Rajasthan

Governor has written a letter to the Chief Minister for a high-level inquiry into the case of vaccine wastage.

राजस्थान में वैक्सीन को लेकर सियासत. (प्रतीकात्मक तस्वीर-  news18 English Reuters)

राजस्थान में वैक्सीन को लेकर सियासत. (प्रतीकात्मक तस्वीर- news18 English Reuters)

Jaipur News: राज्यपाल ने वैक्सीन बर्बादी के मामले की जांच के लिए सीएम अशोक गहलोत को एक खत लिखा है. इसे लेकर मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी (Dr. Mahesh Joshi) ने आब बड़ा बयान दिया है.

जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में वैक्सीन के मुद्दे पर सियासत तेज हो गई है. एक ओर जहां कांग्रेस फ्री यूनिवर्सल वैक्सीन की मांग पर केन्द्र सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है तो दूसरी ओर भाजपा वैक्सीन बर्बादी के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है. अब इस लड़ाई में राज्यपाल की भी एंट्री हो गई है. राज्यपाल ने वैक्सीन बर्बादी के मामले की उच्चस्तरीय जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. राज्यपाल द्वारा लिखे गए इस पत्र को लेकर मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी (Dr. Mahesh Joshi) ने बड़ा बयान दिया है. जोशी ने कहा है कि राज्यपाल भले आदमी हैं लेकिन वो अंडर प्रेशर काम कर रहे हैं. जोशी ने कहा कि केन्द्र सरकार का राज्यों पर दबाव बनाने का अपना एजेंडा है जिसके तहत राज्यपाल को मजबूर होकर जांच की बात करनी पड़ी. आपको बता दें कि कल ही कांग्रेस ने फ्री-वैक्सीनेशन की मांग को लेकर राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा था और कल ही राज्यपाल ने वैक्सीन बर्बादी की जांच के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा.

हम डरे-घबराएं नहीं हैं

मुख्य सचेतक डॉ. महेश जोशी ने कहा कि हम जांच से डरे या घबराए हुए नहीं है. जांच में साफ हो जाएगा कि राजस्थान में अनुमत सीमा से कम वैक्सीन बर्बाद हुई. उन्होंने कहा कि राज्यपाल को लोकतांत्रिक भावना से काम करना चाहिए. जोशी ने यह भी कहा कि राज्यपाल को फ्री-वैक्सीन की मांग केन्द्र सरकार के समक्ष उठानी चाहिए थी जो उन्होंने नहीं उठाई. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर भी राज्यपाल का ऐसा ही रुख सामने आया था.

गौरतलब है कि पिछले साल सियासी संकट के बाद राज्य सरकार ने राज्यपाल को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की अनुशंसा भेजी थी. लेकिन राज्यपाल ने कोरोना संक्रमण का हवाला देते हुए विशेष सत्र बुलाने का कारण पूछ लिया था. साथ ही विधायकों को सत्र बुलाने से पूर्व 21 दिन का नोटिस दिए जाने पेंच फंसा दिया था. आखिर नोटिस अवधि पूरी होने के बाद ही विधानसभा सत्र आहूत किया गया था जिसमें गहलोत सरकार ने अपना विश्वास प्रस्ताव पारित करवाया था.





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