Rajasthan

Ground Report: ‘अभी जुगाड़ में लगा है देश’..बोरवेल हादसे के बाद लोगों का फूटा गुस्सा, सरकार के सामने रखी मांग

दौसा:- दौसा जिले के कालीखाड़ गांव की दांगडा ढाणी में तीन दिन से बोरवेल में फंसे पांच साल के आर्यन को बुधवार देर रात करीब 11.48 बजे बाहर निकाल लिया गया. रेस्क्यू स्थल से तुरंत बच्चे को एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम युक्त एंबुलेंस से दौसा जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां ईसीजी सहित अन्य जांच के बाद चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

घटनास्थल पर दौसा सहित अन्य जिलों से भी लोग पहुंचे थे, ये देखने के लिए कि बोरवेल में गिरे 5 वर्षीय बच्चे को किस तरह से बाहर निकाला जाएगा. यहां पहुंचे हजारों लोग भगवान से दुआ करते नजर आ रहे थे कि जैसे भी हो, बच्चे को सुरक्षित भगवान बाहर निकाल दे और कुशलतापूर्वक बच्चे को बाहर निकालने की भगवान से लाख दुआएं की. लेकिन आर्यन सुरक्षित बाहर नहीं निकल पाया.

घटना के बाद अब फिर से गड्ढा भराई का कार्य शुरू बुधवार की रात जब आयरन को बाहर निकाला गया, उसके बाद चारों तरफ एक दुःख लहर फैल गई. इसके बाद सारे कार्य को बंद कर दिया गया था. लेकिन गुरुवार दोपहर बाद से फिर से कार्य शुरू किया गया, जो अभी भी लगातार जारी है. बोरवेल से 20 फीट दूर करीब 80 फीट की गहराई का गड्ढा बनाया गया था. उसे वापस भरने का कार्य शुरू कर दिया गया है और काफी गड्ढा वापस भर भी दिया गया है.

48 घंटे तक लगातार ट्रैक्टर चालक चलाते रहे ट्रैक्टर जब घटना के बाद हमारे लोकल 18 के माध्यम से लोगों से चर्चा की, तो लोगों ने बताया कि हमारा एक ही उद्देश्य था कि जैसे भी हो, बोरवेल में गिरा आर्यन तत्काल बाहर आए और कुशलतापूर्वक बाहर आए. इसके लिए 48 घंटे तक लगातार मिट्टी खोदने का कार्य चलता रहा, जिसमें दर्जनों की संख्या में ट्रैक्टर चल रहे थे. लेकिन हमें सफलता नहीं मिली. लगातार जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार भी मौके पर रहे, लेकिन सारे कार्यों के बाद भी आर्यन को जीवित नहीं निकाला जा सका, जिससे सभी ट्रैक्टर चालकों को काफी दु:ख हुआ कि हमारी मेहनत काम नहीं आई.

अभी भी बोरवेल में गिरने वाले उपकरण स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे हिंदुस्तान में बहुत से लोग हैं, जो आए दिन नई-नई तकनीक के माध्यम से नए-नए उपकरण बनाने का कार्य करते हैं. काफी लोग चंद्रमा और अन्य ग्रहों पर भी पहुंच गए हैं, लेकिन हिंदुस्तान में एक कोई ऐसा उपकरण नहीं बन पाया है, जिससे बोरवेल में गिरे बच्चे या अन्य किसी व्यक्ति को समय रहते बाहर निकाला जा सके. अभी भी प्रशासन हमारे गांव के जुगाड़ू टेक्नोलॉजी से ही बोरवेल में गिरे बच्चों को निकालने का प्रयास करता है.

दौसा में गिरे बच्चों को निकालने के लिए भी एनडीआरएफ के जवान और कलेक्टर भी लगातार मौजूद रहे. लेकिन एनडीआरएफ के जवान भी हमारे गांव के लोगों के पास जो देसी जुगाड़ होता है, उसी से बच्चे को निकालने का प्रयास करते नजर आए और आखिर में उसी से सफलता मिली. इससे यह लगता है कि हमारे देश में अभी तक कोई बड़ा विकास नहीं हुआ.

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सरकार से भी की मांग स्थानीय लोगों ने आर्यन के साथ हुई घटना के बाद अब सरकार से मांग की है कि सरकार कोई ऐसा जल्दी से उपकरण बनाएं, जिससे बोरवेल में फंसे बच्चे को समय रहते बाहर निकाला जा सके. अगर कोई बच्चा या कोई व्यक्ति बोरवेल में गिर भी जाए, तो 10 घंटे से 12 घंटे में उसे कुशल बाहर निकाला जा सकता.

Tags: Dausa news, Ground Report, Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 10:22 IST

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