Rajasthan

Government in electoral turn: Efforts started to reach out to Dalit | चुनावी मोड़ में राजस्थान सरकार : दलितों को साधने का प्रयास शुरू

राजस्थान की कांग्रेस सरकार विधानसभा चुनाव 2023 को देखते हुए दलितों को साधने को लेकर राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निधि (योजना, आवंटन और वित्तीय संसाधनों का उपयोग ) अधिनियम 2022 विधानसभा में लाने की तैयारी कर रही है। इससे पहले एसे प्रावधान आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना व तमिलनाडू में लागू किए जा चुके हैं।

जयपुर

Published: February 02, 2022 12:20:24 am

सुनील सिंह सिसोदिया
जयपुर।
प्रदेश की कांग्रेस सरकार अगले साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश की अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ ही ट्राइबल क्षेत्र की करीब 59 विधानसभा सीटों के वोटर को साधने के लिए विधानसभा में नया विधेयक ला रही है। इस विधेयक (राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति विकास निधि बिल 2022) में यह प्रावधान किया जाएगा कि राज्य बजट में इस वर्ग की जनसंख्या के अनुुपात में हिस्सेदारी रहे।

चुनावी मोड़ में राजस्थान सरकार : दलितों को साधने का प्रयास शुरू

चुनावी मोड़ में राजस्थान सरकार : दलितों को साधने का प्रयास शुरू

माना जा रहा है कि प्रदेश में अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) एवं अनुसूचित एवं अनुसूचित जनजाति उपयोजना को लागू हुए 40 वर्ष होने के बावजूद इन वर्गों का उत्थान नहीं हुआ है। इसके लिए यह बिल लाया जा रहा है। इसके लिए सरकार ने लोगों से 31 जनवरी तक सुझाव भी मांग लिए हैं। इस बिल में प्रावधान किया जाएगा कि अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत अनुसूचित उपयोजना और अनुसूचित जनजाति विकास निधि सहित जनजाति उपयोजना के तहत कुल आवंटन राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की अनुपूरक आबादी से कम नहीं हो। विधेयक में कहा गया है कि राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के त्वरित विकास के लिए सामुदायिक कमियों को चिन्हित कर उनका विकास करना है।

बिल में यह किए जा रहे प्रावधान… – अधिकार प्राप्त समिति (ईसी) : इसका अर्थ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए राज्य स्तरीय समिति होगी। इसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव राजस्थान की होगी।

– राज्य परिषद : इसका अर्थ अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए राज्य परिषदों का गठन करना, जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री राजस्थान की ओर से की जाएगी। प्रत्येक परिषद में हितधारक विधायकों का प्रतिनिधित्व होगा।

– विकास निधि का निर्धारण : हर वर्ष के आधार पर राज्य सरकार अलग से यह आदेश जारी करेगी कि आवंटित बजट को एससीडीएफ-एसटीडीएफ में अलग से रखा जाए। बशर्ते कि अनुसूचित जाति उप योजना के तहत राज्य सरकार जनसंख्या के अनुपात में कुल राशि आवंटन करेगी। बशर्ते कि जनजातीय उप योजना के तहत एसटीडीएफ सहित योजना (टीएसपी) में जनसंख्या के अनुपात में राज्य सरकार की ओर से अलग से बजट आवंटन करेगी।

– विधानसभा पेश होगी वार्षिक रिपोर्ट : नोडल विभाग अनुसूचित जाति विकास निधि-अनुसूचित जनजाति विकास निधि के कार्यान्वयन के परिणाम पर एक वार्षिक रिपोर्ट राज्य विधानसभा के सदन के समक्ष प्रस्तुत करेगा। – अधिनियम के उद्देश्य औैर कारण : अधिनियम के उद्देश्यों में कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 46 में यह प्रावधान किया गया है कि राज्य कमजोर लोगों व वर्गों और विशेष रूप से अनुसूचित जातियां और अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक और आर्थिक हितों की विशेष देखभाल के साथ बढ़ावा देगी और उन्हें सामाजिक अन्याय और शोषण से मुक्त करेगी।

बिल लाने पर ऐसे बढ़ा काम
एआईसीसी के अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग के. अध्यक्ष के. राजू हाल ही प्रदेश के दौरे पर आए थे। पहले उन्होंने कांग्रेस संगठन के सदस्यता अभियान के साथ ही एससी-एसटी प्रकोष्ठ व अन्य की बैठक ली। उसमें इस बिल को लेकर बताया। बाद में वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रमुख वित्त सचिव अखिल अरोड़ा से मिले। बताया जा रहा है कि उनकी यह मुलाकात इस बिल के प्रावधानों को लेकर हुई। के. राजू पूर्व आईएएस अधिकारी हैं और आन्ध्र प्रदेश सरकार में प्रमुख सचिव रहे हैं। बाद में सेवानिवृति ले ली। वे इस तरह का बिल आन्ध्र प्रदेश में लागू का चुके हैं। इसके अलावा इसी तरह तेलगांना और तमिलनाडु में भी लागू होना बताया जा रहा है। कांग्रेस की पंजाब में भी तैयारी थी, लेकिन विधानसभा चुनाव आचार संहिता लागू होने के चलते लागू नहीं कर सकी।
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