ढाणी ) में हुआ. बिजल खान मेहर एक सिन्धी मुस्लिम है जो मेहर बिरादरी से आते है.
बिजल खान मेहर को उनके संगीत की शैली और अपनी आवा़ज की अनोखी पहचान के लिए जाना जाता है. उनके गीतों में राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं की झलक दिखाई देती है. उनके गीतों में रेगिस्तान की रेत, ऊंटों की चाल, लोकजीवन की कहानियां और प्रेम-पीर का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है. खासकर उनका गीत ‘धोरों माथे झुपड़ी रे…’ आमजन के बीच बेहद प्रसिद्ध हुआ था. उन्होंने कई सारे हिट गीत गाए हैं, जिनमें ‘बादलिया’, धोरे माथे झोपडी,उड़े-बाई री माखी, अंगूठी पूरनमल,लिखिओ बाई रो लेख, मोरुडो जैसे कहीं सारे गीत शामिल हैं. उनके गीतों को राजस्थानी संगीत प्रेमियों द्वारा बहुत पसंद किया जाता है.
Location :
Barmer,Rajasthan
First Published :
March 07, 2025, 14:00 IST
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सोना-चांदी, अफीम-गांजा छोड़िए, कभी पाकिस्तान में होती थी इनके गानों की तस्करी