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Health News: GBS वायरस ने जोधपुर में पसारे पैर, दो महीनों में ही आए 21 मामले सामने, जानिए कैसे होता है ये

Last Updated:March 05, 2025, 13:50 IST

Jodhpur Health News: महाराष्ट्र , असम व झारखंड में हाहाकार मचाने के बाद अब जीबीएस बीमारी जोधपुर में भी दस्तक दे चुकी है. इस साल दो महीने में ही जोधपुर में करीब 21 मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन बीते तीन साल में …और पढ़ेंX
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हाइलाइट्स

जोधपुर में जीबीएस के 21 मामले सामने आएजीबीएस मांसपेशियों और श्वसन तंत्र के लिए घातक हैएमडीएम अस्पताल में जीबीएस का निशुल्क इलाज उपलब्ध है

जोधपुर:- महाराष्ट्र , असम व झारखंड में हाहाकार मचाने वाली बीमारी गुलियन-बेरी सिंड्रोम यानी जीबीएस अब राजस्थान में भी दस्तक दे चुकी है. जीबीएस के मामलों की संख्या जोधपुर में भी दो महीने से बढ़ी है. ये वायरस मांसपेशियों व श्वसन तंत्र के लिए घातक है. बीते सालों के रिकॉर्ड देखें, तो जोधपुर में हर महीने एक-दो मामले दर्ज हो रहे थे, लेकिन इस साल दो महीने में ही जोधपुर में करीब 21 मामले मिल चुके हैं. बता दें, कि अकेले 19 मामले एमडीएम अस्पताल में मिले हैं. दो मामले अब तक एम्स जोधपुर में सामने आ चुके हैं. ये बीमारी भी ज्यादातर युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है. इस साल अब तक आए 70 प्रतिशत रोगी 30 से 50 साल आयु के हैं.

जीबीएस के मामलों में वृद्धि के बावजूद कोई मौत की पुष्टि नहींजोधपुर में बीते तीन साल में कोई मौत की पुष्टि नहीं हुई है. एमडीएम अस्पताल के मेडिसिन विभाग में 6 मरीज भर्ती हैं. इनकी आयु 20 से 30 साल के बीच है. ये सभी मरीज पाली, फलोदी व जैसलमेर व जोधपुर जिले के निवासी हैं. इनमें से कुछ मरीज आईसीयू में हैं व कुछ को ऑक्सीजन दिया जा रहा है.

जीबीएस का कारण और इसके संभावित लक्षणगुलियन बेरी सिंड्रोम किस कारण होता है, इसका अब तक कोई सटीक प्रमाण नहीं है. शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है, कि इसके कई कारण हो सकते हैं. यह किसी वायरस के संक्रमण के बाद या इम्यून सिस्टम में खराबी के बाद हो सकता है, अगर कुछ नसें डैमेज हो जाएं तो भी यह बीमारी हो सकती है. डायरिया या रेस्पिरेटरी इंफेक्शन के बाद भी यह बीमारी हो सकती है.

अगर आपको भी है वायरल तो अभी हल्के में न लेंएमडीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ विकास राजपुरोहित ने कहा, कि लोग छोटे- मोटे वायरल इंफेक्शन को नजरअंदाज करके डॉक्टर की सलाह नहीं लेते, और नियमित दिनचर्या के तहत काम करते हैं, जिससे नुकसान होता है. प्राइवेट अस्पतालों में इसके इलाज में 3 से 4 लाख रूपए का खर्च आता है, जबकि एमडीएम अस्पताल में निशुल्क इसका इलाज सरकार द्वारा किया जाता है. जीबीएस से संक्रमित हों, तो सरकार की जो जन उपयोगी योजनाएं हैं, उसका लाभ उठाएं. आगे वे बताते हैं, कि हमारे यहां प्रोपर आईसीयू बैड्स से लेकर तमाम सुविधाएं उपलब्ध है.

सर्जरी के बाद भी हो सकता है गुलियन बेरी सिंड्रोमकुछ मामलों में सर्जरी के बाद भी गुलियन बेरी सिंड्रोम हो सकता है. कुछ उपचार लक्षणों को कम करने और ठीक होने में मदद कर सकते हैं. इसमें प्लाज्मा एक्सचेंज शामिल है, जिसमें खून का एक हिस्सा निकालकर उसे ब्लड बैंक से प्लाज्मा से बदल दिया जाता है. इस प्रक्रिया में हानिकारक एंटीबॉडीज को हटाया जाता है. इसमें इंट्राविनस इम्युनोग्लोबिन थेरेपी का इंजेक्शन भी मरीज को दिया जाता है


Location :

Jodhpur,Rajasthan

First Published :

March 05, 2025, 13:50 IST

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GBS वायरस ने जोधपुर में पसारे पैर, दो महीनों में आए 21 मामले, जानें क्या है ये

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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