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राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का दावा: 1895 में तलपड़े ने उड़ाया पहला विमान

Last Updated:March 30, 2025, 19:34 IST

Rajasthan News: राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने दावा किया कि शिवकर बापूजी तलपड़े ने 1895 में पहला हवाई जहाज उड़ाया था. उन्होंने अजमेर में छात्रों को तकनीकी प्रगति पर जोर दिया.पहला जहाज किसने उड़ाया, राइट ब्रदर्स? जी नहीं, राज्यपाल का चौंकाने वाला दावा

शिवकर बापूजी तलपड़े ने 1895 में मुंबई के चौपाटी पर पहला हवाई जहाज उड़ाया था- राजस्थान के राज्यपाल. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

राज्यपाल ने शिवकर तलपड़े को पहले विमान उड़ाने वाला बताया.राज्यपाल ने छात्रों को तकनीकी प्रगति पर जोर दिया.राज्यपाल ने अजमेर में मेधावी छात्रों को पदक और डिग्रियां वितरित कीं.

अजमेर: राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने शनिवार को एक रोचक दावा किया है. उन्होंने दावा किया कि एक भारतीय, शिवकर बापूजी तलपड़े, ने 1895 में मुंबई के चौपाटी पर पहला हवाई जहाज उड़ाया था. उनके इस दावे के बाद देश में एक नहीं बहस शुरू हो गई है. उनका दावा है कि यह उड़ान राइट बंधुओं के 1903 में किए गए उड़ान से पहले की बात है.

TOI की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया कि तलपड़े ने यह ज्ञान महर्षि भारद्वाज के प्राचीन संस्कृत ग्रंथ से प्राप्त किया था, जिसे उन्होंने चिरंजीलाल वर्मा से सीखा था. राज्यपाल ने यह भी कहा कि कोपरनिकस ने न्यूटन से पहले गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया था, और इससे भी पहले भास्कराचार्य ने 11वीं सदी में गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत स्थापित किया था.

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महार्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे राज्यपालराज्यपाल ने यह बातें अजमेर में महार्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह में बतौर कुलाधिपति अपने संबोधन में कहीं. उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्रों से तकनीक सीखने का आग्रह किया, क्योंकि भारत केवल तकनीकी प्रगति के साथ ही विश्व नेता बन सकता है.

राज्यपाल ने मेधावी छात्रों को पदक और डिग्रियां वितरित कीं. छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “भारत की वैज्ञानिक परंपरा समृद्ध है, और आधुनिक ज्ञान के दृष्टिकोण को मिलाकर भारत विश्वगुरु का स्थान प्राप्त करेगा.” उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय के कुलपति को कुलगुरु कहना प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की पुनर्स्थापना की दिशा में एक कदम है. प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली उत्तम थी, और उस समय शिक्षक को आचार्य कहा जाता था. आचार्य का आचरण सही होता था, और उनमें दूसरों के चरित्र को सुधारने की क्षमता भी होती थी.”

राज्यपाल ने बताया कि देशभर के 400 कुलपतियों और एक हजार से अधिक शिक्षाविदों ने दो साल की गहन चर्चा के बाद नई शिक्षा नीति बनाई है. इस अवसर पर राज्य विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने नई शिक्षा नीति में प्राचीन भारतीय संस्कृति के विषयों के महत्व पर प्रकाश डाला. कुलपति कैलाश सोडानी ने शिक्षा को संस्कृति के साथ जोड़ने के महत्व के बारे में बताया.

Location :

Ajmer,Rajasthan

First Published :

March 30, 2025, 19:34 IST

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पहला जहाज किसने उड़ाया, राइट ब्रदर्स? जी नहीं, राज्यपाल का चौंकाने वाला दावा

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