गुजरात गेमिंग जोन हादसे ने खोली जयपुर की पोल, उड़ाई जा रही थी नियमों की धज्जियां, 6 गेम जोन सीज
जयपुर. राजधानी जयपुर में चल रहे गेमिंग जोन भी बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ कर सकते हैं. यहां भी नियम कायदों की परवाह किए गए बगैर संचालित किए जा रहे निजी गेमिंग जोन किसी हादसे को न्यौता दे सकते हैं. यह हम नहीं कह रहे है बल्कि जयपुर के नगर निगमों के औचक निरीक्षण में सामने आया है. गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन अग्निकांड की घटना से सबक लेते हुए जयपुर के गेमिंग जोन की सुरक्षा व्यवस्था को परखा गया तो सारी हकीकत सामने आ गई. निगम ने जयपुर के निजी मॉल में 6 अलग अलग गेम जोन सीज कर दिए हैं.
गर्मी की छुट्टियों में मनोरजंन के लिए आप जिन गेमिंग जोन में जा रहे हैं वे सेफ हैं भी या फिर नहीं इस बात की पुष्टि जरुर कर लीजिएगा. गुजरात के राजकोट में गेमिंग जोन में लगी भीषण आग से 28 लोगों की मौत हो गई. इनमें 12 बच्चे भी शामिल थे. गेमिंग जोन में हुए इस हादसे के बाद जयपुर के नगर निगम की नींद टूटी है. उसके बाद निगम की टीमों ने शहर के गेमिंग जोन की व्यवस्थाओं को परखने के लिए अभियान चलाया.
निगम की टीमों ने की ताबड़तोड़ कार्रवाईनिगम ग्रेटर आयुक्त के क्षेत्र में सभी गेम जोन की ऑडिट और निरीक्षण के निर्देशों के बाद जयपुर के दो सौ फीट अजमेर रोड़ के नजदीक पुनो गेमिंग क्लब से लेकर झोटवाड़ा के ट्राइटन मॉल स्थित गेमिंग जोन में निगम की फायर टीम पहुंची. उन्होंने फायर फाइटिंग सिस्टम, एंट्री व एग्जिट व्यवस्था और फायर एनओसी की जांच की. फायर एनओसी के साथ सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतरने पर निगम की टीम ने यहां तुरंत कार्रवाई करते हुए बिना सुरक्षा के चलाए जा रहे गेमिंग जोन को सीज कर दिया.
निर्धारित सुरक्षा मापदंड पूरे नहीं मिलेनगर निगम ग्रेटर जयपुर की फायर शाखा की डीसी सरीता चौधरी के मुताबिक गेम जोन में निर्धारित सुरक्षा मापदंड पूरे नहीं होने के चलते छह जोन को तुरंत सीज कर दिया गया है. जयपुर के ग्रेटर निगम क्षेत्र में पहले कुछ ही मॉल में ही गेमिंग जोन थे. लेकिन अब महंगे गेमिंग जोन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए कई कंपनियां इस व्यवसाय में कूद गई हैं और खूब चांदी कूट रही हैं. लेकिन इन सबके बीच आम-जन की जान माल की सुरक्षा को उन्होंने ताक पर रख दिया है. राजकोट हादसे के बाद जयपुर के नगर निगमों को भी इन गेमिंग जोन की याद आई.
अब नियमित रूप से रूप से की जाएगी जांचअब नगर निगम ग्रेटर की फायर समिति के अध्यक्ष पारस जैन ने कहा कि ऐसी जगहों पर जहां ज्यादा क्राउड का आवागमन रहता हैं वहां नियमित रूप से अभियान चलाकर फायर सिस्टम का परीक्षण किया जाएगा. हालांकि फायर के बेड़े में स्टाफ और संसाधनों की कमी एक बड़ी वजह है जिसका नुकसान कभी भी भुगतना पड़ सकता है.
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FIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 16:37 IST