राजस्थान का पारंपरिक गहना हमेल, दिवाली पर खासतौर पर पहनती हैं महिलाएं, जानें इसका महत्व

Last Updated:October 19, 2025, 08:05 IST
Rajasthan Traditional Jewellery Hamel: राजस्थान का पारंपरिक गहना हमेल महिलाओं के श्रृंगार और संस्कृति का प्रतीक है. सोने, चांदी या पीतल से बना यह हार केवल सजावट का हिस्सा नहीं, बल्कि सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक है. शादी-ब्याह और त्योहारों पर इसे उपहार के रूप में दिया जाता है. हमेल पर मोर, तोता और फूल की डिजाइन शुभता और खुशहाली का संदेश देती है. यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी विरासत में मिलता है और महिलाओं के सिंगार को पूरा करता है.
ख़बरें फटाफट
नागौर. राजस्थान अपने रंग परंपरा और आभूषणों के लिए जाना जाता है. इन्हीं में से एक खास और सुंदर आभूषण है हमेल. राजस्थान में पारंपरिक काल से ही अपने आभूषणों की वजह से लोकप्रिय रहा है. यहां के गहने सिर्फ सजावट का हिस्सा नहीं, बल्कि सुंदरता, पारंपरिक मान्यताओं का प्रतीक है. हमेल जिसे आज महिलाएं अपने पारंपरिक श्रृंगार की शान समझती है. हमेल पारंपरिक गहना होने के साथ-साथ ही आधुनिक फैशन का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हमेल एक पारंपरिक गले में पहने जाने वाला हार है जो सोने, चांदी या पीतल से बनाया जाता है.
इसकी बनावट इतनी आकर्षक होती है कि इसे देखने वाले की आंखें बार-बार इस पर अटक जाती है. बीच में एक चौकोर पेंडेंट होता है, जिस पर नक्काशी और बारीक डिजाईन होती है और नीचे घुंघरू लगे हुए होते हैं. इसके दोनों और गोलाकार और मोतियों जैसे सिक्के का पैटर्न बना होता है जो इसे बहुत ही सुंदर आकर देता है. हमेल पर बने मोर, तोता, फूल की डिजाइन शुभता, प्रेम और खुशहाली के प्रतीक है. लाल, पीले, हरे और सुनहरे रंग इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं.
हमेल का पारंपरिक महत्व
दिवाली तो रोशनी का त्योहार होती है जो हमारे जीवन में एक नया अध्याय शुरू करती है. इसी दिन महिलाएं नए कपड़े और गहने पहनना शुभ मानती हैं. हमेल को दिवाली पर पहनना लक्ष्मी जी का स्वागत माना जाता है. कहा जाता है कि हमेल पहनकर महिलाएं जब पूजा करती है तो लक्ष्मी मां बहुत खुश होती है और उस घर में समृद्धि आती है. हमेल को मां लक्ष्मी का आशीर्वाद माना जाता है.
फैशन के दौर में भी हमेल की लोकप्रियता है कायम
समय के साथ भले ही फैशन बदल गया हो, लेकिन हमेल का आकर्षण आज भी उतना ही कायम है. आज भी यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. अब ये सिर्फ ग्रामीण इलाकों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि शहर की महिलाएं भी इसे फैशन स्टाइल के रूप में अपना रही है. डिजाइनर हमेल मे आधुनिकता और परंपरा का सुंदर मेल कर दिया है, जिससे हल्के वजन, रंगीन धागे और धातु की बारीकियां के साथ अब हमेल हर पोशाक पर जचता है. इसे महिलाएं घाघरा-चोली, चुनरी -लुगड़ी, राजपूती पोशाक, लहंगा के साथ पहनना पसंद करती है. हमेल महिला की खूबसूरती को और भी बढ़ा देती है. इस पारंपरिक हमेल में आधुनिक फैशन का जोड़ इसे बहुत ही सुंदर आकर देता है.
नागौर के बाजारों में बढ़ गई है हमेल की मांग
सबसे खास बात यह है कि नागौर के बाजारों में इन दिनों हमेल की मांग बहुत तेजी से बढी है. तीज, दिवाली, शादी या फोटो शूट- हर मौके पर महिलाएं हमेल को जरूर पहनना चाहती है. स्थानीय कारीगरों ने बताया कि नवंबर में शादी का सीजन आने की वजह से हमेल की मांग 50 से 60% तक बढ़ गई है. नागौर के इलाकों में गहनों की दुकानों पर हमेल के पारंपरिक से लेकर ट्रेंड डिजाइन खूब बिक रहे हैं. कहीं जगह तो इसकी ऑनलाइन बुकिंग और ऑर्डर भी हो चुके हैं. यह कहा जा सकता है कि हमेल आज पुरानी पारंपरिक गहना नहीं, बल्कि राजस्थानी फैशन का नया ट्रेंड बन चुका है. हमेल पुराने जमाने की परंपरा को आज के दौर के फैशन से जोड़ता है.
deep ranjan
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।Location :
Nagaur,Rajasthan
First Published :
October 19, 2025, 08:05 IST
homelifestyle
राजस्थान में दिवाली पर महिलाएं क्यों पहनती हैं पारंपरिक हमेल, जानें महत्व