Rajasthan

Raag Malhar played on the violin felt the rain | वायलिन पर बजा राग मल्हार तो हुआ बारिश का आभास

जवाहर कला केंद्र में रविवार की शाम बड़ी धुनमयी रही। वायलिन की धुन सुनकर श्रोताओं ने रंगायान सभागार में आभासी बारिश का आनंद लिया। मौका था जेकेके की ओर से आयोजित राग मल्हार कार्यक्रम का।

जयपुर

Published: July 24, 2022 09:23:57 pm

वायलिन पर बजा राग मल्हार तो हुआ बारिश का आभास
राग मल्हार उत्सव में पिता-पुत्र की जोड़ी ने बांंधा समा जयपुर। जवाहर कला केंद्र में रविवार की शाम बड़ी धुनमयी रही। वायलिन की धुन सुनकर श्रोताओं ने रंगायान सभागार में आभासी बारिश का आनंद लिया। मौका था जेकेके की ओर से आयोजित राग मल्हार कार्यक्रम का। जयपुर के पंडित कैलाश चंद्र मोठिया और उनके बेटे योगेश चंद्र मोठिया की जुगलबंदी ने वायलिन पर धुन छेडक़र मेघों का आह्वान किया।
पंडित कैलाश मोठिया और योगेश चंद्र ने विदेशी वाद्य यंत्र वायलिन पर बखूबी भारतीय राग मल्हार बजाई। तबले पर परमेश्वर लाल कत्थक व पखावज पर डॉक्टर त्रिपुरारी सक्सेना ने संगत की। कार्यक्रम इंद्र देवता को प्रसन्न करने का यह बड़ा प्रयास रहा। राग मल्हारी आलाप से कार्यक्रम का आगाज हुआ। इसके बाद जोड़ आलाप, द्रुत गति में झाला, तीन ताल में विलंबित मसीतखानी गतए मध्यलय तीन ताल में विलंबित रजाखानी गत बजाई। पंडित कैलाश मोठिया ने पंडित विश्व मोहन भट्ट रचित धुन द मिटिंग बाई रिवर पेश की तो श्रोता झूम उठे। इसके बाद उन्होंने राग दरबारी, वंदे मातरम् और अंत में राग भैरवी की प्रस्तुति दी।
रावणहत्थे से प्रेरित है वायलिन
पंडित कैलाश मोठिया ने बताया कि वायलिन की खोज भले ही जर्मनी में हुई हो लेकिन वह भारतीय वाद्य यंत्र रावणहत्थे से प्रेरित है। रावण ने रावणहस्त्रम नामक वाद्य यंत्र बनाया था जो बाद में रावणहत्था कहलाने लगा।
वायलिन को दिया भारतीय रूप
कैलाश मोठिया ने 10 वर्ष की मेहनत के बाद एक खास तरह का वायलिन कैलाश रंजनी बेला तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इसमें चार की जगह पॉंच मुख्य तार है वहीं चौदह तरह के तार है। कार्यक्रम के दौरान मोठिया के पुत्र योगेश ने कैलाश रंजनी बेला बजाया।

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