गुलन की नाड़ी स्कूल: ठंड में पेड़ों तले क्लास

Last Updated:November 22, 2025, 10:23 IST
बाड़मेर न्यूज़: धनाऊ ब्लॉक के गुलन की नाड़ी स्कूल के 11 बच्चे पिछले एक साल से पेड़ों की छांव में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. भवन को खतरनाक बताकर बंद किया गया लेकिन कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. न रसोईघर है, न सुरक्षित जगह. शिक्षक दिलीप शर्मा के अनुसार, हर मौसम में शिक्षा खुले आसमान पर निर्भर है, जिससे बच्चों का भविष्य और स्वास्थ्य खतरे में है.
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धनाऊ के गुलन स्कूल की वेदना: एक साल से बिना भवन, पेड़ों तले पढ़ रहे 11 बच्चे
बाड़मेर. राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर का धनाऊ ब्लॉक इन दिनों शिक्षा व्यवस्था की भयावह सच्चाई बयान कर रहा है. राजकीय प्राथमिक विद्यालय गुलन की नाड़ी के 11 मासूम बच्चे पिछले एक साल से किसी पक्के भवन में नहीं, बल्कि खुले आसमान के नीचे पेड़ों की छांव में पढ़ने को मजबूर हैं. ठिठुरती सर्दियों की तेज़ हवाएँ हों या गर्मियों की झुलसा देने वाली धूप—इन नन्हे कदमों की पढ़ाई कभी रुकी नहीं, लेकिन उन्हें पढ़ने के लिए एक सुरक्षित छत अब तक नसीब नहीं हुई.
स्कूल भवन को प्रशासन ने जीर्ण-शीर्ण और खतरे से भरा बताते हुए रेड अलर्ट में बंद कर दिया था. लेकिन, हैरानी की बात है कि भवन बंद करने के बावजूद प्रशासन ने बच्चों को पढ़ाने के लिए किसी अन्य स्थान या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की. यानी—भवन बंद, लेकिन शिक्षा खुली हवा की दया पर है. यह लापरवाही सीधे तौर पर बच्चों के शिक्षा के अधिकार और स्वास्थ्य से खिलवाड़ है.
शिक्षक भी असहाय हर मौसम में पेड़ तले क्लासस्कूल के शिक्षक दिलीप शर्मा बताते हैं:
“भवन कभी भी गिर सकता है इसलिए बच्चों को अंदर ले जाना खतरा है. मजबूरी में पिछले एक साल से क्लासें बाहर ही लग रही हैं.” चिलचिलाती धूप, तेज़ हवा, धूल, बारिश… हर मौसम में पढ़ाई बस खुले मैदान में ही होती है. यह दृश्य किसी जंगल या दुर्गम पहाड़ी का नहीं, बल्कि भारत-पाक सरहद से सटे उस क्षेत्र का है जहाँ सुरक्षा और विकास दोनों के लिए विशेष योजनाएँ चलती हैं.
मिड-डे मील बनाना सबसे बड़ी चुनौतीभवन के साथ ही रसोई भी बंद कर दी गई, जिससे मिड-डे मील बनाना रोज़ाना की जद्दोजहद बन चुका है. बच्चों को पोषाहार उपलब्ध करवाने के लिए कोई सुरक्षित स्थान नहीं है. बरतन खुले में रखने पड़ते हैं और खाना भी अस्थायी इंतज़ाम में बनाना पड़ रहा है, जो स्वच्छता और सुरक्षा दोनों के लिए बड़ा खतरा है.
ग्रामीणों की मांग ‘भवन बनाओ, बच्चों को बचाओ’स्थानीय लोग बार-बार निवेदन कर चुके हैं कि भवन का पुनर्निर्माण या किसी वैकल्पिक जगह पर अस्थायी स्कूल खोलने की व्यवस्था की जाए. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब तक सिर्फ “जल्द करेंगे” कहकर आगे बढ़ जाते हैं, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में है.
Location :
Barmer,Barmer,Rajasthan
First Published :
November 22, 2025, 10:23 IST
ठंडी जमीन पर बैठकर पढ़ाई! गुलन की नाड़ी का स्कूल बना बाड़मेर की पीड़ा



