Discussions In The Political Corridors Of Gehlot’s Quarantin – मुख्यमंत्री गहलोत का सियासी क्वॉरेंटाइन 15 दिन में हुआ पूरा, कांग्रेस गलियारों में चर्चाएं

-सीएम हाउस से बाहर निकलकर राज्यपाल कलराज मिश्र को जन्मदिन की बधाई देने पहुंचे मुख्यमंत्री गहलोत, 14 जून को मुख्यमंत्री ने की थी 1- 2 महीने तक किसी से नहीं मिलने की घोषणा, मुख्यमंत्री के सियासी क्वॉरेंटाइन पूरा होने की चर्चाओं के बीच जगी मंत्रिमंडल विस्तार की आस

फिरोज सैफी/जयपुर।
प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चल रही खींचतान के बाद बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सियासी क्वॉरेंटाइन पूरा हो गया है या नहीं? इसे लेकर अब सियासी गलियारों में चर्चाएं तेज होने लगी है।
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार को सियासी क्वॉरेंटाइन खत्म करके मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकले और राजभवन जाकर राज्यपाल कलराज मिश्र को जन्मदिन की बधाई दी। साथ ही लोक सभा स्पीकर ओम बिड़ला से भी मुलाकात की। मुख्यमंत्री की इस मुलाकात के बाद से सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं, चर्चा ये है कि क्या मुख्यमंत्री का होम क्वॉरेंटाइन 15 दिन में ही पूरा हो गया?
जगी मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की आस
वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सियासी होम क्वॉरेंटाइन पूरा होने की चर्चाओं से एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल के साथ ही राजनीतिक नियुक्तियों की आस जगी है। बताया जा रहा है कि होम क्वॉरेंटाइन खत्म होने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों पर चर्चा करने के लिए दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी नेता प्रियंका गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। वैसे भी पंजाब और राजस्थान में चल रही सियासी उठापटक को ठीक करने का जिम्मा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने हाथों में लिया हुआ है।
14 जून को मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
दरअसल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 14 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए कार्यक्रम में कहा था कि कोविड महामारी के दौरान वे लगातार वीसी के जरिए बैठक कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि वे एक दो महीने और होम क्वॉरेंटाइन रहेंगे। चिकित्सकों ने उन्हें एक- दो महीने होम क्वॉरेंटाइन रहकर ही बैठकर करने की सलाह दी है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया था जब सचिन पायलट कैंप ने राजनीतिक नियुक्तियों और मंत्रिमंडल विस्तार नहीं करने को लेकर सवाल उठाए थे। साथ ही कहा था कि कांग्रेस आलाकमान की ओर से गठित कमेटी 10 माह भी पायलट कैंप की मांगों पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है, जिससे उनके सब्र का बांध अब जवाब दे रहा है।