JEE में हासिल की रैंक 992, IIT Madras से किया बीटेक, बिना पैर के ऐसे पूरा किया Google तक का सफर
JEE Success Story: अगर कुछ करने की लगन और मेहनत किया जाए, तो बुरी से बुरी परिस्थियों में खुद को निखारा जा सकता है. ऐसे ही कहानी आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखने वाले एक लड़के की है. उनकी लाइफ तब बदल गई जब एक दुर्घटना ने उनके पैर छीन लिए. इसके बावजूद इस परिस्थितियों का सामना करते हुए आसमान की बुलंदियों को छू लिया है. उन्होंने गूगल में नौकरी हासिल की हैं. हम जिनकी बात कर रहे हैं, उनका नाम नागा नरेश करुतुरा है. उनके पिता ट्रक चालक हैं.
नागा नरेश का जन्म गोदावरी नदी के किनारे बसे एक गांव तीपरु में हुआ था. उनके माता-पिता, दोनों अशिक्षित, साधारण आकांक्षाएं रखते थे, लेकिन जीवन ने नरेश के लिए बड़ी योजनाएं बनाई थीं. वर्ष 1993 में संक्रांति उत्सव के दौरान नरेश के जीवन ने एक दुखद मोड़ लिया जब वह एक ट्रक से गिर गया और उसके दोनों पैर कट गए. वह एक सामान्य बचपन जीने के लिए दृढ़ संकल्पित थे. उन्होंने दोस्त बनाए जीवन का आनंद लिया और अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद अपनी पढ़ाई में अव्वल रहे हैं.
पढ़ाई बीच में छोड़ने का सता रहा था डरनागा नरेशा की लाइफ में एक ऐसा भी समय आया जब उन्हें लगा कि अपने परिवार की आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी. लेकिन किस्मत ने एक बार फिर दखल दिया. उनके माता-पिता तेपरु से तनुकु चले गए जहां नरेश को एक मिशनरी स्कूल में दाखिला दिलाया गया. वहां, उनके दोस्तों ने उसके साथ बराबरी का व्यवहार किया, व्हीलचेयर के बावजूद उसे कभी अलग महसूस नहीं कराया. यह वह माहौल था, जिसने उन्हें एकेडमी रूप से आगे बढ़ने दिया.
जेईई में हासिल की 992 रैंकनरेश ने IIT-JEE की परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 992 हासिल की और फिजिकल रूप से विकलांग कैटेगरी में चौथा स्थान प्राप्त किया है. IIT मद्रास में उनकी एंट्री ने नए दरवाजे खोले और उनका जीवन सुखद आश्चर्यों से भर गया. अजनबियों ने रास्ते में उसकी मदद की – ट्रेन में मिले सुंदर नाम के एक व्यक्ति ने उसकी छात्रावास की फीस का भुगतान किया, जबकि जिस अस्पताल ने उसकी दुर्घटना के दौरान उनका इलाज किया था, उसने उनकी कॉलेज की ट्यूशन फीस का भुगतान किया. आईआईटी मद्रास ने नरेश की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए खुद ही हरसंभव प्रयास किए.
गूगल में करते हैं नौकरीइन चुनौतियों के बावजूद, नरेश का दृढ़ संकल्प कभी कम नहीं हुआ. एल्गोरिदम, कंप्यूटर साइंस और गेम थ्योरी के प्रति जुनून के साथ नरेश ने न केवल एकेडमी रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि मॉर्गन स्टेनली और गूगल से नौकरी के ऑफर भी प्राप्त किए. आखिरकार उन्होंने गूगल के साथ काम करना चुना, जहां वे अपने आस-पास के सभी लोगों को प्रेरित करते रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2024, 13:25 IST