सरकार ने भी माना बैंकों के 3.16 लाख करोड़ डूब गए! 580 लोगों ने लगाया सबसे ज्यादा चूना
नई दिल्ली. कर्ज लेकर पैसे न चुकाने वालों की वजह से बैंकों के लाखों करोड़ रुपये डूब गए. सरकार ने खुद लिखित जवाब में स्वीकार किया है कि सरकारी बैंकों के 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम एनपीए हो गई है, जिसका मतलब है कि इन पैसों को कर्ज लेने वालों ने लौटाया नहीं और ये पैसे फंस चुके हैं. यह रकम बैंकों के कुल बकाया कर्ज का करीब 3.09 फीसदी है.
सरकार ने संसद में बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) की सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) 30 सितंबर, 2024 तक 3.16 लाख करोड़ रुपये थीं, जो बकाया ऋण का 3.09 प्रतिशत है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनंतिम आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक पीएसबी और निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए क्रमशः 3,16,331 करोड़ रुपये और 1,34,339 करोड़ रुपये था.
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सरकारी और निजी बैंकों में कितना एनपीएसरकार ने बताया कि इसके अलावा, बकाया ऋण के प्रतिशत के रूप में सकल एनपीए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3.09 प्रतिशत और निजी क्षेत्र के बैंकों में 1.86 प्रतिशत था. 31 मार्च, 2024 तक, 580 अद्वितीय उधारकर्ताओं (व्यक्तियों और विदेशी उधारकर्ताओं को छोड़कर), जिनमें से प्रत्येक पर 50 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण बकाया है, को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जानबूझकर भुगतान ना करने वालों के रूप में वर्गीकृत किया गया है. यानी इन लोगों को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया गया है.
हजार से ज्यादा दिवालिया मामले निपटाएदिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता के क्रियान्वयन के जरिये बैंकों द्वारा निपटाए गए मामलों की संख्या और नुकसान की राशि के बारे में पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार 30 सितंबर, 2024 तक 1,068 कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रियाओं में समाधान योजनाओं को मंजूरी दी गई है. इसका मतलब है कि दिवालिया प्रक्रिया के तहत इन कंपनियों का समाधान किया जा चुका है.
अब तक साढ़े 3 लाख करोड़ की वसूलीउन्होंने कहा कि इन प्रस्तावों से बैंकों समेत कर्जदाताओं को 3.55 लाख करोड़ रुपये की वसूली की गई. चौधरी ने कहा कि इसके अलावा, इन मामलों में बैंकों सहित लेनदारों का कुल दावा 11.45 लाख करोड़ रुपये था, जबकि कुल परिसमापन मूल्य 2.21 लाख करोड़ रुपये था. इसका मतलब है कि लोन की कुल रकम में से बहुत कम की ही वसूली की जा सकी है.
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FIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 07:32 IST