गोलमाल है भाई…. किसानों के नाम पर 76 लाख का घोटाला, दो साल तक चलता रहा खेल, जानें पूरा मामला

Last Updated:March 16, 2025, 15:26 IST
बैंक घोटाला: पाली में सहकारी समिति के मिनी बैंक के असिस्टेंट मैनेजर विक्रमसिंह ने 76 लाख रुपए का गबन किया. उन्होंने 200 से ज्यादा फर्जी एंट्री कर किसानों के लोन में हेराफेरी की. मामले की जांच जारी है.X
पाली किसानों के साथ गबन
हाइलाइट्स
पाली में 76 लाख का बैंक घोटाला उजागर.असिस्टेंट मैनेजर ने 200 से ज्यादा फर्जी एंट्री की.आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज, जांच जारी.
हेमंत लालवानी/पाली. “जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो दूसरों को दोष देना बेकार है” यह कहावत उस समय सच साबित हुई जब सहकारी समिति के मिनी बैंक के असिस्टेंट मैनेजर ने ही बैंक के साथ गबन कर डाला. यह गबन एक या दो लाख का नहीं, बल्कि पूरे 76 लाख रुपए का था. पाली में किसानों को लोन देने के नाम पर असिस्टेंट मैनेजर ने दो साल में 201 से ज्यादा फर्जी एंट्री की और हजारों किसानों के खातों में तय राशि से कम पैसा ट्रांसफर किया. इसके अलावा, किसानों की जमा राशि में भी हेराफेरी की गई. बैंक की आंतरिक जांच में यह मामला सामने आया, जिसके बाद प्रारंभिक जांच के तहत असिस्टेंट मैनेजर को निलंबित कर दिया गया. वहीं, 13 मार्च को रानी थाने में समिति ने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर मामले की जांच की मांग की है.
76 लाख रूपए का गबनरानी थाने के थानाधिकारी पन्नालाल के अनुसार, बिजोवा ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड और मिनी सहकारी बैंक के वर्तमान व्यवस्थापक सोनाराम और उपाध्यक्ष लच्छाराम चौधरी ने थाने में शिकायत दर्ज करवाई है. रिपोर्ट में बताया गया कि बैंक के तत्कालीन असिस्टेंट मैनेजर विक्रमसिंह ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर 76,65,394 रुपए और 56 पैसे का गबन किया. पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है.
200 से ज्यादा एंट्री कर किया गबनपाली सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक अधिशाषी अधिकारी श्रवणसिंह खंगारोत की ओर से की गई आंतरिक जांच में बड़ा खुलासा हुआ. जांच में पता चला कि विक्रमसिंह ने वित्तीय साल 2022-23 और 2023-24 के दौरान 200 से अधिक फर्जी एंट्री की. आरोपी ने रबी और खरीफ फसलों के लोन देने के नाम पर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लोन स्वीकृत किए और मिनी बैंक के बजट में भी हेराफेरी की. बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट के जरिए धनराशि जमा करवाई गई, लेकिन इसकी रसीद जारी नहीं की गई. गड़बड़ियों के सामने आने के बाद 31 मई 2024 को संचालक मंडल ने विक्रमसिंह को निलंबित कर दिया. अंततः 13 मार्च 2025 को रानी थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया गया.
किसानों को रखा अंधेरे मेंसमिति से रबी और खरीफ की फसल बोने के लिए किसान लोन लेने आते हैं, यहां बायोमेट्रिक फिंगर प्रिंट के जरिए उनका लोन स्वीकृत किया जाता है. समिति प्रबंधन के अनुसार, आरोपी विक्रमसिंह ने किसानों के लोन में हेराफेरी की. उदाहरण के लिए, यदि किसी किसान का 50,000 रुपए का लोन स्वीकृत हुआ, तो उसके खाते में केवल 40,000 रुपए ट्रांसफर किए गए. ऐसा हजारों किसानों के साथ किया गया. इसके अलावा, मिनी बैंक के अकाउंट में भी अनियमितताओं की जानकारी सामने आई है, जिससे बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी उजागर हुई.
अब की जाएगी वसूली की कार्यवाहीपाली सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक प्रशांत कल्ला ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही गबन की गई राशि की वसूली की बात कही है. बैंक के सहायक अधिशाषी अधिकारी श्रवणसिंह खंगारोत की जांच में 76,65,394.56 रुपए के गबन और वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. इस आधार पर असिस्टेंट मैनेजर विक्रमसिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2011 की धारा 55 के तहत जांच जारी है. गबन का यह मामला बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट के लेन-देन और किसानों को दिए जाने वाले रबी-खरीफ फसली लोन से जुड़ा है, जो जांच में उजागर हुआ है. अब प्रशासन की ओर से वसूली की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी.
जानें बैंक की योजनापाली सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक जिले भर में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को रबी और खरीफ की फसल के लिए लोन प्रदान करता है. बिजोवा ग्राम सेवा सहकारी समिति साल में दो बार क्षेत्र के 492 किसानों को बिना ब्याज के लगभग 8 करोड़ रुपए का फसली लोन वितरित करती है. यह लोन किसानों की साख सीमा के आधार पर दिया जाता है, जिसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपए तक हो सकती है. बिजोवा सहकारी समिति के अंतर्गत एक मिनी बैंक भी संचालित होता है, जिसमें 1,684 ग्रामीणों के बचत खाते हैं और लगभग 7 करोड़ रुपए की जमा राशि है. हालांकि, हाल ही में हुए घोटाले के बाद समिति की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं.
First Published :
March 16, 2025, 15:26 IST
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किसानों के नाम पर 76 लाख का गबन, दो साल तक नहीं लगी भनक, जानिए पूरा मामला