Health Tips: हड्डी जोड़ने वाली गांगडी! दर्द मिटाए, फ्रैक्चर जोड़े- पूरी तरह आयुर्वेदिक, सर्दियों की संजीवनी!

Last Updated:November 06, 2025, 12:37 IST
Health Tips : प्रकृति की गोद में छिपी गांगडी जड़ी-बूटी हड्डियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं. सदियों से आयुर्वेद में इसका उपयोग फ्रैक्चर, जोड़ों के दर्द और सूजन के इलाज में किया जा रहा है. यह प्राकृतिक औषधि शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है और बिना साइड इफेक्ट दर्द को जड़ से मिटाने का काम करती है.
सीकर : प्रकृति में ऐसे अनेकों पेड़ पौधे पाए जाते हैं जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और, ऐसा ही एक औषधीय पौधा है गांगडी, यह एक पारंपरिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग पुराने समय से हड्डियों और जोड़ों से जुड़ी बीमारियों के इलाज में किया जा रहा है. यह प्राकृतिक औषधि शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है और हड्डियों के फ्रैक्चर को तेजी से जोड़ने में मदद होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में गांगडी को घरेलू नुस्खे के रूप में खूब अपनाया जाता है. यह बिना किसी साइडिफेक्ट के दर्द और सूजन दोनों को कम करने में बहुत उपयोगी है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि इस गांगडी के पत्तों और जड़ों में कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्राकृतिक एंटी-इंफ्लेमेटरी तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर के दर्द को कम करने में बेहद उपयोगी हैं. इसके अलावा इसका जोड़ों के दर्द, गठिया या कमर दर्द में जब इसके पत्तों का लेप बनाया जाता है, तो यह सूजन घटाकर राहत देना का काम करती है. इसके नियमित उपयोग से पुराना दर्द भी धीरे-धीरे खत्म होने लगता है. यह प्रकृति ओषधि जोड़ों को लचीला और मजबूत बनाता है.

गांगडी का सेवन न केवल हड्डियों के लिए बल्कि पाचन तंत्र के लिए भी बहुत गुणकारी माना जाता है. इसके सूखे पत्तों को पीसकर चूर्ण तैयार किया जाता है और यह चूर्ण सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट की गैस, अपच और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है. इसके अलावा यह गुणकारी औषधि पाचन तंत्र को संतुलत बनाए रखती है और भूख को भी बढ़ाता है. इसके रोजाना सेवन से शरीर को ताकत मिलती है.

आयुर्वेद में गांगडी को हड्डी जोड़ने वाली जड़ी बूटी कहा गया है क्योंकि यह फ्रैक्चर या चोट लगने की स्थिति में तेजी से हड्डियों को जोड़ने का काम करती है. ऐसे में यह एक्सीडेंट के समय किसी रामबाण औषधि से कम नहीं है. पारंपरिक वैद्य इसके पत्तों या जड़ों का पेस्ट बनाकर प्रभावित हिस्से पर लगाते हैं, जिससे सूजन और दर्द कम होकर हड्डी जल्दी जुड़ जाती है. इसमें मौजूद प्राकृतिक औषधीय गुण शरीर की रिकवरी प्रक्रिया को तेज करते हैं.

ग्रामीण इलाकों में गांगडी का उपयोग ज्यादातर स्थानीय आयुर्वेदिक डॉक्टर और बुजुर्गों द्वारा किया जाता है. वे इसके ताजे पत्तों को पीसकर लेप बनाते हैं और दर्द वाले हिस्से पर बांध देते हैं. यह घरेलू उपाय सस्ता, सुरक्षित और प्रभावी होता है. आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि इस औषधि से पुराने जोड़ों के दर्द में भी राहत मिली है. इसके अलावा यह प्राकृतिक नक्शा बहुत कारगर है. जो लोग हड्डियों का ऑपरेशन करते हैं उनके लिए भी यह रामबाण औषधि है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि गांगडी जड़ी-बूटी शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ाती है, जिससे हड्डियां स्वाभाविक रूप से मजबूत बनती हैं. इसका नियमित सेवन करने से न केवल दर्द में राहत मिलती है, बल्कि शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. बुजुर्गों के लिए यह जड़ी-बूटी जोड़ों की जकड़न और कमजोरी को दूर करने में खास मानी जाती है. यह सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से बहुत फायदेमंद होती है.

आयुर्वेदिक डॉक्टर नरेंद्र कुमार ने बताया कि अब गांगडी के औषधीय गुणों की पुष्टि होने लगी है. इसमें मौजूद प्राकृतिक रासायनिक तत्व हड्डियों के ऊतकों को वापस तैयार करने में मदद करते हैं. उन्होंने बताया कि इस गांगडी का तेल या अर्क मसाज के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बेहतर होता है. यह न केवल दर्द में आराम देता है बल्कि हड्डियों को प्राकृतिक रूप से वापस तैयार करने की बहुत कारगर औषधि है.
First Published :
November 06, 2025, 12:37 IST
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गांगडी जड़ी-बूटी का कमाल! हड्डियां जोड़े, दर्द मिटाए, सर्दियों में बनी संजीवनी



