गरीबी में पले-बढ़े, फीस के लिए मां ने बेच दिए अपने गहने, बेटे ने क्वालीफाई की NEET; बनेगा डॉक्टर -Grew up in poverty, mother sold her jewelery to pay fees, son qualified NEET; will become a doctor

बाड़मेर. कहते है कि एक बच्चे की फिक्र मां से ज्यादा इस दुनिया में कोई नही करता है. बाहरवीं की परीक्षा पास करने के बाद बाड़मेर के विक्रम को NEET की कोचिंग के लिए सीकर जाना पड़ा तो पिता के पास पैसे नही होने के कारण मां ने अपने चांदी के कड़े बेच दिए और मां के इस समर्पण को विक्रम डॉक्टर बनकर सैल्यूट करता नजर आएगा.
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है. यह पक्तियां बाड़मेर जिले के मीठा बेरा के रहने वाले विक्रम जांगिड़ पर बिल्कुल सटीक बैठती है, जिन्होंने गरीबी के बावजूद कुछ कर दिखाने का जज्बा लिए मेहनत के साथ पढ़ाई करते रहे. इनकी मां को अपने गहने तक बेचने पड़े. विक्रम ने पहले ही प्रयास में नीट क्रैक किया है.
बाड़मेर के छोटे से गांव मीठा बेरा का विक्रम जांगिड़ उन नीट चयनितों में से एक है जिनके लिए अभाव शब्द भी छोटा पड़ता है. विक्रम के पिता रूखाराम जांगिड़ अस्पताल में प्रयोगशाला सहायक हैं. जिस वक़्त विक्रम को कोचिंग के लिए जाना था तब पिता की मासिक तनख्वाह महज 6 हजार रुपए थी. उस वक्त विक्रम की मां गोमती देवी ने अपने चांदी के कड़े बेचकर विक्रम की कोचिंग के पैसे जुटाए थे. विक्रम अपने गांव में डॉक्टर बनने वाला पहला शख्स है.
विक्रम की शुरुआती पढ़ाई गांव से 6 किलोमीटर दूर राउमावि बामणोर भंवरशाह गांव में हुई. हर रोज 12 किलोमीटर आना जाना ग्याहरवीं तक जारी रहा. 10वीं में 90 प्रतिशत और विक्रम के 12वीं में 96.08 प्रतिशन अंक आए थे. विक्रम ने पहली बार बाहरवीं की पढ़ाई के दौरान नीट की परीक्षा देने की कोशिश की थी. लेकिन आयु सीमा कम होने की वजह से वह आवेदन नही कर पाया. विक्रम के नीट में 720 में से 700 अंक आए हैं.
FIRST PUBLISHED : June 8, 2024, 23:34 IST