बिहार चुनाव परिणाम में महागठबंधन मुक्त हुए 15 जिले, एनडीए का ‘क्लीन स्वीप’, देखिए लिस्ट

पटना. महागठबंधन में सीट बंटवारे पर खूब खींचतान हुई और चुनाव की तारीख नजदीक आने तक अंत-अंत तक किचकिच होती रही. हालांकि, बाद में सीट शेयरिंग का मसला सुलझा तो जरूर लेकिन तब तक बिहार चुनावी जमीन पर महागठबंधन को लेकर बिखराव की मैसेजिंग हो चुकी थी. तेजस्वी यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मुकेश सहनी से लेकर दीपांकर भट्टाचार्य जैसे नेताओं ने खूब जोर लगाया, मगर बिहार चुनाव के जब परिणाम आए तो सब हैरान रह गए. एनडीए ने प्रचंड जीत प्राप्त करते हुए 202 सीटें अपने पाले में कर ली. वहीं, महागठबंधन महज 35 सीटों पर ही जीत प्राप्त कर सकी जिसमें अकेले राष्ट्रीय जनता दल की 25 और कांग्रेस की 6 सीटें शामिल हैं, जबकि वाम दलों की तीन सीटों पर जीत हुई. लेकिन इस करारी शिकस्त की बड़ी कहानी यह निकलकर आई की महागठबंधन बिहार के 38 जिलों में से 15 जिलों में बिल्कुल ही खत्म हो गई.
इसका मतलब यह कि अब इन 15 जिलों से महागठबंधन के कोई प्रतिनिधि विधानसभा में मौजूद नहीं होंगे क्योंकि यहां से उनके कोई भी विधायक नहीं जीत पाए हैं. चुनाव आयोग से जारी फाइनल आंकड़ों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का सूपड़ा 15 जिलों में साफ हो गया है. यहां राजद, कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों समेत अन्य किसी भी दल ने एक भी सीट प्राप्त नहीं की है. इन जिलों में शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, पूर्णिया, दरभंगा, गोपालगंज, खगड़िया, भागलपुर, बांका, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, भोजपुर और अरवल शामिल है. इन जिलों में सभी विधानसभा क्षेत्र में एनडीए ने अपनी जीत का परचम लहराया है.
शाहाबाद से सीतामढ़ी तक महागठबंधन गायब!
इन आंकड़ों की खास बात है कि बिहार के 42% जिलों में महागठबंधन की मौजूदगी खत्म हो गई है. ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जिस इलाके ने 2020 के चुनाव में महागठबंधन को जबरदसत ताकत दी थी, वही शाहाबाद इलाके में महागठबंधन को मात्र तीन सीटें प्राप्त हुई हैं. शाहाबाद जैसे इलाकों में, जिसने 2020 में महागठबंधन को मजबूत आधार दिया था, इस बार महज तीन सीटों पर सिमटना बताता है कि जनता ने एनडीए की एकजुटता और स्थिरता को तरजीह दी. इन नतीजों ने साफ कर दिया कि बिहार की सियासत में अब बिखराव की नहीं, बल्कि मजबूत, संगठित और स्थिर नेतृत्व की मांग सबसे ऊपर है.



