Good News: 8 cheetahs will reach Jaipur from Namibia on September 17 | Good News: 17 सितंबर को नामीबिया से जयपुर पहुंचेंगे 8 चीते, जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी बाड़े में छोड़ेंगे
मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीते नजर आएंगे कूनो राष्ट्रीय उद्यान भोपाल से तकरीबन 400 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां देश-विदेश से सैलानी आते हैं। नामीबिया से आने वाले चीतों को हेलीकॉप्टर के जरिए कूनो पालपुर ले जाया जाएगा। इन्हें कितने हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर राष्ट्रीय उद्यान तक ले जाया जाएगा। यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है।
जयपुर का रहा है चीतों से गहरा जुड़ाव जयपुर में एक जमाने में खूंखार चीतों को जानवरों की तरह पाला जाता था। आजादी के बहुत वक्त पहले जयपुर के राजा शौकिया तौर पर चीतों को पालते थे। इनका इस्तेमाल शिकार करने के लिए करते थे। जयपुर के परकोटा इलाके में आज भी चीते वालों के रास्ता बना हुआ है। कहा जाता है कि इस इलाके के घरों में चीतों को रखने के लिए पिंजरे आज भी मौजूद हैं। इस रास्ते में कभी ज्यादातर लोग चीतों को पालते थे। इन चीतों को शिकार के लिए ट्रेंड किया जाता था।

Fulfilling the commitment towards Mission LiFE, India welcomes back the fastest land animal, the Cheetah! The big cats are set to arrive on 17th September from South Africa #CheetahIsBack pic.twitter.com/P33T8CnoCw
— MyGovIndia (@mygovindia) September 12, 2022
Sheopur, Madhya Pradesh | Eight Cheetahs are being brought from Namibia, Africa including 5 female & 3 male cheetahs. They’re being brought by a plane to Jaipur & then will be brought here: SP Yadav, Secy, National Tiger Conservation Authority (12.09) pic.twitter.com/QxmKWRp5sa— ANI (@ANI) September 13, 2022
हेलीकॉप्टर से चीतों को भेजा जाएगा कूनो राष्ट्रीय उद्यान
मध्यप्रदेश वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 17 सितंबर को मालवाहक विमान से चीते नामीबिया से जयपुर पहुंचेंगे। इसके बाद हेलीकॉप्टर से चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान भेजा जाएगा। चीतों को कितने हेलीकॉप्टर से कूनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाया जाएगा, यह केंद्र सरकार तय करेगी।
छह बाड़े बनाए
चीतों को शुरुआत में अलग-अलग रखने के लिए छह छोटे बाड़े बनाए गए हैं। चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में जाने से पहले और बाद में एक महीने तक सबसे अलग रखने की जरूरत होती है। एक महीने के क्वारंटाइन के बाद चीतों को जंगल में छोड़ा जाएगा। 70 साल बाद चीते भारत के जंगलों में दौड़ने वाले हैं।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के सेक्रेटरी एसपी यादव ने मीडिया को बताया कि नामीबिया से पांच फीमेल और तीन मेल चीते लाए जा रहे हैं। एक महीना क्वारंटाइन रखने के दौरान उनकी स्वास्थ्य को मॉनीटर किया जाएगा। उन्हें रेडियो कॉलर पहनाया जाएगा। इससे 24 घंटे उनके मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी।
कोरिया जिले में मिला था आखिरी चीता
देश में अंतिम चीते की मृत्यु 1947 में कोरिया जिले में हुई थी, जो वर्तमान छत्तीसगढ़ में है। यह पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था। इस प्रजाति को 1952 में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि 2009 में अफ्रीकी चीता इंट्रोडक्शन प्रोजेक्ट इन इंडिया की कल्पना की गई थी।
To welcome PM @narendramodi on Sept 17, preparations are going on, on war footing manner in Kuno National Park, Sheopur. Union Minister @byadavbjp along with MP CM took stock of preparations. He also observed fencing corridor where cheetahs from Namibia would be kept for 30 days. pic.twitter.com/b451S6hzoq
— All India Radio News (@airnewsalerts) September 11, 2022
#DidYouKnow #CheetahIsBack pic.twitter.com/rOQdf1NG92— MoEF&CC (@moefcc) September 13, 2022
साल 1947 में 75 साल पहले ही मर गया था भारत का आखिरी चीता
भारत का आखिरी चीता 75 साल पहले 1947 में मर गया था और इस प्रजाति को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था। भारत सरकार 1960 के दशक से चीते को वापस लाने का प्रयास कर रही है। इससे पहले, इसका उद्देश्य एशियाई चीता को फिर से लाना था जो ईरान में जीवित है। हालांकि, तेहरान में भी इसकी संख्या में गिरावट आई है, और इस तरह वहां भी इस लुप्तप्राय जानवर की आबादी गंभीर रूप से कम थी।
कांग्रेस के शासन में मिली योजना को गति अफ्रीकी चीतों को भारत लाने की योजना को सितंबर 2009 में गति मिली जब जयराम रमेश पर्यावरण मंत्री थे। अधिकारियों ने बताया कि “भारत में अफ्रीकी चीता परिचय परियोजना” की कल्पना तब की गई थी। अब इस परियोजना के 13 साल बाद भारत को चीतों की पहली खेप मिलेगी। यह देखा जाना बाकी है कि वे देश के लिए कितनी अच्छी तरह ढल जाते हैं।
क्या और चीते भारत आएंगे? हाँ। सरकार की योजना अगले पांच वर्षों में भारत में 50 चीतों को फिर से लाने की है। इस साल भारत को 20 चीते मिलेंगे। शनिवार को आठ नामीबिया से आएंगे, जबकि 12 अन्य दक्षिण अफ्रीका से आएंगे।
दक्षिण अफ्रीका के चीते भारत ले जाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसके पहले उन्हें टीका लगाया जाता है, रेडियो कॉलर किया जाता है और उनकी एक व्यापक स्वास्थ्य जांच की जाती है।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर जुलाई में, भारत ने इस दुर्लभ जानवर फिर से भारत लाने के लिए नामीबिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इसी तरह का समझौता दक्षिण अफ्रीका के साथ भी किया जाएगा। “दक्षिण अफ्रीका के साथ समझौता ज्ञापन भी प्रक्रिया में है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका दोनों बहुत सहयोगी रहे हैं और उनकी तकनीकी टीम बहुत अच्छी है।
अब तक लगभग 5,000 की आबादी वाले 25 गांवों में से 24 गांवों को चीतों के लिए रास्ता बनाने के लिए बसाया जा चुका है। एनटीसीए प्रमुख ने कहा कि इस क्षेत्र में जंगली कुत्तों को यह सुनिश्चित करने के लिए टीका लगाया गया है कि वे इन धब्बेदार जानवरों में कोई बीमारी नहीं फैलाएं।