Religion

Guru Purnima celebration । Hindu community । honour of Guru । Guru Purnima 2021 । birth anniversary of Veda Vyasa । Satya Narayan Vrat

– इस दिन को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।

Guru Purnima 2021: सनातन संस्कृति में आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। हिंदू धर्म इस तिथि का बहुत ही खास महत्व है। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित मानी जाती है और माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है।

वहीं गुरु पूर्णिमा का पर्व पूरे भारत में अत्यंत ही श्रद्धा से मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का यह पर्व गुरुओं के प्रति आदर-सम्मान और उनके दिए गए ज्ञान के प्रति कृत्ज्ञता व्यक्त करने का है। इस दिन शिष्य अपने गुरु का सम्मान करते हुए उन्हें यथा शक्ति गुरु दक्षिणा प्रदान कर कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।

शास्त्रों में भी गुरु की विशेष महिमा बताई गई है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती है और ज्ञान ही हर प्रकार के अंधकार को दूर कर सकता है। आषाढ़ मास में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। जो इस बार आषाढ़ मास की पूर्णिमा की तिथि पर 24 जुलाई 2021 को मनाया जाएगा।

Must Read- भगवान शिव के इस माह से श्रीकृष्ण का भी है खास संबंध, जानिए कैसे मिलता है आरोग्य का वरदान

Shri krishna on sawan

गुरु पूर्णिमा 2021 का शुभ मुहूर्त…

पूर्णिमा तिथि आरंभ: 23 जुलाई 2021, शुक्रवार की 10:43 AM

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 जुलाई 2021, शनिवार की 08:06 AM

माना जाता है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास ऋषि का जन्म हुआ था, और वे ही चारों वेदों के प्रथम व्याख्याता थे। वेदव्यास जी ने ही पहली बार चारों वेदों का ज्ञान दिया था, इसलिए उन्हें पहले गुरु की उपाधि दी गई। जिस कारण इस दिन को गुरु पूर्णिमा के साथ व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं।

गुरु पूर्णिमा और ऋर्षि वेद व्यास…
: मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान देने वाले गुरु ऋर्षि वेद व्यास जी के जन्म तिथि के अवसर पर गुरु पूर्णिमा पर्व को मनाया जाता है।

: गुरु ही होते है जो शिष्यों को गलत मार्ग पर चलने से बचाते हैं।

: गुरु के बिना जीवन आकल्पनिय है।

: पुराणों की कुल संख्या 18 है, और इन सभी के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी हैं।

Must Read- गुरुवार को अवश्य करें ये काम, चमक जाएगा आपका भाग्य!

GURUvar

गुरु पूर्णिमा: ऐसे करें गुरुदेव का पूजन…
इस दिन (गुरु पूर्णिमा) प्रात:काल स्नान पूजा आदि नित्यकर्मों से निवृत्त होकर उत्तम व शुद्ध वस्त्र धारण कर गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊंचे सुसज्जित आसान पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए। इसके बाद वस्त्र,फल, फूल व माला अर्पित कर धन भेंट करना चाहिए।

ये मिलता है आशीर्वाद…
माना जाता है कि इस तरह श्रद्धापूर्वक पूजन करने से गुरु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और गुरु के आशीर्वाद से ही विद्यार्थी को विद्या आती है। जिससे हमारे ह्दय का अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणीमात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होेता है।

भारतीय संस्कृति के अनुसार संसार की संपूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है और गुरु के आशीर्वाद से ही दी हुई विद्या सिद्ध और सफल होती है। जानकारों के अनुसार इस पर्व को श्रद्धापूर्वक मनाना चाहिए। गुरु पूजन का मंत्र इस प्रकार है…

गुरु ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरु देवो महेश्वर:।।
गुरु साक्षात परब्रह्म तस्मैश्री गुरुवे नम:।।’

Must Read- Ashada Amavasya 2021: जुलाई में पड़ेंगी दो अमावस्या, जानें किस दिन क्या करना रहेगा विशेष?

amavasya

ये करें इस दिन…
– गुरु का आदर और सम्मान करना चाहिए।

– गुरु पूर्णिमा के दिन जरूरतमंद लोगों को पीले अनाज, पीले वस्त्र और पीली मिठाई का भोग लगाकर दान करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आर्थिक तंगी से निजात मिलती है।

– माना जाता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से श्रद्धा पूर्वक पूजा-अर्चना करने और जरूरत मंद लोगों को अन्न दान करने से कुंडली का गुरु दोष समाप्त होता है।

– गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नानादि के बाद कुमकुम के घोल से मंदिर के बाएं और दायें तरफ स्वास्तिक का निशान बनाएं और मंदिर में दीपक जलाएं। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से आपके घर में गृह क्लेश की समस्या दूर होगी और सुख-समृद्धि बनी रहेगी।

क्या न करें इस दिन….
– इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।

– इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।

– जानकार लोग तो यहां तक कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा इन 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।

पूर्णिमा क्यों है खास…
गुरु पूर्णिमा पर जहां शिष्य अपने गुरु का सम्मान करते हुए उन्हें यथा शक्ति गुरु दक्षिणा प्रदान करते हैं। वहीं पूर्णिमा के दिन लोग ‘सत्य नारायण व्रत’ भी रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

इस दिन वह अपने घरों के प्रवेश द्वारों को आम के पत्तों और मालाओं से सजाते हैं। इसके साथ ही इस दिन सूखे मेवे, फल, चावल के व्यंजन, पान के पत्ते और दूध दलिया देवताओं को अर्पित किए जाते हैं।

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj