Ground Report : कभी रानियों की हंसी से गूंजता था करौली का शाही सुखविलास बाग, अब खंडहर में बदल रही सदियों पुरानी शान

Last Updated:October 31, 2025, 18:29 IST
Karauli News Hindi : कभी रानियों की हंसी-खुशी से गूंजने वाला करौली का शाही सुखविलास बाग आज खामोशी में डूबा पड़ा है. लाल पत्थरों से बनी यह अनोखी धरोहर कभी रियासतकालीन शाही जीवन का प्रतीक थी, लेकिन अब लापरवाही और समय की मार झेलते हुए खंडहर बनती जा रही है. अगर संरक्षण नहीं हुआ, तो यह विरासत इतिहास बन जाएगी.
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करौली : राजस्थान की रियासतकालीन धरोहरें आज भी उस दौर की शान और वैभव की गवाही देती हैं. लेकिन इनमें से कई इमारतें अब इतिहास के पन्नों में खोजी जा रही हैं. ऐसी ही एक अनमोल विरासत है, करौली का शाही सुखविलास बाग, जो कभी रानियों के मनोरंजन का प्रमुख ठिकाना हुआ करता था. आज यह शानदार महल देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.
भद्रावती नदी के तट पर बसा यह शाही बाग अपनी अद्भुत वास्तुकला और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता था. इतिहासकारों के अनुसार सावन के महीने में रानियां यहां झूला झूलने और आमोद-प्रमोद के लिए आया करती थीं. उस समय यह स्थान रियासतकालीन महिलाओं का विशेष मनोरंजन केंद्र था, जहां राजा की अनुमति के बिना कोई अन्य व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता था. सुखविलास बाग की सुंदरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां से नदी और आस-पास के हरे-भरे दृश्य आज भी मन मोह लेते हैं.
रानियों का सुखविलास बाग अब खंडहर बनायह पूरा बाग लाल पत्थर से निर्मित है और इसकी दीवारों व झरोखों पर की गई बारीक नक्काशी मुगलकालीन स्थापत्य शैली की झलक पेश करती है. इसके तीन मंजिलों वाले झरोखे और बारीक शिल्पकला आज भी इस इमारत की भव्यता का प्रमाण देते हैं. करौली के वरिष्ठ इतिहासकार वेणुगोपाल शर्मा बताते हैं कि यह बाग शाही दौर की ऐसी जगह थी, जहां रानियां स्नान और साथ मनोरंजन भी करती थीं. इस महलनुमा इमारत के तरफ भद्रावती नदी की बहती धारा और दूसरी ओर बना शाही कुंड इसकी शोभा को दोगुना कर देता था.
करौली की शाही धरोहर बचाने की पुकारइतिहासकार शर्मा बताते हैं कि इसका सुखविलास नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह स्थान रानियों के ‘सुख’ और ‘विलास’ का केंद्र था. लेकिन आजादी के बाद इस धरोहर की सुध किसी ने नहीं ली. सरकार के अधीन आने के बाद भी इसकी देखभाल नहीं हो पाई. इसके बाद यह ऐतिहासिक बाग आज जर्जर दीवारों और टूटती छतों के बीच अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है. कभी रानियों की हंसी-खुशी से गूंजने वाला यह शाही सुखविलास बाग अब खामोशी और उपेक्षा की मार झेल रहा है. यदि समय रहते इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो करौली की यह अनमोल धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए सिर्फ किताबों और किस्सों में सिमट कर रह जाएगी.
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन…और पढ़ें
रुपेश कुमार जायसवाल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस और इंग्लिश में बीए किया है. टीवी और रेडियो जर्नलिज़्म में पोस्ट ग्रेजुएट भी हैं. फिलहाल नेटवर्क18 से जुड़े हैं. खाली समय में उन… और पढ़ें
Location :
Karauli,Rajasthan
First Published :
October 31, 2025, 18:29 IST
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करौली का शाही सुखविलास बाग खंडहर बना, रानियों की रौनक अब खामोशियों में दबी



