“Haldighati’s Chaitri Rose Becomes a New Source of Livelihood for Women”

Last Updated:February 27, 2025, 14:57 IST
Women Business Story: चैत्री गुलाब की पंखुड़ियों को चुनने, सुखाने और शरबत में बदलने तक की पूरी प्रक्रिया में शुद्धता और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है. शुरुआत में महिलाएं सिर्फ गुलाब शरबत और गुलकंद बना रही…और पढ़ेंX
गुलाब शरबत
हाइलाइट्स
हल्दीघाटी का चैत्री गुलाब महिलाओं की आजीविका का नया आधार बना.महिलाएं गुलाब शरबत, गुलकंद, पान शरबत और खसखस शरबत बना रही हैं.महिलाएं हर महीने 10,000 से 12,000 रुपये तक कमा रही हैं.
उदयपुर. राजस्थान के हल्दीघाटी क्षेत्र का चैत्री गुलाब अब सिर्फ इसकी खूबसूरती और खुशबू के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए भी पहचाना जा रहा है. इस गुलाब से बनने वाले गुलकंद, गुलाब शरबत और गुलाब जल की मांग देश-विदेश में तेजी से बढ़ रही है, जिससे यहां की महिलाओं को एक स्थायी रोजगार और आय का नया जरिया मिला है.
महिलाओं के लिए बदलता आर्थिक परिदृश्यहल्दीघाटी में उगने वाला चैत्री गुलाब अपनी गहरी सुगंध, प्राकृतिक रंग और औषधीय गुणों के कारण बहुत खास माना जाता है. स्थानीय महिला समूहों ने इस गुलाब से पारंपरिक तरीके से शरबत और गुलकंद बनाकर बाजार में बेचने की पहल की है. महिला समूह की अध्यक्ष रीना जैन के अनुसार, वह महिलाओं को 20-20 के समूहों में बांटकर गुलाब उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग देती हैं. अब हर महिला हर महीने 10,000 से 12,000 रुपये तक की आय कमा रही हैं. उन्होंने बताया कि इस कार्य में जुड़कर महिलाओं ने अपनी पहचान बनाई है और अपने उत्पादों को देश-विदेश तक पहुंचाया है.
पारंपरिक विधि से तैयार होते हैं उत्पादयह सभी उत्पाद पूरी तरह से पारंपरिक और प्राकृतिक तरीकों से तैयार किए जाते हैं. चैत्री गुलाब की पंखुड़ियों को चुनने, सुखाने और शरबत में बदलने तक की पूरी प्रक्रिया में शुद्धता और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है. शुरुआत में महिलाएं सिर्फ गुलाब शरबत और गुलकंद बना रही थीं, लेकिन अब उन्होंने पान शरबत और खसखस शरबत भी तैयार करना शुरू कर दिया है. ये उत्पाद बाजार में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं, जिससे महिलाओं की आय में भी वृद्धि हो रही है.
हल्दीघाटी का चैत्री गुलाब बना वैश्विक पहचानचैत्री गुलाब सिर्फ हल्दीघाटी ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पहचान बना रहा है. इसकी खासियत है कि यह मार्च-अप्रैल (चैत्र मास) में खिलता है, जिससे इसे ‘चैत्री गुलाब’ कहा जाता है. कम पानी में भी इसकी अच्छी पैदावार होती है और इसकी गहरी खुशबू इसे अन्य गुलाबों से अलग बनाती है. हल्दीघाटी की महिलाओं ने इस गुलाब को आर्थिक अवसर में बदल दिया है और अब वे अपने उत्पादों को स्थानीय बाजारों के अलावा ऑनलाइन भी बेच रही हैं. इस पहल से न सिर्फ महिलाओं को आत्मनिर्भरता मिली है, बल्कि हल्दीघाटी का नाम भी नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है.
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
February 27, 2025, 14:57 IST
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गुलाब से संवर रही महिलाओं की जिंदगी, हल्दीघाटी के लिए आय का स्रोत, ये है सच…