– Good news for animal lovers central government gave two crore rupees to save five endangered species in rajasthan
Rajasthan News: राजस्थान में विलुप्त होती पक्षियों और जानवरों की प्रजातियों को बचाने की पहल केंद्र सरकार द्वारा की जा रही है. विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकीं इन प्रजातियों की बचाने की कोशिश की और यह एक सहारनीय कदम है, जिसके तहत गोडावण, सियागोश, डॉल्फिन, गिद्ध और फ्लोरिकन के संरक्षण के लिए केंद्र की ओर से क्रिटिकली एंडेंजर्ड स्पीशीज रिकवरी प्रोग्राम में शामिल किया गया है. देशभर में विलुप्ति के कगार पर पहुंची वन्यजीव प्रजातियों को बचाने के लिए केंद्र की ओर से की जा रही पहल में इस बार राजस्थान में पांच प्रजातियों को बचाने के लिए केंद्र की ओर से क्रिटिकली एंडेंजर्ड स्पीशीज़ रिकवरी प्रोग्राम में शामिल किया गया है. बाघ से भी ज्यादा संकटग्रस्त हो चुकी प्रदेश में इन पांच प्रजातियों को बचाने के लिए अभी कुछ न किया गया तो आने वाले वक्त में ये केवल तस्वीरों में दिखाई देंगी. प्रदेश गोडावण, सियागोश, चंबल डॉल्फिन, गिद्ध और फ्लोरिकन पक्षी को बचाने के लिए केंद्र ने राजस्थान को दो करोड़ रुपये की मदद की है. (फोटो – न्यूज18/अरबाज़ अहमद)
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राजस्थान में विलुप्त हो रही जानवरों और पक्षियों की इन इन प्रजातियों में सियागोश भी शामिल है. सियागोश के संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की ओर से 39.95 लाख रुपये की मदद की गई है. लगातार विलुप्त होती इस प्रजाति के लिए उठाए गए सराहनीय कदम से प्रदेश में इसके संरक्षण को बढ़ावा तो मिलेगा ही, साथ में इसकी गिनती में इजाफा होने से इसे देखने वालों के लिए अलग सुविधा उपलब्ध हो सकेगी. सियागोश की संख्या 2019 में 70 थी, जो अब तक तक दोबारा नहीं गिनी गई है. इसे बचाने के लिए केलादवी और रणथंभौर क्षेत्र में प्रयास किए जाएंगे.
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राजस्थान के राजकीय पक्षी के रूप में पहचाने जाने वाले गोडावण की संख्या लगातार कम होती जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से किए जा रहे क्रिटिकली एंडेंजर्ड स्पीशीज रिकवरी प्रोग्राम से इस पक्षी का संरक्षण किया जाएगा. गोडावण संरक्षण के लिए केंद्र सरकार की ओर से 41.5 लाख रुपये की मदद की जाएगी. अब एनिमल लवर्स को जल्द ही इनके संरक्षण के चलते आसानी से देखने को मिल सकते है. राजस्थान में संरक्षण के लाख प्रयासों के बावजूद गोडावण की संख्या सौ के आसपास ही बनी हुई है. इसे बचाने के लिए नेय प्रजनन केंद्र स्थापित करने और गोडावण के विंड एनर्जी और सोलर एनर्जी पैनल के तारों से हो रहे नुकसान को रोकने की कोशिश की जाएंगी.
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प्रदेश में विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने की पहल में गिद्ध को भी शामिल किया गया है. गिद्ध संरक्षण के लिए 18.5 लाख रुपये की सहायता केंद्र की ओर से की जा रही है. इस विशालकाय शिकारी पक्षी की लगातार कम होती तादाद से पक्षी प्रेमी के साथ ही सरकार भी चिंतित है. इसीलिए सरकार ने अब इसके संरक्षण को लेकर यह कदम उठाया है. गिद्ध प्रदेश से पूरी तरह विलुप्त हो चुका था, जो अब दर्द निवारक डाईक्लोफेनाक इंजेक्शन पर रोक लगने के बाद फिर से आबाद होने लगा है, लेकिन इनकी कम संख्या अभी भी चिंताजनक है.
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फ्लोरिकन जिसे आम भाषा में खरमोर भी कहा जाता है. आज विलुप्ति की कगार पर खड़ी है. फ्लोरिकन के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा 31.20 लाख रुपये की मदद की घोषणा की गई है. अजमेर के पास सौखलिया में फ्लोरिकन पक्षी को बचाने के प्रयास वन विभाग द्वारा लगातार किए गए हैं, लेकिन फलोरिकन की स्थिति भी गोडावण जैसी ही बनी हुई है. देशभर में ऐसी ही विलुप्त होती इस प्रजाति को बचाने के लिए क्रिटिकली एंडेंजर्ड स्पीशीज़ रिकवरी प्रोग्राम चलाया जा रहा है. भारतीय वन्यजीव संस्थान के जरिए केंद्र सरकार प्रदेश को इन प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाने में मदद कर रहा है.