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मौत और दिव्यांगता की बड़ी वजह है हार्ट डिजीज और स्ट्रोक, डायबिटीज भी कम जिम्मेदार नहीं, लेंसेट की रिपोर्ट में खुलासा

Last Updated:October 13, 2025, 18:10 IST

Disability major cause: लेंसेट की नई रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दिव्यांगता या अपंगता के लिए हार्ट अटैक, स्ट्रोक और डायबिटीज बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है. इससे वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है.मौत और दिव्यांगता की बड़ी वजह है हार्ट डिजीज और स्ट्रोक, डायबिटीज भी जिम्मेदारगैर-संक्रामक बीमारियों से ज्यादा मौतें.

Disability major cause: पहले के जमाने में दिव्यांग होने की मुख्य वजह पोलियो या हड्डियों की बीमारी थी. हार्ट अटैक, डायबिटीज या स्ट्रोक की बीमारी बमुश्किल से ही किसी-किसी को होता था लेकिन आज हमारी लाइफस्टाइल इस कदर खराब हो चुकी है कि युवा भी हार्ट अटैक और स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं. इस कारण इनमें से कुछ अपंगता के भी शिकार हो रहे हैं. दरअसल, जब बहुत तेज हार्ट अटैक आता है तो इसमें अचानक खून का प्रवाह रुक जाता है, इससे नसों की कोशिकाएं मर जाती है जिसका दोबारा से पुनर्जीवन मुश्किल होता है. इस कारण शरीर के संबंधित अंगों में सिग्नल नहीं पहुंच पाता है और नतीजा होता है कि लोग दिव्यांग हो जाते हैं यानी उस अंग तक दिमाग को पकड़ नहीं हो पाता है. यह बात लेंसेट की नई रिपोर्ट में सामने आई है. इस नई रिपोर्ट में कहा गया है कि आज जितने लोगों की अननेचुरल डेथ होती हैं उनमें दो तिहाई मामलों की वजह हार्ट डिजजी, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज है.

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज
यह चौंकाने वाला अध्ययन सोमवार को द लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन के अनुसार हार्ट डिजीज, स्ट्रोक और डायबिटीज जैसी नॉन कम्युनकेबल डिजीज (एनसीडी) दुनियाभर में मृत्यु दर और दिव्यांगता के प्रमुख कारण हैं. यह अध्ययन ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) के नवीनतम विश्लेषण पर आधारित है. इसे बर्लिन में विश्व स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन में भी प्रस्तुत किया गया था. अध्ययन में यह दर्शाता है कि किस तरह इंफेक्शन डिजीज से कहीं ज्यादा नॉन-इंफेक्शन डिजीज से लोगों की मौतें हो रही हैं. अध्ययन में इस्केमिक हार्ट डिजीज (दिल का दौरा), स्ट्रोक और डायबिटीज को भारत समेत दुनियाभर में मृत्यु दर और बीमारी के प्रमुख कारणों के रूप में पहचाना गया है. इन तीनों बीमारी के बाद क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), निचले श्वसन संक्रमण और नवजात विकार आते हैं.पहले इंफेक्शन से होती थी ज्यादा मौतें

1990 के दशक में डायरिया संबंधी कम्युनिकेबल बीमारियां मृत्यु का प्रमुख कारण थीं. उसके बाद अधिक उम्र की वजह से प्रति लाख जनसंख्या में से 300.53 लोगों की मौत होती थी. 2023 में इस्केमिक हार्ट डिजीज के कारण सबसे अधिक मौतें हुईं, जिसकी आयु-मानकीकृत मृत्यु दर (एएसएमआर) 127.82 प्रति लाख जनसंख्या थी. अध्ययन के अनुसार 2021 में मृत्यु की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 रहा लेकिन 2023 में कोविड के कारण मौतों का पायदान 20 वें स्थान पर आ गया. इसके बाद ज्यादा मौतों के कारणों में क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, निचले श्वसन संक्रमण और नवजात विकार आते हैं.

आधी मौतों को रोका जा सकता है

शोधकर्ताओं ने बताया कि उल्लेखनीय रूप से हाई ब्लड शुगर और हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को कम करने जैसे कुछ प्रमुख जोखिम कारकों को संशोधित करके लगभग आधी मौतों और दिव्यांगता को रोका जा सकता है. वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन में इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के निदेशक डॉ. क्रिस्टोफर मरे ने कहा कि दुनिया की बढ़ती उम्र की आबादी और उभरते जोखिम कारकों में तेजी से हो रही वृद्धि ने वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों के एक नए युग की शुरुआत की है. उन्होंने कहा कि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन में प्रस्तुत साक्ष्य एक चेतावनी है, जिस पर सरकार और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े लोगों को रणनीतिक रूप से प्रतिक्रिया देनी चाहिए.

375 बीमारियां मौत के प्रमुख खतरों में

इस अध्ययन में 1990 से 2023 तक 204 देशों और क्षेत्रों और 660 उप-राष्ट्रीय स्थानों के स्वास्थ्य आंकड़ों का विश्लेषण करके वैश्विक स्तर पर आयु और लिंग के आधार पर 375 बीमारियों और चोटों तथा 88 जोखिम कारकों का अनुमान लगाया गया है. शोधकर्ताओं ने पाया कि जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती उम्र के बावजूद 2023 की वैश्विक आयु-मानकीकृत मृत्यु दर में 1950 के बाद से 67 प्रतिशत की गिरावट आई है. वैश्विक औसत आयु भी महामारी से पहले के स्तर पर लौट आई है, जहां महिलाओं के लिए औसत आयु 76.3 साल और पुरुषों के लिए 71.5 साल है, जो 1950 की तुलना में 20 वर्ष से भी अधिक है. शिशु मृत्यु दर में भी वैश्विक स्तर पर कमी आई है. इस प्रगति के बावजूद, किशोरों और युवा वयस्कों में मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण आत्महत्या, नशीली दवाओं और अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन था. शीशे की अधिकता, वायु प्रदूषण और गर्मी का वैश्विक स्वास्थ्य पर अधिक महत्वपूर्ण प्रभाव जारी रहा. अध्ययन के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य विकारों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसमें चिंता विकारों में 63 प्रतिशत और अवसादग्रस्तता विकारों में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इनपुट-आईएएनएस

Lakshmi Narayan

Excelled with colors in media industry, enriched more than 19 years of professional experience. Lakshmi Narayan is currently leading the Lifestyle, Health, and Religion section at . His role blends in-dep…और पढ़ें

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October 13, 2025, 18:10 IST

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